बीजेपी सीएम बदले तो मास्टरस्ट्रोक, कांग्रेस हटाए तो हिट विकेट क्यों? पांच कारणों से अंतर समझिए

काफी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस आलाकमान कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा लेने में सफल रहा, लेकिन पार्टी के लिए पंजाब में आगे की राह बहुत आसान नहीं दिख रही है। खासकर तब जब पांच महीने बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होना है और अमरिंदर के तेवर से साफ है कि वह चुप नहीं बैठने वाले हैं। ऐसे में  बीजेपी चऔर कांग्रेस की तुलना होने लगी है कि कैसे केंद्र में सत्ताधारी पार्टी ने पिछले कुछ दिनों में तीन राज्यों में चा-चार सीएम बदले डाले और किसी ने चूं तक नहीं किया, जबकि पंजाब में सत्ता हस्तातंरण कांग्रेस के लिए चुनौती बन गई है। .

बीजेपी में कोई हंगामा नहीं हुआ

बीजेपी ने मार्च में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लोकसभा सदस्य तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया और चार महीने बाद ही उन्हें हटाकर पुष्कर सिंह धामी को यह जिम्मेदारी दी गई। उत्तराखंड के बाद बीजेपी ने कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बसवाराज बोम्मई को मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी। पिछले सप्ताह गुजरात में विजय रूपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाया  और रूपाणी की पूरी टीम को भी नई सरकार में जगह नहीं मिली है। 

दूसरी तरफ, कांग्रेस के सामने अभी सबसे बड़ा संकट अमरिंदर सिंह की जगह नया सीएम चुनने को लेकर है। सुनील जाखड़ का मुख्यमंत्री तय माना जा रहा है, लेकिन सिख बहुल राज्य होने की वजह से  किसी हिन्दू को सीएम बनाना आसान नहीं होगा क्योंकि विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान झेलने का खतरा रहेगा। पार्टी सिख और हिन्दू चेहरे के बीच उलझती दिख रही है। 

प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर अमरिंदर पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह अगले सीएम के तौर पर उन्हें किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं हैं। सिद्धू की कार्यक्षमता के अलावा उन्होंने इसे देश की सुरक्षा से भी जोड़ दिया है। उन्होंने कल कहा था कि सिद्धू पाकिस्तान का यार है और उसे सीएम बनाया तो देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।

कैप्टन अमरिंदर का बड़ा जनाधार

बीजेपी में सत्ता हस्तांतरण हुए तीन राज्यों और पंजाब की सियासी स्थिति में अंतर है। तीनों ही राज्यों में बीजेपी ने चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा था, लेकिन पंजाब में स्थिति एकदम उलट है। यहां कांग्रेस का मतलब ही कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं और राज्य में साल 2017 के चुनावों में पार्टी की जीत कैप्टन की जीत थी। बीजेपी ने जिन मुख्यमंत्रियों को हटाया, उनमें येदियुरप्पा के अलावा कोई भी नेता जनाधार वाला नहीं था लेकिन कांग्रेस के पास पंजाब में कैप्टन के कद का अभी भी कोई और नेता नहीं है।

येदियुरप्पा का भी तो जनाधार था

सिर्फ कर्नाटक ही ऐसा राज्य है जहां बीजेपी ने पॉप्युलर फेस यानी बीएस येदियुरप्पा को हटाकर नया सीएम नियुक्त किया है। येदियुरप्पा कर्नाटक में जनाधार वाले नेता होने के साथ-साथ लिंगायत समुदाय के होने की वजह से बीजेपी के लिए वहां अपरिहार्य माने जाते थे। बीजेपी ने उन्हें भरोसे में लिया और इस्तीफे के लिए वक्त देकर तैयार किया। इसके अलावा, उनके रिप्लेसमेंट के तौर पर  उनके ही भरोसेमंद और उन्हीं के समुदाय के मजबूत नेता बसवाराज बोमई को कर्नाटक की कमान सौंपी।

पंजाब में स्थिति इसके विपरीत है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध के बावजूद उनके धुर विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू को पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और उन्हें आलाकमान से मुख्यमंत्री के खिलाफ मुहिम चलाने की खुली छूट दी गई।

शीर्ष नेतृत्व की पकड़ मजबूत

देश के तीन राज्यों में ही कांग्रेस की सरकार है और पार्टी इन तीनों ही जगह अंदरूनी कलह की मार झेल रही है। विवाद सुलझाने के लिए कमेटी पर कमेटी बन रही हैं लेकिन अभी तक मसले सुलझे नहीं हैं। वहीं, बीजेपी ने सिर्फ इस साल ही तीन राज्यों में सीएम बदले हैं और उत्तराखंड में तो पुष्कर सिंह धामी तीसरे सीएम हैं। हालांकि, बीजेपी में हाई कमान का फैसला ही अंतिम फैसला है और इसके खिलाफ पार्टी के अंदर भले ही कलह हो लेकिन वह बाहर नहीं आई मगर कांग्रेस की कलह किसी से छिप नहीं सकी है। बीजेपी में शीर्ष नेतृत्व की पकड़ का अंदाजा कर्नाटक से ही लगाया जा सकता है जहां पार्टी ने लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा को हटाया और बसवाराज को सीएम बनाया लेकिन फिर भी पार्टी में सिर-फुटव्वल जैसी स्थिति देखने को नहीं मिली। 

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