आखिर कोरोना वायरस पर चीन क्यों झूठ बोल रहा है? चीन में 2 करोड़ फोन बंद होने का क्या हैं रहस्य
- क्यों झूठ बोल रहा हैं चीन!
- क्या चीन झूठ बोल रहा हैं !
- चीन में क्या हैं मौत का आकड़ा
- चीन में 24 घंटे में क्या 3500 अस्थि कलशों का सच
- चीन में 2 करोड़ फोन बंद होने का क्या हैं रहस्य
कोरोना वायरस ने दुनिया के बड़े बड़े देशो की कमर तोड़ कर रख दी हैं। भारत के साथ साथ दुनिया के सभी देश इस वायरस पर नकेल कसने के लिए एक जुट है। वही दुनिया के नक्शे पर चीन की स्थिति लगातार रहस्यात्मक होती जा रही हैं। चीन पर ये आरोप लग रहे है कि चीन अपने यहां हुई मोंतों के आकड़ों को सामने नही ला रहा है और दुनिया के अन्य देशों से झुठ बोल रहा हैं। चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस से कितनी मौतें हुईं, इसको लेकर रहस्य गहराता जा रहा है।
वहीं वुहान के स्थानीय लोगों का मानना है कि चीनी अधिकारियों के दावे के विपरीत यहां पर कम से कम 42 हजार लोगों की कोरोना वायरस से मौत हुई है। जबकि चीनी अधिकारियों ने दावा किया था कि वुहान में मात्र 3200 लोगों की मौत हुई थी। चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर की मार्केट से शुरू हुआ कोरोना वायरस चीन ही नही बल्कि दुनिया के अलग अलग देशों को अपनी चपेट में ले चुका हैं।
चीनी अधिकारियों का दावा हैं कि अब तक पूरे देश में 3300 लोगों की मौत हो गई हैं। जबकि 81 हजार लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से 3,182 लोगों की मौत केवल हुबेई प्रांत में हुई, लेकिन जिस तरह से चीन में अस्थि कलशों को लेकर सवाल उठ रहें उससे चीन का सच भी आधा अधुरा हैं। बताया जा रहा हैं चीन में अस्थि कलश देने का सिलसिला सात अलग-अलग अंतिम संस्कार स्थलों से जारी है। इस आंकड़े से अनुमान लगाएं तो हरेक 24 घंटे में 3500 लोगों को अस्थि कलश दिए गए।
हांकू, वुचांग और हनयांग में लोगों को कहा गया है कि उन्हें 5 अप्रैल तक अस्थि कलश दिए जाएंगे। इसी दिन किंग मिंग महोत्सव शुरू होने जा रहा है। जिसमें चीन के लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर जाते हैं। ऐसे में जानकारों ने जो अनुमान लगाया हैं। उसके मुताबिक अगले 12 दिनों में 42 हजार अस्थि कलश वितरित किए जाएंगे। ऐसे में चीन में अस्थिकलश की मांग बढ़ने के आधार पर मौत के आंकड़ों पर भी सवाल उठाया जा रहे हैं।
कोरना वायरस के केंद्र वुहान के एक शहगृह में पिछले दो दिनों में 5 हजार अस्थि कलश मंगाए गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यदि कोरोना से 3300 लोगों की जान गई है तो अस्थि कलश की मांग में उछाल क्यों आया है?…साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि चीन में लाशों को जलाने का काम 24 घंटे किया जा रहा हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा हैं कि अगर चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों का आकड़ा उतना ही हैं जितना चीनी सरकार बता रही हैं तो फिर चीन में अंतिम संस्कार करने वालों को 24 घंटे काम क्यों करना पड़ रहा हैं।
वहीं ये संदेह इसलिए भी गहरा जाता है क्योकि चीन में पिछले 2-3 महीनों में 2 करोड़ से अधिक मोबाइल फोन डिएक्टिवेट हो गए हैं। ये पहली बार है जब चीन में इस तरह टेलीफोन यूजर्स की संख्या तेजी से घट गई हो.. ऐसे में सवाल उठता है कि वे कौन लोग हैं जिनके फोन बंद हुए हैं और क्यों? फिलहाल इस मुद्दे पर चीन ये सफाई दे रहा हैं कि कोरोना वायरस की वजह से कई प्रवासी शहर छोड़ कर चले गए और मोबाइल इस्तेमाल करना बंद कर दिया।
हालांकि, चीन में अब कंपनियों में काम शुरू हो गया है। ऐसे में यदि इस तर्क के पीछे सच्चाई है तो अगले कुछ दिनों में ये फोन दोबारा चालू हो जाएंगे, यदि ऐसा नहीं होता है तो माना जाएगा कि दाल में कुछ काला जरूर है, क्योकि चीन में मीडिया स्वतंत्र नहीं है। वहां से वही खबरें दुनिया के सामने आती हैं, जिन्हें चीन की सरकार बाहर आने देती है। चीन ने शुरुआत में कोरोना वायरस की खबरों को भी दबाना चाहा। उसने उन डॉक्टरों को भी प्रताड़ित किया, जिन्होंने सबसे पहले इस वायरस की पहचान की और सरकार को सतर्क किया । हालंकि चीन पर सवाल तो वायरस की उत्पत्ति को लेकर भी उठ रहे हैं। कहा् जा रहा है कि चीन के जैविक हथियार का खामियाज़ा इस वक्त पूरी दुनिया भुगत रही हैं। फिलहाल चीन का सच समय के साथ सामने आता है या नही ये देखने वाली बात होगी।