क्या सियासत की भेंट चढ़ेगा जोशीमठ ?
जोशीमठ आपदा पर सरकार गंभीर, विपक्ष कर रहा राजनीति
देहरादून। काबीना मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि जोशीमठ भू-धंसाव पर सरकार पूरी गंभीरता के साथ काम कर रही है। इसमें केन्द्र का भी पूरा सहयोग मिल रहा है लेकिन विपक्ष आपदा में भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहा। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का बयान कुंठित मानसिकता का है।
सोमवार शाम सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में काबीना मंत्री सुबोध उनियाल ने जोशीमठ को लेकर पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरी तत्परता के साथ कार्य में जुटी है। जोशीमठ के मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बैठक बुलाई है। इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी लगातार इसपर ध्यान रख रहे हैं। प्रधानमंत्री इस मामले का संज्ञान लेकर हर संभव सहयोग का भरोसा दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार जोशीमठ में वरिष्ठ अधिकारियों को नामित करने जा रही है, जो हर दिन वहां के कार्य पर नजर रखेंगे। मुख्य सचिव के साथ उच्च अधिकारी लगातार दौरा कर रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि जोशीमठ मामले पर विपक्ष राजनीतिकरण कर रहा है। दरअसल पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस नेता पावन खेड़ा के अलग-अलग बयान दे रहे हैं। हरीश रावत अपनी उम्र के इस दौर में हैं जहां पर समझ नहीं आता कि क्या बोलना है और क्या नहीं। वो बुजुर्ग हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि 1976 में तत्कालीन आयुक्त श्री मिश्रा ने एक रिपोर्ट भेजी थी। जिस पर चिंता होनी चाहिए थी और वर्ष 1989 तक कांग्रेस की सरकार रही। राज्य गठन के बाद भी सरकार बनी। ऐसे में यह कहना कि किसी पार्टी विशेष की सरकार ने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा तो इसका पहला आरोप कांग्रेस पार्टी पर रहेगा। उन्होंने कहा कि मैं इस बात को स्वीकृत करता हूं कि गलतियां हुई हैं। शुरुआत से ध्यान दिया जाना चाहिए था। इसके बावजूद हमारी सरकार ने बेहद तत्परता से काम किया, हर जगह अधिकारी तैनात किए हैं, तमाम टीमों को भेजा गया है।इसलिए किसी एक पर दोष मढ़ना ठीक नहीं है। इस समय विपक्षी दलों को भी मदद के लिए आगे आना चाहिए न कि गलत बयानबाजी की जाए।
मंत्री ने कहा कि विस्थापितों को अनुग्रह राशि को लेकर मंत्रिमंडल बुलाई जाएगी। पानी के सोर्स का पता लगाया जा रहा है। जल्द ही इसका पता चल जायेगा। विस्थापन के लिए वार्ड वार काम किया जा रहा है।
मंत्री ने एक सवाल पर कहा कि टनल अगर पहाड़ों की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से नहीं होंगे तो राज्य और केंद्र सरकार इस पर भी विचार करेगी। टनल ब्लास्टिंग होती है इसका दुष्प्रभाव मकानों पर पड़ता है। पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही सब साफ हो पाएगा। सरकार राज्य और लोगों के हित में निर्णय में देरी नहीं करेगी।