जानें समाजवादी पार्टी के लिए क्यों खास है मैनपुरी, कैसा रहा सपा का 33 साल का सफर!
सपा के गठन के बाद 1996 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ और इस सीट पर मुलायम सिंह यादव सांसद बने थे. लेकिन 1998 में फिर लोकसभा चुनाव हुआ. तब सपा ने
मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. इस सीट पर बीते लंबे वक्त से मुलायम सिंह यादव सांसद थे. लेकिन बीते 10 अक्टूबर को उनका गुरुग्राम के एक अस्पताल में निधन हो गया था. जिसके बाद अब मैनपुरी सीट पर उपचुनाव का एलान हो चुका है. हालांकि ये सीट मुलायम सिंह यादव के अलावा सपा के नेता ही जीतते रहे हैं.
हालांकि अंतिम बार 1984 में इस सीट पर कांग्रेस ने चुनाव जीता था. तब कांग्रेस से बलराम सिंह यादव लोकसभा चुनाव जीते थे. लेकिन 1989 में कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा और जनता दल के उदय प्रताप सिंह यहां से सांसद बने. इसके बाद 1991 के चुनाव में भी उदय प्रताप सिंह दूसरी बार चुनाव जीते. इसके बाद जनता दल से अलग होकर 1992 में समाजवादी पार्टी का मुलायम सिंह यादव ने गठन किया.
नेताजी ने दिखाई है अपनी धाक
सपा के गठन के बाद 1996 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ और इस सीट पर मुलायम सिंह यादव सांसद बने थे. लेकिन 1998 में फिर लोकसभा चुनाव हुआ. तब सपा ने कांग्रेस के पूर्व सांसद बलराम सिंह यादव को अपने गढ़ में उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की. इसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें सपा ने उम्मीदवार बनाया और वे फिर से चुनाव जीते. हालांकि इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में यहां मुलायम सिंह यादव ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और नेताजी ने जीत दर्ज की. लेकिन 2019 के चुनाव में नेताजी के जीत का अंतर काफी कम हो गया था. इस वजह से अब मैनपुरी भी सपा के लिए नई चुनौती बनती जा रही है.
2014 लोकसभा चुनाव में नेताजी ने बीजेपी उम्मीदवार को 2,63,381 वोटों के अंतर से हराया था. तब करीब उन्हें 60 फीसदी और बीजेपी को मात्र 23 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन 2019 के चुनाव में समीकरण बदले और नेताजी की जीत का अंतर कम हो कर 94,389 रह गया. तब सपा को 54 फीसदी वोट और बीजेपी को 43 फीसदी वोट मिले थे.