इटावा में बीजेपी के प्रत्याशी ने क्यों नहीं भरा पर्चा, जीती सपा
उत्तर प्रदेश में पंचायत के चुनाव के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव चल रहा है, इसी सिलसिले में सभी राजनीतिक पार्टियां अपने कुनबे को मजबूत करने के लिए और विरोधी पार्टियों के कुनबे को हिलाने के लिए एड़ी से चोटी तक का दम लगा रही है, मगर सत्ता में मौजूद बीजेपी इटावा में अखिलेश के कुनबे को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में टस से मस नहीं कर सकी, आज आपको हम बताएंगे कि उत्तर प्रदेश में हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में इटावा में क्या हुआ और क्यों अखिलेश और शिवपाल की जोड़ी सफल साबित हो रही है और पूर्ण बहुमत में रहने के बावजूद भी बीजेपी इटावा में क्यों धरा शाही हो गई।
इटावा में एक बार फिर से अभिषेक यादव उर्फ अंशुल यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव पर अपना कब्जा जमा लिया है, वह भी निर्विरोध
अब आप सोचेंगे कि बीजेपी ने क्या कोई अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं कर सकी ? क्या सपा की विरोधी पार्टियां इटावा में पूरी तरीके से धारा शाही हो गई ? तो इसका जवाब है जी हां
आपको बता दें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव के सामने कोई प्रत्याशी पर्चा तक नहीं भरा, पर्चा भरना तो दूर, पर्चा खरीदा तक नहीं, जहां बीजेपी इटावा में यह सपना देख रही थी कि इस बार इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट समाजवादी पार्टी से छीन लेगी, वहीं रणनीति ही पूरी उल्टी पड़ गई, कोई भी प्रत्याशी ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए पर्चा ही नहीं खरीदा, फिलहाल आपको यह भी बता दें इटावा में जो पूरा संरचना बनाई गई थी वह अखिलेश और शिवपाल ने खुद बनाई थी, इटावा में समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ और गठबंधन के बाद दोनों पार्टियों को बड़ी सफलता मिली और यही कारण है कि आज जिला पंचायत अध्यक्ष इटावा में निर्विरोध समाजवादी पार्टी का चुन लिया गया है, जो कि बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका है, अब इस झटके से बीजेपी उबर पाती है या नहीं यह तो वक्त बताएगा।