Sansad में अडानी का नाम क्यों चुभने लगा उपराष्ट्रपति धनक़र को?
Sansad , अडानी समूह पर अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोपों ने भारतीय राजनीति में तूफान मचा दिया है। अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया है
Sansad , अडानी समूह पर अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोपों ने भारतीय राजनीति में तूफान मचा दिया है। अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह ने एक बड़ा वित्तीय घोटाला किया है, जिसमें भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी गई थी। यह मामला तब सामने आया जब अमेरिकी अभियोजकों ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया था कि अडानी समूह के कुछ नेताओं ने सरकारी ठेके हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का सहारा लिया था। इसके बाद, भारत में यह मुद्दा गरम हो गया और विपक्ष ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
अमेरिकी आरोपों ने अडानी के कारोबार को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इन आरोपों के बाद विपक्षी दलों ने यह आरोप लगाया है कि अडानी समूह को सरकार से खास समर्थन प्राप्त है, और इसके चलते ही यह घोटाला संभव हो सका। इस संदर्भ में, अडानी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच रिश्तों को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।
अडानी और भाजपा के रिश्ते: आरोप और विवाद
अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच करीबी रिश्तों की बात की जा रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि अडानी ने अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए सरकार से विशेष समर्थन प्राप्त किया है। अडानी का व्यापार विशेष रूप से ऊर्जा, बंदरगाह और हवाई अड्डों के क्षेत्रों में काफी बड़ा हुआ है, और यह सब कुछ भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद हुआ है।
विपक्ष का आरोप है कि अडानी और BJP के बीच यह संबंध निजी फायदे के लिए हैं, और इसलिए अडानी के खिलाफ किसी भी जांच या कार्रवाई को दबाने की कोशिश की जाती है। जब भी अडानी के नाम पर सवाल उठाए जाते हैं, तो भाजपा की प्रतिक्रिया बेहद आक्रामक होती है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि दोनों के बीच कुछ न कुछ गहरे संबंध हैं, जो जनता की नजरों से छिपाने की कोशिश की जाती है।
Sansad में अडानी का नाम क्यों चुभने लगा?
जैसे ही अडानी पर अमेरिका में आरोप लगाए गए, भारत में इस पर बहस शुरू हो गई। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने Sansad में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, लेकिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनक़र ने इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। जब विपक्षी सांसदों ने अडानी का नाम लिया, तो उन्हें रोकते हुए धनक़र ने कहा कि संसद में व्यक्तिगत आरोपों को नहीं उठाया जा सकता है।
यह बात कई सांसदों को चुभ गई, क्योंकि उनका कहना था कि यह एक गंभीर मामला है, और इसे संसद में चर्चा के लिए लाया जाना चाहिए। विपक्ष ने इसे सरकार और अडानी के बीच घनिष्ठ संबंधों के संकेत के रूप में देखा, क्योंकि सरकार अडानी से जुड़े विवादों पर चर्चा को दबाने की कोशिश कर रही थी।
“Adani का नाम लेते ही संसद में हंगामा, आगे कैसे चलेगी संसद?”
Sansad , क्या आगे बढ़ेगा अडानी विवाद?
अडानी और अमेरिकी आरोपों के बीच यह विवाद भारतीय राजनीति में गरमाता जा रहा है। विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा मानता है और संसद में इसे उठाता रहेगा, लेकिन सरकार और अडानी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। अब सवाल यह है कि इस विवाद के बाद अडानी के व्यापार और भाजपा के रिश्ते पर कितना असर पड़ेगा, और क्या यह आरोप सच साबित होते हैं। इस मामले में संसद का रुख और विपक्ष का संघर्ष यह तय करेगा कि भविष्य में अडानी और भाजपा के रिश्ते कैसे विकसित होते हैं।