कौन हैं शेर बहादुर देउबा, जो 5वीं बार बने नेपाल के प्रधानमंत्री, कैसा है भारत से रिश्ता?

लगातार राजनैतिक अस्थिरता झेल रहे पड़ोसी देश नेपाल को अब जाकर नया प्रधानमंत्री मिल गया है. बता दें कि नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष लंबे समय से बात कर रहा था. यहां तक कि नेपाली जनता भी सरकार के खिलाफ कोरोना समेत कई मोर्चों पर नाकामयाबी की सड़कों पर उतरकर आलोचना कर रही थी. इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के दखल के बाद शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. 75 वर्षीय देउबा इससे पहले 4 बार देश के सर्वोच्च पद पर रह चुके हैं.

13 जून 1946 को पश्चिमी नेपाल के दादेलधुरा जिले एक गांव में जन्मे देउबा ने कॉलेज के समय से ही राजनीति में दखल शुरू कर दिया. साठ के दशक में वे काफी सक्रिय हो चुके थे और दशक के अंत तक काठमांडू की सुदूर-पश्चिमी छात्र समिति के लीडर बन चुके थे. बता दें कि ये छात्र समिति मुख्यधारा की राजनीति में काफी बड़ा नाम मानी जाती है, जिसकी मदद नेता भी लेते हैं.नेपाली कांग्रेस के सहयोगी दल की तरह देउबा ने नेपाल छात्र संघ की नींव डाली. इसके सदस्य आज भी चुनाव के दौरान प्रचार से लेकर काफी सारे काम नेताओं के लिए करते हैं.

शेर बहादुर देउबा स्टूडेंट रहने के दौरान से ही राजनीति में सक्रिय रहे

शिक्षा की बात करें तो देउबा ने कला के बाद कानून और राजनीति विज्ञान में भी मास्टर्स डिग्री ली ताकि उसका लाभ उन्हें राजनीति में अपरोक्ष तौर पर मिल सके. वे नेपाल के ज्यादातर नेताओं की तुलना में काफी पढ़े-लिखे और जानकार माने जाते हैं. भारत से भी उनके अच्छे संबंध रहे और साल 2016 में देउबा को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली.

लंबे समय से नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे देउबा आज तक हर चुनाव जीतते रहे हैं. बता दें कि नब्बे की शुरुआत में देउबा को प्रतिनिधि सभा के लिए चुना गया. इसके बाद से वे कभी नहीं हारे. वे गिरिजा प्रसाद कोइराला की सरकार में गृह मंत्री भी रहे.

देउबा ने अब नेपाल के 40वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी लेकिन वे पहली बार नहीं, बल्कि पांचवी बार देश के पीएम बने हैं. सबसे पहले साल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने ही उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. तब भी नेपाल खासी राजनैतिक उथलपुथल का शिकार था और संसद भंग करने की कोशिश हो रही थी.पहली बार 1995 से 1997 तक पीएम रहने के बाद वे दोबारा साल 2001 में लौटे, जब वे एक साल ही पीएम रह सके. तीसरी बार जून 2004- फरवरी 2005 और चौथी बार जून 2017- फरवरी 2018 तक देउबा नेपाल के पीएम रहे. अब शपथ ग्रहण के बाद देउबा को 30 दिनों के अंदर उन्हें सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा. लेकिन माना जा रहा है कि ओली के कारण मची अस्थिरता के कारण देउबा के लिए ये मुश्किल काम नहीं होगा.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, देउबा की गठबंधन सरकार में नेपाली कांग्रेस समेत माओवादी नेता पुष्प कमल दाहाल की प्रचंड पार्टी, और जनता समाजवादी पार्टी भी शामिल हैं. यहां ध्यान दें कि जनता समाजवादी पार्टी मधेसी नेताओं की पार्टी के तौर पर भी जानी जाती रही. ये वही मधेसी नेता हैं, जिनसे कई नियमों को लेकर ओली की भयंकर ठनी रही. मधेसी भारत से रोटी-बेटी का रिश्ता करने के पक्ष में रहे, जबकि ओली ने भारतीय बेटियों से शादी पर कई प्रतिबंधों की बात कर डाली थी.

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