……तो क्या टैक्टर रैली के बाद रद्द हो जायेगा किसान बिल?
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नई दिल्ली
पिछले दो महीने से जो किसान आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था, उसने मंगलवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर हिंसक रूप ले लिया। हद तो तब हो गई जब किसान प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने लाल किले की प्राचीर में पहुंचकर धार्मिक ध्वज फहरा दिया। किसान नेताओं ने इस घटना को शर्मनाक बताया। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर एनसीपी नेता शरद पवार तक ने हिंसा को गलत करार दिया है।
सरकार से अगली बातचीत कब होगी, इस पर भी कुछ साफ नहीं था और मंगलवार की घटना के बाद इस पर असमंजस और बढ़ गया है। अब सवाल है कि जो किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर पिछले दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डटे थे, उनका अब क्या होगा। किसान आंदोलन अब किस राह पर है।
किसान यूनियनों का कहना है कि उनका अगला प्लान बजट वाले दिन संसद तक मार्च निकालने का है जिसे फिलहाल रद्द नहीं किया गया है। हालांकि मंगलवार की हिंसा के बाद अब कोर्ट और केंद्र सरकार शायद ही उदारता दिखाए। किसान यूनियनों को अब तक कई नोटिस मिल चुकी है और अब उनसे इस बारे में भी पूछताछ की जा सकती है कि आखिर ट्रैक्टर रैली उनके नियंत्रण से बाहर कैसे हो गई।
ट्रैक्टर रैली के लिए दूसरे राज्यों नसे मिला प्रोत्साहन
ऑल इंडिया किसान सभा के पी कृष्णा प्रसाद और जय किसान आंदोलन के अविक साहा मानते हैं कि दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली से दूसरे राज्यों से किसानों को प्रोत्साहन मिला है। रोहतक टिकरी बॉर्डर पर ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेने वाले प्रसाद ने कहा, ‘इस तरह की घटनाएं आंदोलन की कमजोर नहीं करेंगी। अब यह जन आंदोलन बन चुका है और पूरे देश में फैल चुका है। अब लोग किसान संगठनों के नेतृत्व में नहीं हैं।’
….तो इस गुट ने मचाया उपद्रव
बजट सत्र में किसान बिल की वजह से होगा बवाल
सरकार अपना स्टैंड लेने में बरत रही सावधानी
दिल्ली में मंगलवार को मचे उत्पात और पुलिस पर हमले को लेकर सरकार अपना स्टैंड को लेकर बेहद सावधानी बरत रही है। सरकार की कोशिश है कि किसी भी तरह से उसके स्टैंड की इसकी किसान विरोधी तस्वीर न बने जिससे दूसरे हिस्सों में रह रहे कृषि समुदाय के लोग नाराज हो सकते हैं। यही वजह है कि कल की घटना पर अभी तक किसी केंद्रीय मंत्री का बयान नहीं आया है।