इलेक्ट्रिक वाहनों के टायर से होने वाला प्रदूषण क्यों है घातक?

दिल्ली:किसी भी कार के लिए टायर काफी मायने रखता है। टायर पर ही कार का पूरा वजन होता है और यह कार को सड़क के साथ संपर्क बनाए रखने में मदद करता है। कार बिना फिसलन के तेजी से सड़कों पर दौड़ सके, मुड़ सके और जरूरत के वक्त ब्रेक लगाने पर रुक जाए, इसके लिए जरूरी है कि सड़क पर टायर की पकड़ मजबूत हो।

हालांकि, कार चलाने के दौरान ऊर्जा की खपत कम हो, इसके लिए जरूरी है कि टायर कम रोलिंग प्रतिरोधी हो. सामान्य शब्दों में कहें, तो टायर आसानी से सड़क पर घूम सके।हाल के वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का इस्तेमाल बढ़ने से उनका काम और भी जटिल हो गया है।इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए अलग टायरों की जरूरत क्यों ईवी में काफी बड़ी-बड़ी बैटरियां होती हैं।

इस वजह से अन्य ईंधन से चलने वाले कारों की तुलना में ईवी काफी भारी होते हैं।उदाहरण के लिए, फोल्क्सवागेन का ई-गोल्फ (ईवी), पेट्रोल से चलने वाले गोल्फ वीआईआई की तुलना में 400 किलोग्राम ज्यादा भारी है। यह अतिरिक्त भार कार के टायरों पर पड़ता है।इसलिए, ईवी के लिए ऐसे टायरों की जरूरत होती है जो ज्यादा मजबूत हों।जीवाश्म ईंधन वाले इंजन की तुलना में ईवी में अधिक टॉर्क होता है। इसलिए, ये गाड़ियां तुरंत रफ्तार पकड़ लेती हैं। ऐसे में इनमें इस्तेमाल किए जाने वाले टायर भी इस तरह के होने चाहिए जो तुरंत रफ्तार पकड़ने में मदद कर सकें।

एमिशन एनालिटिक्स कंपनी स्वतंत्र रूप से कार की जांच करती है।वह कार के टेलपाइप से होने वाले उत्सर्जन के साथ-साथ टायर से होने वाले प्रदूषण की भी जांच करती है। इस कंपनी ने जो डाटा इकट्ठा किया है उससे यह पुष्टि होती है कि कार के टेलपाइप से होने वाले उत्सर्जन की तुलना में टायर के कण ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।

एमिशन एनालिटिक्स ने एक रिपोर्ट शेयर की है।इस रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ एक कार से प्रति वर्ष औसतन 4 किलोग्राम टायर के कण निकलते हैं।वैश्विक स्तर पर बात करें, तो यह सालाना 60 लाख टन टायर कणों के बराबर है।

एमिशन एनालिटिक्स ने जो केस स्टडी प्रकाशित की है उसमें टेस्ला मॉडल वाई के टायर से निकलने वाले कण की तुलना किआ निरो से की गई है। इसमें पाया गया कि टेस्ला के टायर का घिसाव 26 फीसदी ज्यादा था।

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