बदलती हुई BJP:राज्यों में नई लीडरशिप तैयार कर रहे मोदी-शाह?
संघ का फीडबैक, एजेंसी के सर्वे भी मुख्यमंत्रियों के बदले जाने की वजह
केंद्रीय कैबिनेट में बदलाव करके भी मोदी सरकार ने दिया था नई पीढ़ी को आगे लाने का मैसेज
65 साल के विजय रुपाणी का अचानक गुजरात CM पद से हट जाना हर किसी को चौंका रहा है, लेकिन BJP को करीब से देखने वाले इसे पार्टी की नई स्टैट्रजी बता रहे हैं। जुलाई में ही पार्टी ने उत्तराखंड से 57 साल के तीरथ सिंह रावत और कर्नाटक से 78 साल के येदियुरप्पा को हटाया है।
इनकी जगह उत्तराखंड में 45 साल के पुष्कर सिंह धामी और कर्नाटक में 61 साल के बसवराज बोम्मई को CM नियुक्त किया गया। गुजरात के नए CM के नाम का अभी इंतजार है।
ये चर्चा जोरों पर है कि, मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के CM मनोहर लाल खट्टर और त्रिपुरा के CM बिप्लव देव पर भी संकट के बादल कभी भी आ सकते हैं।
केंद्रीय नेतृत्व हर एक राज्य की समीक्षा कर रहा है। जिन राज्यों में सरकार में हैं, वहां भी समीक्षा की जा रही है और जहां सरकार में नहीं हैं वहां भी समीक्षा की जा रही है। इसी सिलसिले में बीते कुछ महीनों से मुख्यमंत्रियों को दिल्ली भी बुलाया जा चुका है। मप्र और त्रिपुरा के सीएम से जुलाई में ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने फीडबैक लिया था।
BJP को करीब से देखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट संतोष कुमार कहते हैं, पार्टी में नेक्स्ट जेनरेशन तैयार की जा रही है। यह बदलाव अचानक नहीं किया गया बल्कि PM ने खुद अपने मंत्रिमंडल में इसे करके दिखाया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में 45 साल या उससे कम उम्र के 6 युवा नेताओं को मंत्री बनाया गया। CM बदलने जैसा कोई भी फैसला अचानक नहीं लिया जा रहा। इसमें पार्टी संगठन का फीडबैक, संघ की राय, प्राइवेट एजेंसी के सर्वे के अलावा बहुत से दूसरे ऐसे सोर्सेज हैं, जिनके पॉइंट्स आने के बाद बदलाव किया जा रहा है।
मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात ये सभी ऐसे राज्य हैं जहां पार्टी नई लीडरशिप खड़ी करने पर बहुत जोरों से काम कर रही है। PM मोदी और अमित शाह के साथ ही संघ भी इसमें लगा हुआ है।
ऐसी चर्चाएं हैं कि विजय रुपाणी अमित शाह के बहुत खास थे, इसलिए उन्हें PM ने हटा दिया। ये इस बात का संकेत भी देता है कि सिर्फ खास होने से काम नहीं चलेगा। आपको परफॉर्म भी करना पड़ेगा और जो परफॉर्म करेगा वो ही टिकेगा।
रुपाणी की प्रशासनिक क्षमता को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे थे। अरविंद केजरीवाल के दो दिनों के दौरे ने उन्हें परेशान कर दिया था, इसलिए गुजरात में बदलाव होना तय था।
विजय रुपाणी के इस्तीफे के पीछे उनकी प्रशासनिक नाकामी को एक बड़ा कारण बताया जा रहा है।
सिर्फ अपने आपको चमकाने वाले नहीं चाहिए
गुजरात के सीनियर जर्नलिस्ट और पीएम मोदी की राजनीति को बहुत करीब से देखने वाले सुधीर रावल कहते हैं कि, BJP शासित अधिकतर राज्यों में कम्युनल एंगल ही भुनाने की कोशिश हो रही है। नेशनलिज्म को बहुत उठाया जा रहा है।
इवेंट बेस्ड काम ज्यादा हो रहे हैं। इससे आदमी खुद को चमकाने की कोशिश में ज्यादा है। PM मोदी को ऐसी कार्यशैली पसंद नहीं। यदि आपको पद पर बने रहना है तो परफॉर्म किसी भी हाल में करना ही होगा। राज्यों में CM बदलने के पीछे एंटी इंकम्बेंसी, गवर्नेंस तो एक वजह है ही साथ ही अलग-अलग जगहों से जो फीडबैक लिए जा रहे हैं, वो काफी मायने रख रहे हैं।
गुजरात का पैटर्न पूरे देश में लागू कर रही BJP
गुजरात में 50 साल जर्नलिज्म करने वाले आरके मिश्रा के मुताबिक, BJP गुजरात का पैटर्न पूरे देश में लागू करना चाहती है। इस पैटर्न में बड़ा चेहरा सिर्फ दिखाने के लिए होता है और पूरा काम ब्यूरोक्रेसी के हाथों में होता है। मतलब चीफ सेक्रेटरी सबसे ज्यादा पॉवरफुल होते हैं। ऐसे में जहां भी जो नेता खुद को आगे बढ़ाना में लगा है, वहां उसके पर कतरे जा रहे हैं।
वैसे भी BJP को बंगाल में बड़ा झटका लगा है। बिहार में भी वे हारते-हारते बचे। इस कारण भी पार्टी लीडरशिप फ्यूचर को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहती। दूसरा एक कारण ये भी है कि, BJP में अब एक, दो व्यक्तियों की राय बहुत महत्वपूर्ण है।
UP में PM जो बदलाव करना चाहते थे वो नहीं कर पाए। वे आरके शर्मा को डिप्टी CM नियुक्त करना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए राज्यों में अभी से ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं ताकि शक्ति का विभाजन न हो।