चांदी के चम्मच में फंस गये चमचे
-नवेद शिकोह
एक कहावत है- ‘मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होना’। इसका मतलब है- अमीर घराने में पैदा होना। बड़े घरानों में पैदा हुए राजनेताओं को ऐसे ही ताने दिए जाते है। जैसे कि सम्पन्न घर में पैदा होना कोई ऐब है, बुरी बात है या अपराध है।
अक्सर राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे नेताओं पर विरोधी ऐसे तंज़ करते हैं।
लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ की सीट पर चुनाव लड़ रहे सपा अध्यक्ष के खिलाफ विरोधी इस तरह के भी हमले कर रहे हैं- अखिलेश यादव तो चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए थे। जैसे जुमले से भोजपुरी कलाकार रवि किशन ने भी अखिलेश यादव पर तंज़ किया। इस बीच अखिलेश यादव प्रशंसकों में बुरी तरह घिर गये रविकिशन। सोशल मीडिया पर वो कुछ इस तरह ट्रोल हो रहे हैं कि शायद अब ‘चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए ” जैसा ताना ही खत्म हो जाये। अखिलेश यादव के प्रशंसक रविकिशन पर पलटवार करते हुए लिखते हैं – बड़े/ सम्पन्न घर या राजघराने में पैदा होना ऐब की बात है तो भगवान कृष्ण को मानना छोड़ दो ! भगवान श्री राम चंद्र जी पर आस्था क्यों है ! गुरु नानक, महत्मा बुद्ध और भगवान महावीर जैसी हस्तियां भी तो बड़े घरानों में पैदा हुयीं थी। इसमें गलत क्या है। बल्कि ये तो सकारात्मक है।
अखिलेश प्रशंसक सोशल मीडिया में चांदी के चम्मच…. पर जवाब देते हुए लिखते हैं- सनातन धर्म और पुनर्जन्म पर विश्वास रखने वालों को तो सम्पन्न परिवार में पैदा होने वालों को और भी सकारात्मक नजरिए से देखना चाहिए है । पिछले जन्म के अच्छे कर्म ही बड़े घराने में जन्म दिलाते होंगे।
पौराणिक युग से लेकर वर्तमान तक इतिहास के पन्ने खंगालये तो राजदरबारों की मखमली गद्दी वाले आम जनता के लिए तपती धूप में पसीना बहाते.. संघर्ष करने निकल पड़े थे। ऐसे लोगों की लम्बी फेरिस्त है। राजमहल से वनवास का सफर। धर्मयुद्ध। जनता के दुख दर्द के अहसास में राजपाट छोड़कर सत्य की खोज के लिए निकल पड़ना। आप समझ गये होंगे ना !
ये सब लोग भी मुंह में चांदी का चम्मच लेकर ही पैदा हुए थे।