खलीलजाद का इस्तीफा:अफगानिस्तान में US के प्रमुख डिप्लोमैट ने पद छोड़ा,
तालिबान से बातचीत और समझौता इन्होंने ही किया था
जाल्मे खलीलजाद का जन्म अफगानिस्तान में ही हुआ था। (फाइल)
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य वापसी की रणनीति और तालिबान से कतर में समझौता वार्ता करने वाले अमेरिकी डिप्लोमैट जाल्मे खलीलजाद ने इस्तीफा दे दिया है। अब उनकी जगह सीनियर डिप्लोमैट थॉमस वेस्ट लेंगे। तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा किया था। इसके बाद वहां काफी अफरातफरी और हिंसा हुई थी। इसमें अमेरिका के भी 11 सैनिक मारे गए थे। बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन पर काफी दबाव था। माना जा रहा है कि खलीलजाद पर अफगानिस्तान मुद्दे पर नाकामी का ठीकरा फोड़ा गया है।
पहले से कयास थे
अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को एक बयान में साफ कर दिया कि अफगानिस्तान में अमेरिकी एम्बेसेडर रहे जाल्मे खलीलजाद ने पद से इस्तीफा दे दिया है। दो महीने पहले अफगानिस्तान में जो कुछ कुछ अमेरिकी सेना और वहां के लोगों के साथ हुआ, उसके बाद यह तय माना जा रहा था कि किसी न किसी को तो इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। अब खलीलजाद ने खुद पद छोड़ दिया है।
यूएस फॉरेन सेक्रेटरी एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान में कहा- खलीलजाद की जगह उनके डिप्टी थॉमस वेस्ट लेंगे। वेस्ट के पास ही काबुल एम्बेसी की जिम्मेदारी रहेगी जो फिलहाल कतर की राजधानी दोहा से काम कर रही है। हम खलीलजाद की भूमिका और उनके काम की सराहना करते हैं।
साइडलाइन कर दिए गए थे जाल्मे
ब्लिंकन से जब पूछा गया कि खलीलजाद ने इस्तीफा क्यों दिया तो उन्होंने कहा- कुछ मुश्किल मामले हैं। इन पर विचार किया जा रहा है। अब हमें आगे बढ़ना है और ये सोचना है कि अपने अगले प्लान पर अमल कैसे किया जाए।
ब्लिंकन को नई बात नहीं बता रहे हैं। सच्चाई ये है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से ही खलीलजाद किनारे कर दिए गए थे। काबुल में तालिबानी हुकूमत के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में जो बातचीत हुई, उसमें भी खलीलजाद मौजूद नहीं थे। हालांकि, तब तक उन्होंने पद से इस्तीफा नहीं दिया था। इसके बावजूद उन्हें इस बातचीत से दूर रखा गया।
अफगानिस्तान में ही जन्म
खलीलजाद मूल रूप से अफगानिस्तान के ही नागरिक हैं। उनका जन्म कंधार के एक गांव में हुआ। बाद में परिवार अमेरिका आ गया और उनका पूरा कॅरियर यहीं बना। 2018 में उन्हें अफगानिस्तान में अमेरिकी राजदूत की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में समझौता हुआ। उन्हें डोनाल्ड ट्रम्प का करीबी माना जाता है, लेकिन वे बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन में भी शामिल रहे।
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