अब कैप्सूल करेगी पराली की निस्तारण, पीलीभीत में अधिकारी गाँव गाँव जाकर दे रहे है ये कैप्सूल
पराली जलाकर जेल गए या जेल के डर से फसल का अवशेष न जलाने वाले किसानो के लिये अच्छी खबर है | अब पराली को गलाने वाले कैपशूल लेकर पीलीभीत के जिला अधिकारी खुद गांव गांव जा रहे है | कैपशूल की एक बड़ी खेप पीलीभीत पहुँच गई है | जिसको लेकर खुद जिला अधिकारी खुद गांव गांव किसानों से मिल रहे है | पराली को गलाने के लिये बनाये गए गड्ढे में खुद जिला अधिकारी उतर गए देखते देखते जिले के सभी अधिकारी गड्डे में उतर गए,फिलहाल किसानों के अब अच्छे दिन आने वाले है |
बता दें कि पीलीभीत जिले में पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिये जिला अधिकारी हर सम्भव प्रयास कर रहे है | पराली को जलने से रोकना इनके लिये एक चैलेंज बनता जा रहा था | इसलिये पराली से जुड़े मामले को लेकर लापरवाही बरतने पर जिला अधिकारी ने 8 लेखपालो को निलम्बित कर दिया | फिर कई पुलिस वालों पर भी कार्यवाही भी की गई | इतना ही नही सख्त कार्यवाही करते ही 3 दर्जन किसानों को हवालात भी जाना पड़ा | पराली को जलने से रोकने के लिये जिला अधिकारी ने हर संभव प्रयास किये |
ये प्रयास अभी तक जारी है, जिला अधिकारी ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली द्वारा विकसित कैप्सूल अपने जिले के लिये मंगा लिये है| जिला अधिकारी कैपशूल का प्रदर्शन गांव गांव जा कर खुद कर रहे है, कैपशूल को 5 लीटर के गुड़ में मिला घोल इससे बने घोल से पराली,गेंहू की नरई,आदि फसल अवशेष को आसानी से गला कर खाद बनाया जा सकता है,इसका पूरा डेमो जिला अधिकारी खुद गांव गांव जा जर रहे है, किसानों को इसका इस्तेमाल करने की कह रहे है |
वैभव श्रीवास्तव जिला अधिकारी पीलीभीत ने कहा कि “पराली जलाने को लेकर दिक्कत हो रही है, सकरात्मक प्रयास जरूरी थी, पराली जलाने से प्रदूषण हो रहा था,अब कैपशूल आ गया है,इससे पराली की खाद बनाई जा सकती है |”
जिला अधिकारी पराली न जले इसके लिये खुद गांव में किसानों से बात कर रहे है, आप को बता दे कि प्रदेश में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले पीलीभीत में ही हुए है, क्योकि साटा धान की फसल बोन के चक्कर मे खेत जल्दी खाली करना होता है | इस लिये किसान पराली को जला देता है, लेकिन अब जिला अधिकारी 20 रुपया का कैपशूल गांव गांव बेच रहे है | जिससे किसान जागरूक हो और पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने का प्रयास करे |