पार्ट टाइम शोध की अनुमति देगी योगी सरकार : डा शर्मा

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप उनकी सरकार प्रदेश में पार्ट टाइम शोध की अनमुति भी दी जाएगी।
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए डा शर्मा ने सोमवार को कहा कि प्रदेश में पार्ट टाइम शोध की अनमुति भी दी जाएगी। शोध के विकास के लिए भी सरकार ने समिति का गठन किया है। सरकार ने समय के बदलाव के साथ ही शिक्षा नीति में बदलाव किए हैं। कोर्स में बदलाव की प्रक्रिया आरंभ की गई है। सरकार का उद्देश्य शिक्षा नीति में बदलाव के साथ एक ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करने का है जिसमें भारतीय संस्कृति व परम्परा का समावेश हो तथा वह रोजगारपरक भी हो। बेरोजगारों की श्रंखला नहीं बने तथा डिग्री हासिल करने वाले युवाओं को रोजगार भी मिल सके ।
उन्होने कहा कि दीक्षान्त समारोह अर्जित ज्ञान से समाज की बेहतरी के लिए काम करने का संकल्प लेने का समय होता है। यह शिक्षा का अन्त नहीं है। इस विश्वविद्यालय से ही अटल बिहारी वाजपेयी , दीनदयाल उपाध्याय तथा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने छात्र छात्राओं को 83 वर्ष की उम्र में पीएचडी करने वाले क्रिकेट कमेन्टेटर रवि चतुर्वेदी का उदाहरण देते हुए कहा कि कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं होता है। आवश्यकता लगन से उसके पीछे जाने की होती है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में वित्त विहीन विद्यालयों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। सरकार शैक्षिक स्तर को बढाने के लिए लगातार प्रयासरत है। सरकार ने सत्र के नियमितीकरण के लिए शैक्षिक कलेन्डर भी बनाया है। सरकार ने प्रतियोगी परीक्षा के विद्यार्थियों को नि:शुल्क कोचिंग के लिए अभ्युदय योजना चलाई है जबकि उच्च शिक्षा के प्रसार के लिए तीन नए राजकीय विश्वविद्यालय खोलने जा रही है।
डा शर्मा ने मंधना में नई शिक्षा नीति पर आयोजित सेमिनार को भी सम्बोधित किया । उन्होंने कहा कि इस नीति का उद्देश्य विश्वविद्यालयों में पठन पाठन को आधुनिक बनाने का है जिससे कि भारत उच्च शिक्षा के बेहतरीन केन्द्र के रूप में स्थापित हो सके । पुरानी शिक्षा नीति के तहत पढाये जा रहे कोर्स से देश में सिर्फ बेरोजगारों की फौज खडी हो रही थी। मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के पहले प्रदेश में शैक्षिक माफियाओं का वर्चस्व स्थापित हो गया था। परीक्षाओं में इस कदर नकल होती थी कि एक एक स्कूल से ट्रकभर नकल सामग्री पकडी जाती थी। नकल एक बडा उद्योग बन गया था।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सबसे पहले परीक्षा केन्द्रों के आवंटन की प्रक्रिया को राजनीतिक दबाव से मुक्त कर पारदर्शी तरह से उनका आवंटन किया। नकल रोकने के लिए परीक्षा केन्द्रों पर एक लाख 91 हजार सीसीटी कैमरे लगाकर तकनीक का प्रयेाग करते हुए नकलविहीन परीक्षाओं को सम्पादित कराया। जो परीक्षाएं ढाई माह चलती थी वे मात्र 15 दिन में होने लगीं। कापियों की भी कोडिंग कराई तथा कापी बदलने वालों पर रासुका लगाई गई। इसका परिणाम नकलविहीन परीक्षा के रूप में सामने आया।
सरकार ने कोर्स में भी परिवर्तन किया तथा एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को लागू किया। एनसीईआरटी की पुस्तके सबसे सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जिसके बाद प्रदेश में जो पुस्तक माफिया थे वे भी समाप्त हो गए। सरकार ने कायाकल्प योजना के तहत बेसिक शिक्षा के स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने के साथ ही जहां शिक्षकों की तैनाती नहीं थी वहां पर शिक्षक तैनात किए गए। माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में 167 दीनदयाल माडल स्कूल खोले। स्मार्ट क्लास बनवाए गए। पिछली सरकारों के 15 साल में केवल 48 विद्यालय खुले थे जिनमें अध्यापक ही नहीं थे। वर्तमान सरकार ने 5987 अध्यापकों के नए पदों का सृजन किया। इनके माध्यम से शिक्षा को नया स्वरूप प्रदान किया।

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