तालिबान को कंगाल करने का प्लान,
अमेरिका और आईएमएफ के बाद अब वर्ल्ड बैंक ने लिया बड़ा एक्शन, रोका काम
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‘बाइडन कितने आतंकी US लाएंगे?’ ट्रंप का एक और हमला, कहा- हो सकता है काबुल से हजारों आतंकी एयरलिफ्ट किए गए हों
पीटीआई,वाशिंगटनPublished By: Shankar Pandit
Wed, 25 Aug 2021 08:06 AM

अफगान नीतियों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति पर शुरू से ही हमलावर रहे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से हमला बोला है और चिंता जताई है कि हो सकता है निकासी प्रक्रिया के रूप में काबुल से हजारों आतंकी एयरलिफ्ट किए गए हों और अफगानिस्तान से बाहर निकल गए हों। डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि जो बाइडन ने अफगानिस्तान को आतंकवादियों के हवाले कर दिया और हमारे नागरिकों के सामने सेना को हटाकर हजारों अमेरिकियों को मरने के लिए छोड़ दिया।
डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि अब हमें यह जानकारी मिल रही है कि अफगानिस्तान से जिन 26,000 लोगों को निकाला गया है, उनमें से केवल 4,000 अमेरिकी हैं। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि हम केवल कल्पना कर सकते हैं कि अफगानिस्तान से दुनिया भर के पड़ोस में और कितने हजारों आतंकवादियों को एयरलिफ्ट किया गया है। क्या भयानक विफलता है। इसकी कोई जांच नहीं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जो बाइडन अमेरिका में और कितने आतंकवादी लाएंगे? हम नहीं जानते।
इस बीच अफगानिस्तान में युद्ध के एक अनुभवी रिपब्लिकन कांग्रेसी माइक वाल्ट्ज ने प्रतिनिधिसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें तालिबान के हमले की गति और प्रकृति के बारे में सैन्य और खुफिया सलाहकारों की सलाह पर ध्यान देने में जो बाइडन की विफलता की निंदा की गई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन ने वैश्विक मंच पर संयुक्त राज्य अमेरिका को शर्मसार किया है और हमारे आधुनिक इतिहास में यह सबसे खराब विदेश नीति रही है।
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तालिबान ने दी है धमकी
वहीं, तालिबान ने मंगलवार को चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा विमान के जरिये अफगानिस्तान से लोगों को ले जाने की कार्रवाई 31 अगस्त तक खत्म हो जानी चाहिए। इससे , पहले ही निकासी के लिए बना अफरा-तफरी का माहौल और गंभीर हो सकता है क्योंकि उत्पीड़न की नयी खबरों से देश छोड़कर जाने के इच्छुक हजारों लोगों की धड़कनें और बढ़ गई हैं।
31 अगस्त ही रहेगा डेडलाइन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी और सहयोगी अफगान नागरिकों की निकासी के लिये तय 31 अगस्त की समयसीमा को नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। बाइडन ने राष्ट्रीय सुरक्षा दल के साथ चर्चा के बाद यह फैसला लिया है। समयसीमा खत्म होने के बाद बलों के अफगानिस्तान में रहने पर होने वाले खतरों को भांपते हुए उन्होंने निकासी मिशन को अगले मंगलवार तक पूरा करने का विकल्प चुना है। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण से बहुत पहले खुद बाइडन ने ही यह समयसीमा तय की थी।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। अभी तक अधिकतर देशों ने तालिबानी शासन को मंजूरी नहीं दी है और इस बीच अब विश्व बैंक ने भी बड़ी कार्रवाई की है। वर्ल्ड बैंक ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगा दी है। विश्व बैंक के प्रवक्ता ने इसकी जानकारी दी है।
वर्ल्ड बैंक ने अफगानिस्तान के हालात, खासतौर पर महिला अधिकारों की स्थिति से चिंतित होकर यह फैसला लिया है। प्रवक्ता ने बताया कि फिलहाल वर्ल्ड बैंक ने सभी आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है और अब स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। बता दें कि अमेरिकी सेना 31 अगस्त तक अफगानिस्तान छोड़ देगी लेकिन इससे करीब 2 हफ्ते पहले ही अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है।
इससे पहले अमेरिका ने भी बीते हफ्ते यह ऐलान किया था कि वह अपने देश में मौजूद अफगानिस्तान के सोने और मुद्राभंडार को तालिबान के कब्जे में नहीं जाने देगा। अकेले अमेरिका में ही अफगानिस्तान की करीब 706 अरब रुपये की संपत्ति है।
वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने भी अफगानिस्तान की आर्थिक मदद रोक दी थी। आईएमएफ ने तालिबान के अफगानिस्तान को अपने संसाधनों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 460 मिलियन अमरीकी डॉलर यानी 46 करोड़ डॉलर (3416.43 करोड़ रुपये) के आपातकालीन रिजर्व तक अफगानिस्तान की पहुंच को ब्लॉक करने की घोषणा की थी, क्योंकि देश पर तालिबान के नियंत्रण ने अफगानिस्तान के भविष्य के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है।
विश्व बैंक के मौजूदा समय में अफगानिस्तान के अंदर दो दर्जन से ज्यादा प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। बैंक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, साल 2002 से लेकर अब तक विश्व बैंक की तरफ से अफगानिस्तान को 5.3 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है।