उमा भारती लेंगी राजनीति से सन्यास , त्याग देंगी भगवा जानें इसके पीछे की बड़ी वजह!
प्रदेश की राजनीति में कई तरह की अटकलें लग रही हैं। उमा भारती बीजेपी की फायर ब्रांड नेत्री हैं, वह राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी रही हैं। साथ ही एमपी की सीएम और केंद्र में मंत्री रही हैं। उन्होंने ट्वीट में घोषणा की है कि
बीजेपी नेता उमा भारती ने शुक्रवार और शनिवार को ‘संन्यास’ को लेकर कई ट्वीट किए। इसके बाद उनके राजनीतित लक्ष्यों को लेकर कई तरह की अटकलें लगाईं जा रही हैं। दो दिनों में उसने 27 ट्वीट्स किए हैं। साथ ही उन्होंने यह याद किया है कि कैसे 30 साल हो गए, जब उन्होंने अमरकंटक में संन्यास की दीक्षा ली थी। राजमाता विजयाराजे सिंधिया के साथ उनका जुड़ाव और राजनीति में उनकी यात्रा। उन्होंने अयोध्या प्रकरण का भी उल्लेख किया है। उमा भारती ने कहा कि कैसे उन्हें संन्यास लेने के तुरंत के बाद आंदोलन के लिए भीड़ जुटाने के लिए कहा गया था। साथ ही अपने ट्वीट में यह जिक्र किया है कि उनकी राजनीति के कारण उनके परिवार के सदस्यों को कैसे नुकसान हुआ है।
इसके बाद प्रदेश की राजनीति में कई तरह की अटकलें लग रही हैं। उमा भारती बीजेपी की फायर ब्रांड नेत्री हैं, वह राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी रही हैं। साथ ही एमपी की सीएम और केंद्र में मंत्री रही हैं। उन्होंने ट्वीट में घोषणा की है कि वह ‘संन्यास दीक्षा’ के 30 साल पूरे होने पर पर परिवार को त्याग देंगी और अलग रहेंगी। पूरे विश्व समुदाय के लोग उनके परिवार के रूप में हैं।
उन्होंने कहा कि जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने मुझे सभी व्यक्तिगत संबंधों और नामों को त्यागने का आदेश दिया है। मुझे केवल दीदी मां कहकर भारत के सभी नागरिकों को अपने भारती को अर्थपूर्ण बनाने के लिए अपनाना चाहिए। उमा भारती ने ट्वीट में लिखा कि पूरा विश्व समुदाय मेरा परिवार होना चाहिए।
पूर्व सीएम ने कहा कि मैंने यह भी निश्चय कर लिया था कि मैं अपनी संन्यास दीक्षा के 30वें वर्ष से उनकी आज्ञा का पालन करूंगा। उन्होंने मुझे यह निर्देश 17 मार्च 2022 को सभी संतों की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से घोषणा करके दिया था। मैं अपने परिवार के सदस्यों को सभी बंधनों से मुक्त करता हूं और मैं स्वंय 17 तारीख को मुक्त हो जाऊंगा। मेरी दुनिया और परिवार बहुत व्यापक हो गए हैं। अब मैं पूरे विश्व समुदाय की दीदा मां हूं, मेरा कोई निजी परिवार नहीं है। उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता के दिए उच्चतम संस्कार, अपने गुरु की नसीहत, अपनी जाति और कुल की मर्यादा, अपनी पार्टी की विचारधारा और अपने देश के लिए मेरी जिम्मेदारी इससे मैं अपने आपको कभी मुक्त नहीं करूंगी।
शुक्रवार को उन्होंने संन्यास और परिवार के सदस्यों के त्याग पर राजनीतिक लक्ष्य अस्पष्ट थे। शनिवार को ट्वीट कर स्पष्ट किया कि मैं अमरकंटक में अब संन्यास नहीं लेने वाली और न अब मेरा नाम बदलने वाला है। मैंने जो लिखा है कि उसको फिर से पढ़िए। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्हें दुनिया को परिजन के रूप में स्वीकार करने का मतलब है कि वह राजनीति से संन्यास ले लेंगी।
2014 में उमा भारती ने लोकसभा चुनाव झांसी से लड़ा था। 2019 में उन्होंने घोषणा की थी कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी लेकिन उन्होंने पिछले तीन वर्षों में बार-बार कहा कि वह 2024 में चुनाव लड़ने का इरादा रखती हैं।
वहीं, उमा भारती के ट्वीट पर बीजेपी के नेता चुप्पी साधे हुए हैं। राज्य बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ हितेश वाजपेयी ने कहा कि उमा भारती ने अपनी पवित्र और व्यक्तिगत क्षमता में ट्वीट किया है। हम उनकी भावनाओं और उन्होंने जो कुछ भी कहा है, उसका सम्मान करते हैं। उनके जीवन में एक अतिरिक्त राजीनितिक स्थिति है, जिसक वह बड़ी भक्ति के साथ पालन करती हैं।