वांगचुक के लंबे समय से चल रहे अनशन पर केंद्र मौन क्यों?
सोनम वांगचुक 6 मार्च से लगातार अनशन पर बैठे हैं। उनकी भूख हड़ताल का सबसे बड़ा मुद्दा लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाना है। सोनम वांगचुक का कहना है कि केंद्र ने 4 साल पहले इसका वादा किया था, लेकिन अब वह अपनी बात से मुकर रहे हैं। इसके तहत स्वायत्त ज़िला परिषदों के माध्यम से क्षेत्रों के प्रशासन में स्वायत्तता प्रदान करती है। आदिवासी समुदाय को विशेष सुरक्षा देने के लिए असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम छठी अनुसूची में शामिल हैं। वांगचुक लद्दाख के लिए भी यही चाहते हैं, ताकि यहां के पर्यावरण के हिसाब से संवेदनशील इलाकों को बचाया जा सके।
गौरतलब है कि साल 2019 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाते ही दोनों राज्यों के विशेष संवैधानिक पॉवर खत्म हो गई थी। केंद्र ने जम्मू और कश्मीर को तो राज्य का दर्जा दिया गया है लेकिन लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया है। वांगचुक का कहना है कि केंद्रशासित राज्य होने के कारण इसकी सत्ता का केंद्र दिल्ली से है और इस वजह से यहां इंडस्ट्रीज़ आकर पर्यावरण के साथ तो छेड़छाड़ कर ही रही है, साथ ही यहां को लोगों के विकास पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
कुछ दिन पहले वांगचुक ने दावा किया था कि चीन लद्दाख की ज़मीन पर कब्ज़ा करती जा रही है और वह इस ज़मीनी हकीकत को 27 मार्च या 7 अप्रैल को 10 हज़ार चरवाहों के साथ दिखाएंगे। वह रोज़ इंस्टा और एक्स पर अपने पोस्ट डालते हैं, आप भी देखिए उनका हालिया वीडियो –
View this post on Instagram
भाजपा ने क्या वादा किया था?
जब लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग किया गया था, तो इस प्रदेश को भाजपा ने संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था। वांगचुक के अनुसार पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा ने अपने घोषणापत्र में इसका वादा किया था और फिर अक्टूबर 2020 में हुए लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल, लेह के चुनाव में भी भाजपा का ये वादा घोषणापत्र में शामिल था।
केंद्र क्यों है मौन?
शुरूआत में तो सोनम वांगचुक के इस भूख हड़ताल को लेकर कोई खास चर्चा नहीं हो रही थी, लेकिन समय के साथ लोगों में अनशन की बात चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, सोनम वांगचुक रोज़ाना अपने सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को वहां हो रही सारे घटनाक्रम की जानकारी देते हैं। शून्य से नीचे तापमान, खुले आसमान के नीचे राते गुजारना, सिर्फ नमक और पानी पर रहने से अब वांगचुक की तबीयत खराब होने लग गई है।
केंद्र इस विषय में कोई भी बात नहीं कर रही और न ही इस पर किसी नेता या मंत्री बयान देने के मूड में है। अब वांगचुक का यह आंदोलन दिल्ली के छात्रों के बीच पहुंच गया है। लद्दाख से आए छात्र कश्मीरी गेट इलाके की मॉनेस्ट्री मार्केट में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि केंद्र को वहां के लोगों को बुनियादी सुविधाएं देनी चाहिए।
दिल्ली में पहले से ही केजरीवाल की वजह से सरकार बैकफुट पर है, ऐसे में जिस तरह से वांगचुक का आंदोलन तेज़ी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए मोदी सरकार को खुद वांगचुक से बात करके इस विषय पर काम करना चाहिए।