योगी सरकार पर योगी के विधायकों ने ही लगाए भ्रष्टाचार के आरोप ! जानिए क्या है मामला…
- योगी सरकार भ्रस्ट हैं
- योगी के अधिकारी भ्रस्टाचारी हैं
- सीएम योगी का प्रशासनिक अमला लापरवाह और आलसी हैं
योगी का स्वास्थ्य तंत्र नाकारा हैं
ये आरोप योगी सरकार की साख पर धब्बा हैं। ये गुस्सा योगी सरकार की कोरोना कंट्रोल की व्यवस्था पर जोरधार तमाचा हैं। ये भड़ास योगी सरकार के कोरोना को मुंहतोड़ जवाब देने के मंसूबों पर सवाल हैं। लेकिन योगी सरकार के मंसूबों पर ये सवाल हमने नही उठाए। योगी सरकार की साख पर धब्बा लगाने की कोशिश हमारी नही हैं। योगी सरकार की कोरोना कंट्रोल की व्यवस्था पर तमाचा हम नही बल्कि योगी के ही विधायक जड़ रहे हैं। एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार है जो कोरोना कंट्रोल को लेकर अपनी पीठ थपथपाने से नही थक रही हैं। उत्तर प्रदेश में कोरोना कंट्रोल में लगे हुए अपने प्रशासनिक अमले और अधिकारियों की वाहवाही में जुटी हुई हैं। कोरोना काल से उत्तर प्रदेश का उद्दाऱ करने का वादा कर रही हैं और यूपी में कोरोना संक्रमित मरीज़ों के उचित उपचार का दावा कर रही हैं। लेकिन यूपी में कोरोना काल में योगी सरकार के दावों और वादों की हकीकत क्या हैं ..उसका अंदाज़ा जरा इन चिट्ठियों से लगाइए।
सिद्धार्थ नगर के विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने अपने लेटर में लिखा है कि”’डॉ.एम डब्लू खान प्रभारी चिकित्साधिकारी आए दिन कर्मचारियों के साथ अभद्रता करते है और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। साथ ही दो महिला कर्मचारी के साथ अभद्रता की जिसमें से एक महिला नौकरी छोड़ कर चली गई दूसरी महिला कर्मचारी जो इनके अधीन थी उसने अपना स्थानांतरण करवा लिया।
अब ज़रा इस दूसरी चिट्ठी पर भी गौर कीजिए..
मनीष असीजा विधायक ने कहा कि “राजा का ताल स्थित अधग्राम कोरंटाइन सेंटर में ठहरे हुए परिवार एवंम छोटे छोटे बच्चे बच्चियों को अभी तक भोजन और पानी नही मिल पाया हैं।”
अब ज़रा महोबा से आई इस शिकायत पर भी गौर कीजिए
महोबा विधायक राकेश गोस्वामी महोबा ने अपने लेटर में लिखा है कि “महोबा में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुमन ने जनपद की स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्थाओं को पूर्ण तरीके से तहस नहस कर रखा हैं।”
इन शिकायतों को, इन आरोपों को पढ़ कर आपको लग रहा होगा की ये शिकायते और आरोप किसी सामाजिक संस्था या फिर विपक्ष ने सत्ता पर काबिज़ बीजेपी सरकार पर लगाया होगा लेकिन यहां पर आपका ये अनुमान बिल्कुल गलत हैं। कोरोना से छिड़ी जंग में सरकार के मंसूबों,व्यवस्थाओं पर सवाल विपक्ष ने नही बल्कि खुद योगी के विधायकों ने खड़े किए हैं।
सिद्धार्थनगर के बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह और महोबा से बीजेपी विधायक राकेश गोस्वामी ने सीएम योगी के प्रशासनिक अमले पर ना सिर्फ सवाल खड़े किए हैं बल्कि अपनी इन शिकायतों भरी चिट्ठियों से अपने ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस वादे की भी पोल खोल कर रख दी है जिसमे योगी सरकार ये कह रही थी कि उनके अधिकारी उनका प्रशासनिक अमला कोरोना कंट्रोल करने में एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा हैं। साथ ही विधायक मनीष असीजा की चिट्ठी ने योगी सरकार के उन दावों की हवा निकाल दी हैं जिसमें सीएम योगी अलग अलग प्लेटफार्म से ये दावा कर रहे थे कि सरकार कोरोना संक्रमित मरीज़ो की देखभाल के लिए उचित व्यवस्था कर रही हैं, क्योकि फिरोज़ाबाद से विधायक मनीष असीजा ने अपनी शिकायती चिट्ठी में साफ साफ लिखा है कि उनके क्षेत्र में कोरोना मरीज़ो की देखभार खुले तौर पर लापरवाही हो रही हैं। हाल्कि बाद में विधायक मनीष असीजा अपने सुर बदलते हुए भी नज़र आए औऱ सरकार पर अपनी नई बयानबाज़ी में काफी मेहरबान नज़र आए।
साथ ही प्रशासनिक अमला भी योगी के विधायकों की चिट्ठियों पर सफाई देने में पीछे नही हटा और सामने आकर व्यवस्थाओं की फटी चादर में सिलाई करता हुआ दिखाई दिया।
कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने की योगी सरकार की मुहिम पर अभी तक तो विपक्ष ही सवाल उठा रहा था लेकिन अब तो योगी के विधायक ही अपने मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। अब देखना ये होगा कि विधायक मनीष अशिजा की तरह योगी के बाकी विधायक भी अपने सुर बदलते है या फिर अपनी बात पर कायम रहते हैं।