कोरोना कहां से फैला, लैब लीक थ्योरी सही हुई तो क्या होगा?
मैं आपसे एक सवाल करूं कि कोरोना कहां से आया? आपका जवाब होगा चीन से। पर इस बात के प्रूफ अब तक नहीं मिले हैं। दुनिया की महाशक्ति अमेरिका इस सवाल का जवाब तलाश रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO इसका जवाब तलाशने चीन तक जा चुका है। उसे पहली बार में कुछ नहीं मिला तो उसने चीन से दोबारा आने की इजाजत मांगी, पर चीन ने WHO को इसके लिए इजाजत देने से साफ इनकार कर दिया है।
दरअसल, 16 जुलाई को WHO ने कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए दूसरे फेज की स्टडी की बात कही। इसके लिए उसने चीन के सामने वुहान की वायरोलॉजी लैब और मार्केट में फिर से जाने का प्रपोजल रखा। WHO ने कहा कि पहली स्टडी में किसी नतीजे पर पहुंचने के हिसाब से पर्याप्त डेटा नहीं है। इसलिए दूसरी बार वुहान जाना होगा। गुरुवार को चीन ने WHO के इस प्लान को रिजेक्ट कर दिया।
चीन ने आखिर फिर से जांच करने के प्लान को क्यों रिजेक्ट किया? क्या अब कोरोना की उत्पत्ति का सच कभी सामने नहीं आएगा? WHO की टीम जब पहली बार वुहान गई थी तो क्या नतीजा निकला था? चीन के वुहान की लैब को लेकर क्यों विवाद होता रहा है? दुनियाभर के देशों का इसे लेकर क्या कहना है? आइए जानते हैं…
चीन ने आखिर फिर से जांच करने के प्लान को क्यों रिजेक्ट किया?
चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के वाइस मिनिस्टर जेंग येक्सिंग ने कहा कि हम इस तरह के किसी भी प्लान को एक्सेप्ट नहीं करेंगे। ये कोशिश एक तरह से सामान्य ज्ञान और विज्ञान दोनों का अपमान है। जेंग ने तो WHO के प्लान की उस हाइपोथिसिस पर भी आपत्ति जताई जिसमें कोरोना वायरस के वुहान लैब से लीक होने की आशंका जताई गई है।
चीन का कहना है कि WHO ये सब राजनीतिक दबाव में कर रहा है। जेंग ने कहा- चीन ने पहले ही सभी तरह के डेटा WHO को मुहैया करा दिए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि WHO चीनी एक्सपर्ट्स के विचारों और सुझावों का गंभीरता से रिव्यू करेगा। इसके साथ ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति की ट्रेसिंग को वैज्ञानिक मामले के रूप देखेगा, न कि राजनीतिक।
तो क्या अब कोरोना की उत्पत्ति का सच कभी सामने नहीं आएगा?
ऐसा नहीं कह सकते। WHO की जांच भले आगे नहीं बढ़ पाए, लेकिन अमेरिकी एजेंसियां अपने स्तर पर जांच कर रही हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मार्च में कोरोना की उत्पत्ति को लेकर रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। मई में रिपोर्ट मिलने के बाद 26 मई को बाइडेन ने एजेंसियों से 90 दिन में कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने का आदेश दिया।
अगस्त अंत में अमेरिकी एजेंसियों की रिपोर्ट में अगर चीन से कोरोना फैलने की बात सामने आती है तो एक बार फिर चीन पर दबाव बढ़ेगा। अगर अमेरिकी जांच में वुहान के लैब से कोरोना का वायरस लीक होने की बात सच निकलती है तो अमेरिका-चीन के रिश्ते बिगड़ सकते हैं। इसका असर चीन की आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ेगा।
चीन के वुहान की लैब को लेकर क्यों विवाद होता रहा है?
