अफवाह के बाद हिंदुओं के घर-दुकानों को भी निशाना बनाया गया
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हमले में 4 की मौत
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हुए हमलों के बाद 22 जिलों में बॉर्डर गार्ड के जवान तैनात कर दिए गए हैं। इन हमलों में 4 लोगों की मौत हुई है जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं। सोशल मीडिया पर पवित्र कुरान के अपमान की अफवाह के बाद हिंदुओं के घरों और दुकानों को भी निशाना बनाया गया। देश में कई जगह हिंसक घटनाओं के बाद मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
इस बीच, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बयान जारी कर कहा है कि हिंसा में शामिल किसी भी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा, इससे फर्क नहीं पड़ता कि उनका धर्म क्या है। गुरुवार को बांग्लादेश में दुर्गा पूजा का पर्व मनाया गया। इस दौरान हसीना ने राजधानी ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर पहुंचकर हिंदू समुदाय के लोगों से मुलाकात की।
सोशल मीडिया पर अफवाहों से हिंसा भड़की
सोशल मीडिया के जरिए अफवाहें फैलने के बाद देश के कई जिलों और इलाकों में हिंसा फैल गई। चांदपुर इलाके में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। वहीं पुलिस ने दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है। बुधवार शाम को धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि उसे सूचना मिली है कि इस्लाम के पवित्र ग्रंथ का कोमिला में अपमान किया गया है।
मरने वालों की संख्या ज्यादा होने की आशंका
चिट्टागांव के कोमिला इलाके में दुर्गा पंडालों पर हुए हमलों में 4 लोगों की मौत हुई है। वहां मौजूद एक सूत्र के मुताबिक, मरने वालों की संख्या 10 से ज्यादा भी हो सकती है। चिट्टागांव के एक शख्स ने बताया कि हिंसा के बाद हिंदुओं के घरों और दुकानों को भी निशाना बनाया गया है। हमलों के बाद तनाव की स्थिति बनी हुई है।
पहला हमला कोमिला क्षेत्र में हुआ
हिंसा पहले कोमिला इलाके में शुरू हुई और फिर आसपास के क्षेत्रों में भी फैल गई। सोशल मीडिया पर कुरान के अपमान की अफवाह फैली थी जिसके बाद प्रतिक्रिया में हिंदू मंदिरों और दुर्गा पंडालों पर हमले किए गए। सबसे पहला हमला कोमिला क्षेत्र में ही दुर्गा पंडाल पर हुआ। इसके बाद कई इलाकों से हिंसा और तनाव की खबरें आई हैं।
हालात संभालने पहुंची पुलिस पर भी हमला
ढाका की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ये हिंसा बुधवार को भड़की और एक समय हालात ऐसे हो गए कि कई पूजा पंडालों और आसपास के इलाकों में भी हिंसा भड़क उठी। स्थिति संभालने की कोशिश कर रही पुलिस पर भी हमले हुए हैं। जब हालात नियंत्रण से बाहर हो गए तो सरकार ने रैपिड एक्शन बांग्लादेश और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के जवानों को सुरक्षा में तैनात किया।
बांग्लादेश में पहले भी हो चुके हैं हिंदू मंदिरों पर हमले
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले का पुराना इतिहास है। भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले ही 29 अक्टूबर 1990 को बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी राजनीतिक संगठन ने बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की अफवाह फैला दी थी जिसके चलते 30 अक्टूबर को हिंसा भड़क गई थी, जो 2 नवंबर 1990 तक जारी रही थी। इस हिंसा में कई हिंदू मारे गए थे।
इस घटना के बाद से हिंदुओं और मंदिरों पर कई बार हमले हुए हैं, लेकिन इनकी सही से जांच नहीं हो सकी और अपराधी आजाद घूमते रहे। एक स्थानीय को मुताबिक, “मुझे लगता है कि बिना पॉलिटिकल सपोर्ट के इस तरह के हमले नहीं हो सकते हैं। इन हमलों से हिंदुओं में डर की भावना पैदा हो गई है। हालांकि ज्यादातर मुसलमान इसे नजरअंदाज करते हैं।
मुसलमान ये मानते हैं कि बांग्लादेश ने सांप्रदायिक सौहार्द को बचाए रखा है। ये कहा जा सकता है कि इस तरह की हिंसा की घटनाएं गिनी-चुनी हैं, लेकिन इनके जरिए एक पक्ष ने दूसरे पर नियंत्रण स्थापित किया है और उसका उत्पीड़न किया है।”
डर के चलते कई हिंदू देश छोड़ने की तैयारी में
डर के माहौल की वजह से अब बांग्लादेश के बहुत से हिंदू देश छोड़कर जाने के बारे में सोचने लगे हैं।
बांग्लादेश की सरकार ने हिंसा की घटनाओं के बाद तुरंत कदम उठाने की कोशिश की है, लेकिन लोग इन्हें नाकाफी मानते हैं।
बांग्लादेश में हाल के वर्षों में इस्लाम का राजनीति और समाज में दखल बढ़ा है। चिट्टागांव यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर राजीब नंदी कहते हैं, “राजनीतिक इस्लाम और सामाजिक इस्लाम ने यहां ऐसी स्थिति पैदा की है जिसमें रहना हिंदुओं के लिए मुश्किल होता जा रहा है। लोकतंत्र में यकीन रखने वाले बंगाली लोग भी इससे प्रभावित हैं और जब तक एक उदारवादी लोकतंत्र की स्थापना नहीं होगी, बांग्लादेश में यही स्थिति बनी रहेगी।”