Gorakhpur Temple में क्यों चढ़ती है खिचड़ी, जानिए कैसे शुरू हुयी ये परंम्परा
गोरखपुर का Gorakhpur Temple । इसे नाथ पीठ (गोरक्षपीठ) का मुख्यालय भी माना जाता है। उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पीठ के पीठाधीश्वर हैं। मंदिर परिसर में मकर संक्रांति के दिन से महीने भर तक चलने वाला खिचड़ी मेला यहां का प्रमुख आयोजन है। इसका शुमार उत्तर भारत के बड़े आयोजनों में होता है। इस दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल और अन्य जगहों से लाखों लोग गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने यहां आते हैं।
बतौर पीठाधीश्वर पहली खिचड़ी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चढ़ाते हैं। इसके बाद नेपाल नरेश की ओर से भेजी गई खिचड़ी चढ़ती है।
इसके बाद बारी आम लोगों की आती है। बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की यह परंपरा सदियों पुरानी है।
मान्यता है कि त्रेता युग में सिद्ध गुरु गोरक्षनाथ भिक्षाटन करते हुए हिमाचल के कांगड़ा जिले के ज्वाला देवी मंदिर गए।
Gorakhpur Temple भिक्षाटन करते हुए गोरखपुर पहुंचे गोरक्षनाथ
यहां देवी प्रकट हुई और गुरु गोरक्षनाथ को भोजन का आमंत्रित दिया।
वहां तामसी भोजन देखकर गोरक्षनाथ ने कहा, ‘मैं भिक्षाटन में मिले चावल-दाल को ही ग्रहण करता हूं।’
इस पर ज्वाला देवी ने कहा, ‘मैं चावल-दाल पकाने के लिए पानी गरम करती हूं। आप भिक्षाटन कर चावल-दाल लाइए।
गुरु गोरक्षनाथ यहां से भिक्षाटन करते हुए हिमालय की तराई स्थित गोरखपुर पहुंचे।’
Gorakhpur Temple ऐसे शुरू हुयी थी खिचड़ी चढ़ाने की परंम्परा
उस समय इस इलाके में घने जंगल थे।
यहां उन्होंने राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर एक मनोरम जगह पर अपना अक्षय भिक्षापात्र रखा और साधना में लीन हो गए।
इस बीच खिचड़ी का पर्व आया।
एक तेजस्वी योगी को साधनारत देख लोग उसके भिक्षापात्र में चावल-दाल डालने लगे, पर वह अक्षयपात्र भरा नहीं।
इसे सिद्ध योगी का चमत्कार मानकर लोग अभिभूत हो गए।
उसी समय से गोरखपुर में गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा जारी है।
Gorakhpur Temple माह भर चलता है खिचड़ी मेला
इस दिन हर साल नेपाल-बिहार और पूर्वांचल के दूर-दराज इलाकों से श्रद्धालु गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने आते हैं।
पहले वे मंदिर के पवित्र भीम सरोवर में स्नान करते हैं।
खिचड़ी मेला माह भर तक चलता है।
इस दौरान के हर रविवार और मंगलवार का खास महत्व है।
इन दिनों मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
मालूम हो कि भारत में व्रतों और पर्वों की लंबी और विविधतापूर्ण परंपरा है।
इनमें मकर संक्रांति का खास महत्व है।
यह मूल रूप से सूर्योपासना का पर्व है।
Gorakhpur Temple में खिचड़ी के मेले का है विशेष महत्व
करीब दो दशकों से गोरखपुर की हर गतिविधियों को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय बताते हैं ,
गोरखपुर के खिचड़ी के मेले का एक विशेष महत्व है।
खिचड़ी के मेले में भारत के अन्य राज्यों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी मेले का लुत्फ उठाने के लिए बड़ी तादाद में पहुंचते हैं।
यही नहीं व्यवसाय की दृष्टि से भी यह मेला बेहद खास होता है।
एक महीने तक लगने वाले इस मेले में कई राज्यों के स्टॉल्स लगते हैं। इनसे लोगों को रोजगार मिलता है।