चीन के वुहान शहर की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एक हाई सिक्योरिटी रिसर्च लैब है। यहां प्रकृति में पाए जाने वाले उन रोगजनकों (ऐसे बैक्टीरिया या वायरस जो इंसानों में रोग फैला सकते हैं) की स्टडी की जाती है जो इंसानों को घातक और नई बीमारियों से संक्रमित कर सकते हैं।
2002 में चीन में मिले SARS-CoV-1 वायरस ने दुनियाभर में 774 लोगों की जान ली थी। उसके बाद से इस लैब में चमगादड़ से इंसानों में फैलने वाले वायरस को लेकर कई स्टडी हुई हैं। इसी लैब में हुई स्टडी में दक्षिण-पश्चिम चीन स्थित चमगादड़ की गुफाओं में SARS जैसे वायरस मिले थे।
इस इंस्टीट्यूट में एक्सपेरिमेंट के लिए भी जंगली जानवरों से जेनेटिक मटेरियल इकट्ठा किए जाते हैं। यहां काम करने वाले इंसानों पर वायरस के असर का पता लगाने के लिए जानवरों में लाइव वायरस के साथ प्रयोग भी किया जाता है। यहां काम करने वाले वैज्ञानिकों को कठोर सिक्योरिटी प्रोटोकॉल को फॉलो करना होता है जिससे गलती से भी वायरस के कारण कोई अनहोनी न हो। हालांकि इसके बाद भी इसके खतरों को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता।
लैब लीक की थ्योरी पर यकीन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना इसी लैब से निकला एक वायरस है। जो यहां काम करने वाले किसी कर्मचारी की लापरवाही से दुनियाभर में फैला।
अगर लैब लीक थ्योरी सही होती है तो इसका चीन पर क्या असर पड़ेगा?
लैब लीक थ्योरी सही होने पर क्या होगा, ये अभी कहना काफी मुश्किल है, पर ये थ्योरी सही साबित होती है तो इसका असर दुनियाभर के ट्रेड पर भी पड़ेगा, ये तय है। दुनिया का चीन को देखने का नजरिया बदल जाएगा। उसे कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी झेलने पड़ सकते हैं।
वैसे भी जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे तो उन्होंने चीन को कोरोना फैलने का दोषी बताते हुए 10 ट्रिलियन डॉलर (744 लाख करोड़ रुपए) हर्जाना देने की मांग की थी। हालांकि चीन ने अमेरिकी दावे को खारिज कर दिया था। अब अगर जांच में लैब लीक थ्योरी सही साबित हुई तो अमेरिका इससे भी बड़ा हर्जाना मांग सकता है। इसके साथ ही दुनियाभर के बाकी देशों का दबाव भी चीन पर पड़ेगा।
WHO की टीम जब पहली बार वुहान गई थी तो क्या निकला था?
इसी साल जनवरी में WHO की टीम चीन के वुहान शहर गई थी। अप्रैल में इस टीम ने अपनी रिपोर्ट दी, पर इस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं था। न ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर कोई निश्चित निष्कर्ष था। जो बातें पिछले दो साल से होती रही हैं, उन्हीं बातों को रिपोर्ट में दोहराया गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि ये पता नहीं कि चीन में लोग इस वायरस से कैसे संक्रमित हुए। ऐसा लगता है कि ये वायरस जानवरों से इंसानों में आया। इसके साथ ही इस बात की संभावना नहीं के बराबर है कि इसे लैब में बनाया गया। WHO पर चीन के दबाव में रिपोर्ट बनाने के भी आरोप लगे थे।
दुनियाभर के वैज्ञानिकों का इसे लेकर क्या कहना है?
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि लैब से वायरस फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। हो सकता है लैब के किसी कर्मचारी की लापरवाही की वजह से घातक वायरस लैब से बाहर निकला हो। यही इस महामारी की वजह बना। वुहान की ये लैब हुनान सीफूड मार्केट से भी ज्यादा दूर नहीं है, जहां सबसे पहले कोरोना का कहर देखा गया।
अब तक किसी जंगली जानवर में इस संक्रमण का नहीं मिलना और चीन सरकार द्वारा लैब से वायरस लीक होने की आशंका की जांच करने से इनकार करना लैब से संक्रमण फैलने की थ्योरी को बल देते हैं। हालांकि वुहान की लैब में काम करने वाले वैज्ञानिक कहते हैं कि SARS-CoV-2 को लेकर न तो उनके पास कोई सुराग है, न ही इससे जुड़ी कोई रिसर्च उनकी लैब में हो रही थी।
वहीं, कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि किसी लैब की जगह वायरस के नेचुरल उत्पत्ति की आशंका ज्यादा है। कोरोना वायरस पर काम कर रहे स्क्रिप्स रिसर्च के वैज्ञानिक क्रिस्टन जी एंडरसेन कहते हैं कि इबोला और दूसरे वायरस जानवरों से ही इंसानों में फैले, इन्हीं वायरस के जीनोम सीक्वेंस से ही कोरोना के फैलने के आसार सबसे ज्यादा हैं।