क्या मायावती के ‘BDM’ समीकरण से सपा का होगा नुक्सान, बसपा ने दिए ये संकेत
मायावती ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर बोला हमला, जानिए क्या कहा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर अब बहुत कम समय बचा हैं। वही तैयारिया जमकर चल रही हैं। ऐसे में सभी नेता हमलावर हो रहे है। इसी कड़़ी में बसपा सुप्रीमो मायावती 15 जनवरी को अपने बर्थडे पर सामने आईं और स्वामी पर जमकर हमला बोला। यही नहीं अपने बयान से उन्होंने साफ कर दिया कि जातियों के नाम पर गोलबंदी के बीच उनकी क्या रणनीति है। स्वामी प्रसाद मौर्य का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि वह किस तरह से जहर उगल रहे हैं, आप सभी ने देखा होगा। बीएसपी चीफ ने इस दौरान आंबेडकरवाद की भी परिभाषा बताई। उन्होंने कहा, ‘हम जब आंबेडकरवाद की बात करते हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि वह किसी जाति के खिलाफ नहीं थे बल्कि जाति व्यवस्था के खिलाफ थे। वह इस बुराई को मिटाकर समतामूलक समाज के निर्माण की बात करते थे। इसलिए उच्च जातियों के जो लोग इसके खिलाफ हैं, उन्हें साथ लेकर चलना होगा। जब समाज में सद्भाव होगा, तभी तो समतामूलक समाज बन पाएगा।’
क्या मायावती के ‘BDM’ समीकरण सपा का होगा नुक्सान
इ दौरान मायावती ने कहा कि वह सपा की 85 बनाम 15 की लड़ाई की बजाय सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के अपने नारे के साथ जाने की तैयारी में हैं। उच्च बिरादरियों से सद्भाव का संदेश दे मायावती ने सीधे तौर पर सवर्ण बिरादरियों को साधने का संकेत दिया। यही नहीं इस दौरान उन्होंने अपनी पहली लिस्ट भी जारी। इसमें मुस्लिमों और ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा टिकट दिए गए हैं। माना जा रहा है कि वह ‘BDM’ गठजोड़ यानी ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम पर आगे बढ़ रही हैं। यदि उन्हें इस समीकरण पर वोट मिलते हैं तो सपा को बड़ा झटका लग सकता है। इसकी वजह यह है कि सपा के 85 फीसदी का ही बड़ा हिस्सा मायावती के ‘BDM’ समीकरण में शामिल है।
इमरान और मसूद अख्तर बसपा में हो सकते हैं शामिल
स्वामी प्रसाद मौर्य ने जिस तरह से अगड़े और पिछड़े का कार्ड चला है, उसे देखते हुए सपा को इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि इससे सवर्णों के एक वर्ग जो सपा को वोट दे सकता था, वह छिटक सकता है। वहीं मायावती के टिकट वितरण और आंबेडकरवाद की नई परिभाषा उसे लुभा सकती है। यही नहीं जिन जगहों पर सपा ने मुस्लिम उम्मीदवार नहीं दिए हैं, वहां बसपा के कैंडिडेट को लाभ मिलने की स्थिति है। खासतौर पर पश्चिम यूपी में ऐसा हो सकता है। यहां तक कि सहारनपुर में इमरान मसूद और मसूद अख्तर भी हाथी की सवारी की तैयारी में हैं। यदि ये दोनों नेता बसपा में जाते हैं तो फिर सपा को सीधे तौर पर पश्चिम यूपी में मुस्लिम वोटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इतने ब्राह्मणों को मायावती ने बांटे टिकट
बहुजन समाज पार्टी की ओर से जारी की गई पहली लिस्ट में मुस्लिमों से लेकर ब्राह्मणों तक पूरी जगह दी गई है। पार्टी की ओर से जारी की गई सूची में करीब 17 फीसदी ब्राह्मणों को टिकट दिया गया है। इससे पहले 2007 में जब बसपा सत्ता में आई थी तो करीब 25 फीसदी ब्राह्मण उम्मीदवारों को पार्टी ने टिकट दिए थे। वह एक बार फिर से इसी फॉर्म्यूले पर यकीन करती दिख रही है। इस बार ब्राह्मण मतदाताओं के भाजपा से नाराजगी की खबरें भी हैं। ऐसे में नाराज मतदाताओं को साधने का प्रयास करती बसपा प्रमुख मायावती दिखती हैं। उन्होंने पहली सूची में 9 ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट दिया है।