जापान के नए पीएम फुमियो किशिदा के साथ कैसे होंगे भारत के संबंध, जानें कैसे हैं पीएम मोदी के साथ रिश्ते
ऐसे समय में जब भारत और जापान के रणनीतिक रिश्ते बेहद मजबूत होने की राह पर हैं फुमियो किशिदा का नए प्रधानमंत्री के तौर पर निर्वाचित होना भारत के लिए एक शुभ समाचार है। किशिदा भारत और जापान की मजबूती दोस्ती एवं रणनीतिक रिश्तों के पुराने हिमायती हैं।
ऐसे समय में जब भारत और जापान के रणनीतिक रिश्ते बेहद मजबूत होने की राह पर हैं, फुमियो किशिदा का नए प्रधानमंत्री के तौर पर निर्वाचित होना भारत के लिए एक शुभ समाचार है। किशिदा भारत और जापान की मजबूती दोस्ती एवं रणनीतिक रिश्तों के पुराने हिमायती हैं। वर्ष 2015 में विदेश मंत्री का पद संभालने के बाद उन्होंने सबसे पहले भारत की यात्रा कर इसका सबूत दिया था। किशिदा के मन में भारत के साथ रिश्तों की विशेष अहमियत होने के बावजूद दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के भावी सालाना शिखर सम्मेलन में विलंब होने की संभावना है। तकरीबन कई वजहों से यह सालाना शिखर सम्मेलन वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में नहीं हो पाया है। असम में हिंसा होने की वजह से दिसंबर 2019 की पूर्व पीएम आबे की यात्रा अंतिम समय में टाल दी गई थी। उसके बाद आबे के भारत आने की तैयारी चल रही थी कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया।
मौका मिलते ही मोदी-आबे के बीच प्रगाढ़ हुए रिश्तों को ले जाएंगे आगे
पीएम मोदी और पीएम सुगा की एक पखवाड़े पहले ही वाशिंगटन में द्विपक्षीय बैठक हुई लेकिन अभी शिखर सम्मेलन नहीं हो पाया है। इसको लेकर दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के बीच संपर्क बना हुआ है। अब देखना होगा कि नए पीएम किशिदा भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए भारत आते हैं या जल्द होने वाले चुनाव प्रक्रिया में व्यस्त हो जाते हैं। किशिदा को जापान की राजनीति में बेहद तेज-तर्रार और वक्त के हिसाब से अपनी छवि व रणनीति में बदलाव करने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है।
अभी उनके समक्ष जापान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ ही चीन की बढ़ती ताकत, हिंद-प्रशांत महासागर को लेकर बन रहे गठबंधन में जापान की भूमिका को स्पष्ट करने और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने जैसी चुनौतियां हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों पर फिलहाल वह बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे पाएंगे। लेकिन इतना तय है कि मौका आने पर वो पीएम नरेन्द्र मोदी और जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे द्वारा द्विपक्षीय रिश्तों को दी गई दिशा को निश्चित तौर पर आगे ले जाएंगे।
वर्ष 2015 में विदेश मंत्री बनने के बाद सबसे पहले भारत ही आए थे
इसकी वजह यह है कि वह कई बार भारत की यात्रा कर चुके हैं।वर्ष 2015 में किशिदा ने तब विदेश मंत्री बनने के बाद सबसे पहले भारत की यात्रा करने का फैसला किया था। इसका जिक्र उन्होंने नई दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान एक सार्वजनिक भाषण में भी किया था। तब किशिदा ने कहा था कि विदेश मंत्रालय संभालने के बाद सबसे पहले भारत आने का फैसला उन्होंने भारत और जापान के विशेष रिश्ते को देखते हुए किया।
यह ऐसी साझेदारी है जो नए युग का नेतृत्व करेगी, एक ऐसा युग जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नई समृद्धि का शुभारंभ करेगी। हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति व समृद्धि सिर्फ भारत व जापान के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के महत्वपूर्ण है। भारत और जापान को एशिया के सबसे लोकतांत्रिक व सफल देश के तौर पर गिनाते हुए किशिदा ने यह भी कहा था कि इन दोनों देशों की साझेदारी व नेतृत्व हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र के लिए जरूरी है। उन्होंने पीएम मोदी के इस वक्तव्य का भी समर्थन किया कि 21वीं सदी में एशिया का भविष्य भारत और जापन ही तय करेंगे।