योगी सरकार 2.0 ने तय किया 100 दिन का एजेंडा, जानें क्या है प्लान
राज्य के 50 हजार से अधिक बेरोजगार लोगों को स्वरोजगार के अवसर मुहैया
लखनऊ. योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीजेपी की ओर से विधानसभा चुनावों को लेकर जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र में किए गए वादों पर अमल करना शुरू कर दिया है. योगी सरकार अब बेरोजगारों को सरकारी नौकरियां और रोजगार के अवसर मुहैया कराने पर फोकस कर रही है.
योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन का एजेंडा तय कर लिया है. सीएम योगी ने इस दौरान करीब 20 हजार खाली सरकारी पदों को भरने और राज्य के 50 हजार से अधिक बेरोजगार लोगों को स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराना है.
वादों को प्राथमिकता के साथ पूरा करने के मकसद
योगी सरकार ने लोगों से किए वादों को प्राथमिकता के साथ पूरा करने के मकसद से सभी सरकारी विभागों को अपने यहां खाली पदों की पूरी लिस्ट बनाकर उनके सामने रखने का निर्देश दिया है, जिससे कि जल्द ही इन सरकारी पदों पर बहाली निकाली जा सके.इसके साथ ही उन्होंने राज्य में अगले पांच वर्षों के दौरान करीब 5 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराने का भी लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री के मुताबिक वह खुद इस लक्ष्य को पूरा करने पर लगातार नजर रखेंगे.
करीब ढाई लोगों को रोजगार के अवसर
यहां गौर करने वाली बात यह है कि राज्य में पिछली बीजेपी सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान एमएसएमई और ओडीओपी जैसी स्कीमों के जरिये प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से करीब ढाई लोगों को रोजगार के अवसर मिले. सीएम योगी आदित्यनाथ का अगला लक्ष्य अब इस संख्या को दोगुना करने का है, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोग आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें. इसके लिए जिला एवं डिविजन के स्तर पर भी स्टार्टअप्स स्थापित करने के निर्देश दिए हैं, जिससे कि युवाओं को अधिक रोजगार मिल सके.
पूरी चयन प्रकिया बीते पांच वर्षों की तरह
मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारियों से यह बात भी साफ कर दी है कि यह पूरी चयन प्रकिया बीते पांच वर्षों की तरह ही बिल्कुल निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से की जानी चाहिए. नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता के उच्च मानक स्थापित करने को लेकर उनकी सरकार की तारीफ भी होती है.योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान यूपी में 5 लाख सरकारी नौकरियां दीं. कोविड-19 महामारी के दौरान भी योगी का ‘मिशन रोजगार’ थमा नहीं और यह प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से निरंतर चलता रहा, जिसमें केवर मेरिट के आधार पर भर्तियां की गईं.