किसानों को अपनी फसल बेचने की आजादी क्यों नहीं देना चाहती कांग्रेस: संजय जायसवाल
पटना। नौतन व चनपटिया में आयोजित विभिन्न किसान चौपालों को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने नए कृषि कानूनों पर कांग्रेस से कई सवाल पूछे. उन्होंने कहा ” जिन कृषि कानूनों के लिए कभी कांग्रेस और उसके सहयोगी दल खुद पैरवी कर रहे थे, आज उसी के विरोध में इनका खड़ा होना यह साफ जाहिर करता है कि इनके लिए अपनी राजनीति, किसानों के विकास से ज्यादा महत्वपूर्ण है। महज राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आज किसानों को डराया जा रहा है। उन्हें उनके हक और हुक़ूक़ से वंचित रखने की साजिश रची जा रही है। कांग्रेस बताए कि आखिर किसानों को अपनी फसल अपने हिसाब से बेचने की आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? किसानों की आय बढ़ने से आखिर उन्हें क्या तकलीफ है?
डॉ जायसवाल ने कहा ” किसान देश का अन्नदाता है, लेकिन अपने स्वार्थ में कांग्रेस आज उन्हें भी नहीं बख्श रही है। आज यह किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का डर दिखा रहे हैं, लेकिन खुद इनके शासित पंजाब और महाराष्ट्र में यह बरसों से जारी है।इसके अलावा राहुल गांधी जिस केरल प्रान्त से सांसद है, खुद वहां एपीएमसी व्यवस्था समाप्त की जा चुकी है। कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि अगर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और एपीएमसी खराब है तो वह महाराष्ट्र, पंजाब और केरल जैसे राज्यों में आंदोलन क्यों नही करती? और अगर इन कानूनों से वहां के किसानों को लाभ मिल रहा है तो फिर इससे अन्य राज्यों के किसानों को कैसे नुकसान पहुंच सकता है?”
किसानों को केंद्र सरकार के साथ बताते हुए उन्होंने कहा ” देश के किसान अब कांग्रेस पोषित इस आंदोलन के खिलाफ लामबंद होने शुरू हो गए हैं। चंद दिनों पहले 10 किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से इन कानूनों को जारी रखने की सिफारिश की है। किसान जानते हैं कि यह वर्तमान सरकार ही है जिसने पहली बार किसान की समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने की दिशा में व्यापक पहल की है। इसी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाये गए लागत प्लस 50% के फार्मूले को लागू करने की हिम्मत दिखाई है। किसानों की आय दुगनी करने का संकल्प भी इसी सरकार ने लिया हुआ है। इसी सरकार ने किसानों के लिए बीज से बाजार तक के फैसले लिए हैं। आज तकरीबन 10 करोड़ किसानों को 6 हजार सालाना का सम्मान, उनके फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए फसल बीमा और बुजुर्ग किसानों के लिए पेंशन स्कीम की शुरुआत करने का श्रेय भी इसी सरकार को जाता है। किसान जानते हैं कि उनके हित इसी सरकार के साथ सुरक्षित है। इसलिए उन्हें डराने और भड़काने का खेल ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है।”