Valentine’s Day: जानिए एक ऐसी जगह जहाँ माता पिता को पूजकर मनाते हैं वैलेंटाइन डे
गोरखपुरः सीएम सिटी में वेलेंटाइन डे को कुछ अलग तरीके से मनाया जाता है. यूं कहें यहां वेलेंटाइन डे के नाम पर अश्लीलता फैलाने वाले तत्वों, युवाओं और उनके परिजनों के लिए अच्छे संस्कारों का संदेश छिपा हुआ है. वेलेंटाइन डे के दिन यहां बच्चे अपने माता-पिता का बाकायदा पूजन करते हैं और उसके बाद पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी लेते हैं. हमारे देश का यही संस्कार दुनिया को कुछ अलग संदेश भी देता है.
गोरखपुर के कालिंदी पब्लिक स्कूल में पिछले पांच साल से मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाता है. कालिंदी स्कूल के प्रबंधक राकेश सिंह पहलवान बताते हैं कि जब पांच साल पहले उन्होंने इस स्कूल की नींव रखी, तो पहले से ही वेलेंटाइन डे के नाम पर देश की योगवादी संस्कृति को भोगवादी संस्कृति से नष्ट-भ्रष्ट करने के कुचक्र रचने वालों को सबक सिखाने के लिए उन्होंने मातृ-पितृ दिवस का आयोजन शुरू किया. उन्होंने इसे पवित्र विकल्प के रूप में शुरू किया है. संतों ने निर्णय लिया कि माता-पिता से अधिक कोई बच्चों को प्रेम नहीं कर सकता है और बच्चों से अधिक प्रेम कोई माता-पिता को नहीं कर सकता है.
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय कृष्ण सिंह ने कहा कि मातृ-पितृ पूजन का विशेष महत्व है. हमारी संस्कृति में माता-पिता और गुरु को देवता तुल्य माना गया है. उनके संरक्षण में हम सुरक्षित महसूस करते हैं. वेलेंटाइन डे सिर्फ एक बाजार पैदा करता है. ये पाश्चात्य संस्कृति है. जबकि मातृ-पितृ दिवस हमें भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से जोड़ता है. अन्य स्कूलों में भी इस तरह के आयोजन बच्चों में संस्कार पैदा करेंगे.
आकांक्षा श्रीवास्तव का कहना है कि वेलेंटाइन डे प्यार करने वालों के लिए मनाया जाता है. सबसे पहला प्यार माता-पिता ही होते हैं. जिन्होंने सच में हमें सिखाया है कि प्यार करना क्या होता है. इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है. उनसे बढ़कर प्यार करना कोई नहीं होता है. पूरी दुनिया ही प्यार के बनी है. यहां पर आकर बहुत अच्छा लग रहा है. उन्होंने कहा कि अच्छा लग रहा है कि यहां पर बच्चे ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं.
अभिभावक डा. दुर्गेश नंदिनी कहती है कि भारतीय संस्कृति और परम्परा बहुत ही समृद्ध रही है. जबसे पाश्चात्य संस्कृति आई है, तो हमारे युवाओं और परिवार का झुकाव उस तरफ हुआ है. यही वजह है कि विद्यालय में इस तरह की नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस तरह का आयोजन शुरू किया गया. इसी से बच्चों के व्यक्तित्व का निर्माण होता है. जो बच्चों के भीतर जो भाव रोल मॉडल के बैठ जाते हैं, बच्चे उनका अनुसरण कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देते हैं. ये विद्यालय का प्रयास सराहनीय है. ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए.
रागेन्द्र कुमार कहते हैं कि वेलेंटाइन डे पाश्चात्य संस्कृति है. हमारी संस्कृति आगे बढ़े इसका प्रयास करना चाहिए. वेलेंटाइन डे पर मातृ-पितृ पूजन दिवस को सरकार को अनिवार्य कर देना चाहिए. कक्षा पांच की छात्रा शिवांशी कहती हैं कि आज उनके ओर माता-पिता के लिए बहुत खास दिन है. हम सबको संदेश देते हैं कि आज के दिन माता-पिता का सम्मान करना चाहिए. कोई हमारे पालन-पोषण के लिए उन्होंने कितने कष्ट दिए हैं. वे कहती हैं कि वेलेंटाइन डे से ज्यादा उनके लिए मातृ-पितृ दिवस महत्व रखता है.
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