बृजभूषण सिंह के आदमी को चुनौती देने वाली अनिता श्योराण कौन हैं? लड़ रही हैं को कुश्ती महासंघ में अध्यक्ष पद का इलेक्शन
डब्ल्यूएफ़आई के अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में इस बार दो उम्मीदवारों अनिता श्योराण और संजय कुमार सिंह का आमना-सामना होगा.
डब्ल्यूएफ़आई के अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में इस बार दो उम्मीदवारों अनिता श्योराण और संजय कुमार सिंह का आमना–सामना होगा.
हरियाणा से आने वाली अनिता श्योराण राज्य पुलिस सेवा में कार्यरत हैं लेकिन उन्होंने अपना नामंकन ओडिशा इकाई के प्रतिनिधि के तौर पर भरा है.
बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप में अनिता श्योराण गवाह भी थीं.
आपको याद होगा देश के छह पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे.
संजय कुमार सिंह कुश्ती महासंघ का हिस्सा रह चुके हैं और वे निवर्तमान संयुक्त सचिव भी हैं. उन्हें बृजभूषण सिंह का क़रीबी भी माना जाता है.
वहीं संजय को टक्कर दे रहीं अनिता श्योराण राष्ट्रमंडल खेलों में चैंपियन रह चुकी हैं.
कुश्ती महासंघ के लिए चुनाव 12 अगस्त को होंगे.
अगर अनिता श्योराण महाकुश्ती संघ के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत जाती हैं तो इस पद पर पहुँचने वाली वह पहली महिला होंगी.
अनिता श्योारण, हरियाणा के भिवानी ज़िले के छोटे से गांव ढ़ाणी माहू से आती हैं.
उनके पिता ड्राइवर थे और मां गृहणी हैं. उन्हें मिलाकर तीन बहनें और एक भाई है.
अनिता श्योराण का बचपन से ही स्पोर्ट्स में रुझान था और वो बताती हैं कि उनके दादाजी पहलवान थे.
अनिता ने बचपन में अपने दादाजी से कुश्ती के कई क़िस्से भी सुने लेकिन कभी दादाजी को कुश्ती खेलते नहीं देखा था.
वे बताती हैं, ”घर का माहौल रूढ़िवादी था और पढ़ने नहीं दिया जाता था .अगर मैं रनिंग के लिए जाती थी तो कहा जाता था कि क्या चैंपियन बनेगी. बड़ाभाई रखवाली करता था कि बहनें इधर–उधर देख न लें. हमें तो घर के चबूतरे पर खड़े रहने की इजाज़त नहीं थी.”
अनिता श्योराण बताती है, ”मेरा भाई जो मौसी का बेटा था वो सेना में जाने के लिए तैयारी कर रहा था और उसने मुझे कहा कि मैं उसके साथ रनिंग केलिए जाया करूं. लेकिन स्पोर्ट्स करने के लिए मेरा गांव से बाहर निकलना ज़रूरी था क्योंकि वहां न माहौल था न ही मौके.”
स्पोर्ट्स के लिए अनिता श्योराण भिवानी आना चाहती थीं लेकिन कोई राह नहीं निकल पा रही थी.
इस बीच उनके चाचा जो टीचर थे उन्होंने अनिता की मां से कहा कि आपकी लड़कियां पढ़ाई में अच्छी हैं. बड़ी बेटी को भिवानी पढ़ने के लिए क्यों नहींभेजती हो?
अनिता श्योराण ने जब ये सुना तो उन्हें आस बंधी और उन्हें लगा कि बड़ी बहन के सहारे उनका भी भिवानी जाने का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
लेकिन गांव से लड़कियों का बस में बैठकर भिवानी जाने की बात आते ही परिवार ने इस पर नामंजूरी दे दी.
अनिता श्योराण बताती हैं, ”मेरी मां अनपढ़ थीं लेकिन पढ़ाई के महत्व को समझती थीं और उन्होंने मुझे सपोर्ट किया. उन्होंने मेरे पिता को मनाया औरमेरी दीदी का भिवानी में दाखिला हो गया. इसके बाद चाचा ने मेरा भी भिवानी के स्कूल में दाखिला कराने में मदद की और दीदी ने कहा कि तुम्हारे पासआर्ट्स के विषय हैं, स्पोर्ट्स में भी लग जाओ इससे आगे जाकर मदद मिलेगी.”