म्यांमार में आखिर क्यों लगा है आपातकाल ?
म्यांमार, इन दिनों म्यांमार में चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है कारण है देश में तख्तापलट. म्यांमार की सेना ने सत्ता अपने हाथ में लेकर तख्तापलट कर दिया है, साथ ही यहां 1 साल का आपातकाल घोषित कर दिया गया है.
म्यांमार के लोग नहीं जानते हैं कि आगे क्या होने वाला है वह अपनी सहूलियत के लिए राशन जमा कर रहे हैं साथ ही बैंकों की लाइनों में भी खड़े हैं ताकि उन्हें पैसों की तंगी ना हो.
सड़कों पर कुछ लोग मौजूद है जो इस आपातकाल का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं. सेना ने तख्तापलट कर आंग सान सू की समेत कई बड़े नेताओं को नजरबंद कर दिया है.
देश में डाटा, फोन सर्विस आदि सभी सेवाओं को बंद कर दिया गया है. सड़कों पर सैनिक मौजूद हैं आपातकाल की खबर जनता तक पहुंचाने के बाद से देश की फोन सर्विस, टाटा आदि सभी सेवाओं को स्थगित कर दिया गया था.
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म्यांमार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब देश की सत्ता को सेना ने अपने हाथों में ले लिया हो. आंग सान का कहना है कि जनता आपातकाल को स्वीकार ना करें.
आंग सान सू की देश की सर्वोच्च नेता है. उनके पिता म्यांमार के राष्ट्रपिता आंग सांग है जिनकी राजनीतिक तरीके से हत्या कर दी गई थी.
आंग सान ने म्यांमार के लोकतंत्र की स्थापना के लिए एक काफी लंबा संघर्ष किया है. आंग सांग नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी की संस्थापक भी है. पिछले चुनाव में भारी बहुमत से उन्होंने जीत हासिल की थी पर सेना का कहना था कि इसमें धांधली की गई है. आंग सांन सू की और सेना के बीच हमेशा एक अच्छा व्यवहार रहा है.
पर इस तख्तापलट ने सबको हैरान कर दिया है. आंग सान को मानव अधिकार के लिए लड़ने वाली महिला बताया जाता है. उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. पर उनके रोहनियां समुदाय से रवैए की आलोचना हमेशा होती रही है. 2017 में रोहनियां समुदाय ने म्यांमार को छोड़कर बांग्लादेश में शरण ले ली थी. इस समुदाय का कहना है कि उनके लिए म्यांमार हमेशा से ही हमारे लिए संवेदनहीन रहा है.
कई देश इस आपातकाल की निंदा भी कर रहे हैं. भारत, नेपाल, चीन, अमेरिका, और जापान ने म्यांमार की सेना से कहा है कि वह मर्यादा का ख्याल रखें. वहीं थाईलैंड और कंबोडिया ने इसे म्यांमार का आंतरिक मामला बताया है.
आपको बताते चलें कि 1 फरवरी को देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की के साथ कई नेताओं को गिरफ्तार कर नजर बंद कर दिया गया था और सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. 1 साल के आपातकाल में म्यांमार में 11 सदस्यों की एक सरकार बनाई गई है.