योगी के 7 नए मंत्रियों ने ली शपथ:तीन OBC, 2 दलित, एक एसटी और एक ब्राह्मण चेहरा
जितिन प्रसाद कैबिनेट मंत्री, बाकी 6 राज्य मंत्री बने
यूपी विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले योगी सरकार का दूसरी बार कैबिनेट विस्तार हुआ। 7 नए मंत्रियों ने शपथ ली। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए जितिन प्रसाद ने सबसे पहले शपथ ली। वे कैबिनेट मंत्री होंगे। बाकी 6 राज्य मंत्री होंगे। नए मंत्रियों में 3 OBC, दो दलित, एक एसटी और एक ब्राह्मण चेहरा हैं। चुनाव से पहले सरकार का यह आखिरी विस्तार है। अब योगी कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या बढ़कर 60 हो गई है।
इन 7 चेहरों ने ली शपथ-
1. जितिन प्रसाद (ब्राह्मण)- सबसे पहले जितिन प्रसाद ने शपथ ली। वे कैबिनेट मंत्री बने हैं। तीन महीने पहले वे कांग्रेस से भाजपा में आए थे। पहली बार वे 2004 में अपने गृह क्षेत्र शाहजहांपुर से लोकसभा चुनाव जीते थे।
2. छत्रपाल गंगवार (कुर्मी) – ये बरेली के बहेड़ी से विधायक हैं। कुर्मी समाज से आते हैं। उम्र 65 साल है। रुहेलखंड क्षेत्र को कवर करेंगे।
3. पलटू राम (दलित)- तीसरे नंबर पर शपथ ली। ये बलरामपुर से आते हैं। 2017 में पहली बार जीते थे। दलित समुदाय से आते हैं।
4. संगीता बिंद (ओबीसी)- चौथे नंबर पर शपथ ली। पहली बार विधायक चुनी गई हैं। 42 साल उम्र हैं। पिछड़ी जाति से आती हैं। गाजीपुर सदर सीट से आती हैं। छात्र राजनीति भी की है।
5. संजीव कुमार (अनुसूचित जनजाति) – सोनभद्र के ओबरा सीट से विधायक हैं। ये अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष हैं। आदिवासी समुदाय से आते हैं।
6. दिनेश खटीक (एससी)- छठे नंबर पर शपथ ली। मेरठ के हस्तिनापुर सीट से विधायक हैं। खटीक (सोनकर) समाज से आते हैं। दलित समुदाय से आते हैं। पश्चिम यूपी से मंत्री बने हैं।
7. धर्मवीर प्रजापति (ओबीसी)- सबसे आखिर में शपथ ली। धर्मवीर प्रजापति हाथरस से आते हैं। विधान परिषद सदस्य हैं। 2021 में ही विधान परिषद में पहुंचे हैं। माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।
इससे पहले राज्यपाल आनंदी बेन पटेल दोपहर 12:45 बजे गुजरात से लखनऊ राजभवन पहुंचीं। इसके बाद दोपहर 2 बजे एक हाई लेवल मीटिंग हुई। इसमें कैबिनेट विस्तार की आधिकारिक घोषणा की गई।
बड़े अपडेट्स…
सीएम योगी अपने आवास से राजभवन पहुंच गए हैं। शपथ समारोह का कार्यक्रम करीब आधे घंटे चला।भाजपा ने कैबिनेट विस्तार से पहले 4 एमएलसी के नाम तय कर दिए। इनमें जितिन प्रसाद, डॉ. संजय निषाद, गोपाल अंजान और वीरेंद्र गुर्जर के नाम शामिल हैं।यूपी भाजपा के उपाध्यक्ष एके शर्मा, पूर्व राज्यपाल और 5 दिन पहले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनी बेबी रानी मौर्य और संजय निषाद को मंत्री नहीं बनाया जाएगा।समारोह की कवरेज के लिए सिर्फ प्रिंट और टेलीविजन एजेंसियों को बुलाया गया था।
जातीय समीकरण साधने के पीछे की तीन बड़ी वजह
कैबिनेट विस्तार के जरिए भाजपा की पहली प्राथमिकता जातीय समीकरण साधने की रही है। 2017 विधानसभा चुनाव में BJP को UP में सभी जातियों का साथ मिला था, इसीलिए पार्टी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 325 सीटें जीती थीं।UP में OBC करीब 40% हैं। दलित वोटर्स करीब 21% हैं। इस लिहाज से ये भी सियासत में काफी मायने रखते हैं। इसीलिए इन दोनों समुदायों को मंत्रिमंडल में तरजीह मिली है। इसके बाद नंबर आता है 20% अगड़ी जातियों का। इसमें सबसे ज्यादा 11% ब्राह्मण, 6% ठाकुर और 3% कायस्थ और वैश्य हैं।यादव को छोड़कर पिछले चुनाव में पिछड़ी जाति का बड़ा वोट BJP को मिला था। साथ ही जाटव को छोड़ बड़ी संख्या में दलितों ने भी BJP को वोट किया था, लेकिन जिन छोटे दलों को साथ लेकर BJP इन वोट बैंक को अपने पाले में लाई थी, वह अब पार्टी से या तो दूर हैं या फिर नाराज।
दूसरी बार मंत्रिमंडल का विस्तार
19 मार्च 2017 को सरकार गठन के बाद 22 अगस्त 2019 को यूपी की योगी सरकार ने पहली बार मंत्रिमंडल विस्तार किया था। तब मंत्रिमंडल में 56 सदस्य थे। इसके बाद कोरोना के चलते तीन मंत्रियों का निधन हो गया। इसलिए 7 जगह खाली थीं।UP में कैबिनेट मंत्रियों की अधिकतम संख्या 60 तक हो सकती है। पहले मंत्रिमंडल विस्तार में 6 स्वतंत्र प्रभार मंत्रियों को कैबिनेट की शपथ दिलाई गई थी। इसमें 3 नए चेहरे भी थे।
7 मंत्री पद खाली थे
यूपी सरकार में अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। मौजूदा मंत्रिमंडल में 23 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 21 राज्य मंत्री हैं, यानी कुल 53 मंत्री हैं। इस हिसाब से 7 मंत्री पद अभी खाली थे। इस विस्तार के साथ अब कोटा फुल हो गया है।