प्रिंसिपल की बेटी की सुसाइड में इनसाइड स्टोरी:
रेलवे में कर्मचारी पिता से बोली थी- आपका रेलवे में होने का क्या फायदा; एक टिकट तक नहीं करवा सकते, डॉक्टर बोले- यह इमोशनल डिसऑर्डर
भोपाल में मिसरोद इलाके में सुसाइड करने वाली महिला प्रिंसिपल की 24 साल की बेटी अपने पिता से नाराज थी। बात सिर्फ इतनी थी कि वह भतीजे का रेल टिकट नहीं करवा पाए थे। टिकट बुक नहीं होने पर लड़की ने कहा था- आपके रेलवे में होने का क्या फायदा है, जब आप टिकट तक नहीं करवा सकते। वह 3 दिन से पिता से बात तक नहीं कर रही थी।
पुलिस पूछताछ में इसका पता चला है। मामले में रिटायर्ड प्रोफेसर एंड एचओडी डॉक्टर आर एन साहू का कहना है कि यह केस इमोशनल डिसऑर्डर का लग रहा है। लड़की को लगता था कि पिता रेलवे में हैं, तो टिकट आसानी से हो जाएगा। इसी कारण उसने टिकट नहीं होने की बात को दिल पर ले लिया होगा। सुसाइड की कोशिश करने या फिर सुसाइड करने वाले 100% मानसिक डिप्रेशन के शिकार होते हैं। ऐसे लोगों की पहचान करना और उनको समझने की जरूरत होती है।
टीआई मिसरोद निरंजन शर्मा ने बताया कि 24 साल की यशी भटनागर अपनी मां प्रेमलता भटनागर के साथ ईटन पार्क मिसरोद में रहती थी। कैंप नंबर 12 बैरागढ़ में रहने वाले उसके पिता रोहताश भटनागर डीआरएम ऑफिस में ओएस और मां प्रेमलता विदिशा के नर्सिंग कॉलेज में प्रिंसिपल हैं। रोहताश बीच-बीच में पत्नी-बेटी के साथ आकर रहते थे।
रोहताश ने पुलिस को बताया कि उनका भतीजा भोपाल में आया था। यशी ने 3 दिन पहले कहा था कि चचेरे भाई का दिल्ली जाने के लिए शताब्दी में रिजर्वेशन करा दो। बुकिंग फुल होने के कारण उसका टिकट नहीं हो पाया। इसे लेकर यशी ने उनसे कहा था कि रेलवे में होते हुए अगर टिकट नहीं करा सकते हो, तो रेलवे में होने का क्या फायदा है। इस कारण उन्होंने उसे डांट दिया था। इससे वह नाराज थी। 3 दिन से वह उनसे बात भी नहीं कर रही थी।
रात को खाना खाने के बाद सोने चली गई थी
पिता ने पुलिस को बताया कि रात को रोजाना की तरह सभी ने खाना खाया। उसके बाद उनकी पत्नी और बेटी कमरे में सोने चली गई। मैं भी कमरे में सोने चला गया था। उसके बाद क्या हुआ किसी को पता नहीं। रात को करीब ढाई बजे प्रेमलता की नींद खुली, तब पता चला कि यशी ने फांसी लगा ली है।
सुसाइड का कारण डिप्रेशन डॉक्टर साहू ने बताया कि आधुनिकता से भरी जीवनशैली के चलते लोगों में तनाव बढ़ रहा है। सब कुछ लोगों को जल्दी और मन के मुताबिक चाहिए। इस कारण जॉब वर्क से लेकर रिश्तों में तनाव, पारिवारिक समस्याएं, दहेज, घर में कलह, घरेलू हिंसा, सोशल लाइफ, प्यार में नाकाम होना, नशे आदि की लत, परीक्षा में फेल होने और शादी न होने, व्यापार में घाटे से लेकर मन के अनुसार चीजें नहीं होने को लोग दिल पर ले लेते हैं। उनका मानना होता है कि ऐसा कैसे हो सकता है। इसी कारण लोग मानसिक तनाव का शिकार होने लगते हैं। जब यह 100% तक पहुंच जाता है, तो सुसाइड जैसा कदम उठाते हैं।