मायावती क्यूँ दे रही उत्तराखंड पर ध्यान

बहुजन समाज पार्टी उत्तराखंड में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने एलान कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड में भी कोई चुनावी गठबंधन नहीं करेगी।बसपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश गौतम के मुताबिक पार्टी ने सभी जिलों में अपना सांगठनिक नेटवर्क तैयार कर लिया है और आने वाले दिनों में पार्टी चुनावी रणनीति पर मंथन करेगी। गौतम का कहना है कि पार्टी सुप्रीमो का फरमान जारी हो चुका है, लिहाजा पार्टी उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।

गौतम आगामी चुनाव में बसपा के चौंकाने वाले प्रदर्शन का दावा कर रहे हैं। हालांकि बसपा का हाथी आज तक पहाड़ नहीं चढ़ पाया है। मैदान में उसका जो वजूद था, वो भी धीरे-धीरे खिसक रहा है। हालांकि सियासी जानकारों का मानना है कि हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले की कुछ सीटों पर बसपा अब भी चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने का दमखम रखती है।

पिछले चार विधानसभा चुनावों में बसपा का प्रदर्शन लगातार खराब होता गया है। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में उसने सात सीटें जीतीं थीं। 2008 में उसकी सीटें बढ़कर आठ हो गईं। लेकिन 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में उसे जबर्दस्त झटका लगा। 2017 में उसके खाते में एक भी सीट नहीं रही। उत्तरप्रदेश में कमजोर पड़ने के साथ ही उत्तराखंड में बसपा का जनाधार खिसक कर दूसरे राजनीतिक दलों में चला गया।

अब बसपा के सामने इस जनाधार को अपने पक्ष में लाने की चुनौती है। पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का एलान तो कर दिया, लेकिन बीते वर्षों के दौरान मुख्य धारा की राजनीति से बसपा गायब ही रही है। हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले में भी वह राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय नहीं रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि बसपा के लिए विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़े करना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं रहेगा।

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