Omar , Mamata और Akhilesh का Rahul से मोह भंग क्यूं?
Rahul ,कांग्रेस ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। पार्टी के नेताओं का कहना है कि ईवीएम के जरिए चुनाव परिणामों में गड़बड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
हाल ही में Rahul ,कांग्रेस ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। पार्टी के नेताओं का कहना है कि ईवीएम के जरिए चुनाव परिणामों में गड़बड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। Rahul ,कांग्रेस ने इस मुद्दे को एक बार फिर जोर-शोर से उठाया, विशेष रूप से जब कुछ चुनावी परिणाम उनकी उम्मीदों के विपरीत आए। उनका आरोप है कि अगर चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हैं, तो फिर ईवीएम में कोई गड़बड़ी क्यों नहीं हो सकती?
विपक्षी नेताओं का रुख
इस बीच, उमर अब्दुल्ला, ममता बनर्जी, और सुप्रिया सुले जैसे विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस के इस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इन नेताओं का कहना है कि बिना ठोस सबूत के ईवीएम पर आरोप लगाना देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठाना है।
- उमर अब्दुल्ला ने इस विषय पर कहा कि बिना प्रमाण के ईवीएम को लेकर आरोप लगाना लोकतंत्र की साख को नुकसान पहुंचाता है।
- ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि अगर किसी को चुनाव प्रक्रिया पर संदेह है तो उसे ठोस प्रमाण दिखाना चाहिए।
- सुप्रिया सुले ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए ईवीएम पर सवाल उठाना उचित नहीं है।
इन नेताओं का यह भी कहना है कि ईवीएम एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्रणाली है, जिसका परीक्षण कई बार किया जा चुका है। उनकी राय में, बिना किसी ठोस सबूत के इस प्रणाली को निशाना बनाना लोकतंत्र के खिलाफ है।
Rahul ,कांग्रेस का तीखा हमला
Rahul ,कांग्रेस के इस आरोप के बाद, विपक्षी नेताओं का रुख काफी सख्त हो गया। विशेष रूप से, कांग्रेस ने उमर अब्दुल्ला पर तीखा हमला बोला। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उमर अब्दुल्ला और अन्य विपक्षी नेताओं ने ईवीएम पर सवाल उठाने का एक सुनियोजित प्रयास किया था।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्षी नेता अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और इसी कारण उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने दावा किया कि अगर विपक्ष को अपने हार की वजह समझ में आती तो वे इस तरह के आरोप न लगाते।
Rahul, लोकतंत्र की चुनौती
ईवीएम पर उठ रहे सवाल केवल एक तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के विश्वास का भी सवाल हैं। चुनावी प्रक्रिया में ईवीएम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है, और यह कई वर्षों से देश के चुनावों में इस्तेमाल हो रही है।
हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं है, लेकिन पारदर्शिता की कमी या विश्वास का अभाव इस मुद्दे को और जटिल बना देता है। अगर विपक्ष के नेताओं के मन में किसी भी प्रकार का संदेह है, तो चुनाव आयोग को इस मुद्दे पर और अधिक पारदर्शिता और स्पष्टता लानी चाहिए।
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कांग्रेस और विपक्षी नेताओं के बीच ईवीएम पर चल रही खींचतान लोकतंत्र के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। हालांकि विपक्षी नेताओं का कहना है कि बिना प्रमाण के आरोप लगाना ठीक नहीं है, कांग्रेस का तर्क है कि ईवीएम में किसी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस विवाद का हल केवल तब निकलेगा जब सभी दल इस मुद्दे पर एक सुसंगत और पारदर्शी समाधान पर पहुंचेंगे, ताकि देशवासियों का विश्वास बनी रहे।