परमाणु पनडुब्बी का आगाज़: अब किस देश के पास कितनी हैं?
परमाणु पनडुब्बी तकनीकी दृष्टि से बेहद उन्नत थी, जो न केवल महासागरों में गहराई तक यात्रा कर सकती थी, बल्कि इससे अमेरिका को सैन्य और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लाभ भी मिला।
दुनिया की पहली परमाणु पनडुब्बी: यूएसएस नॉटिलस का इतिहास
नई दिल्ली। आज यानी 30 सितंबर को दुनिया को परमाणु शक्ति से चलने वाली पहली पनडुब्बी ‘यूएसएस नॉटिलस’ मिली थी। इसे 21 जनवरी 1954 को नामांकित किया गया था और उसी वर्ष 30 सितंबर को इसे अमेरिकी नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया।
निर्माण की प्रक्रिया
- यूएसएस नॉटिलस का निर्माण अमेरिका ने 1949 में शुरू किया था, और इसे पूरा होने में कुल सात साल लगे। यह परमाणु पनडुब्बी तकनीकी दृष्टि से बेहद उन्नत थी, जो न केवल महासागरों में गहराई तक यात्रा कर सकती थी, बल्कि इससे अमेरिका को सैन्य और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लाभ भी मिला।
सेवा का कार्यकाल
यूएसएस नॉटिलस ने अपने 26 वर्षों की सेवा में कई महत्वपूर्ण मिशनों को अंजाम दिया। 3 मार्च 1980 को इसे सेवामुक्त कर दिया गया, लेकिन इसके कार्यकाल के दौरान इसने कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल कीं। यह पनडुब्बी उत्तरी ध्रुव तक पहुंचने वाली परमाणु पनडुब्बीथी, जो एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
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क्यूबा मिसाइल संकट
1962 का क्यूबा मिसाइल संकट अमेरिकी इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था, और इस संकट के दौरान यूएसएस नॉटिलस को भी तैनात किया गया था। इसकी तैनाती ने अमेरिका को समुद्र के भीतर से सूचना और सामरिक स्थिति पर नजर रखने की अनुमति दी, जिससे अमेरिका को संकट के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
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तकनीकी विशेषताएँ
यूएसएस नॉटिलस की विशेषताओं में इसकी परमाणु शक्ति, गहराई में यात्रा करने की क्षमता, और लंबी अवधि तक चलने की क्षमता शामिल थीं। इससे अमेरिका ने अपने समुद्री बल को एक नया आयाम दिया और यह सुनिश्चित किया कि अमेरिकी नौसेना वैश्विक स्तर पर किसी भी चुनौती का सामना कर सके।
आज की स्थिति
यूएसएस नॉटिलस के बाद, कई देशों ने अपनी परमाणु पनडुब्बियाँ विकसित की हैं। वर्तमान में, अमेरिका, रूस, चीन, भारत, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश परमाणु पनडुब्बियों के अधिपति हैं। अमेरिका के पास लगभग 14 बोरे-स्तरीय पनडुब्बियाँ हैं, जो निरंतर सामरिक तैयारियों में रहती हैं।
यूएसएस नॉटिलस का योगदान केवल अमेरिकी नौसेना के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था। यह पनडुब्बी न केवल एक तकनीकी चमत्कार थी, बल्कि इसने समुद्री युद्ध और रणनीति में एक नया मोड़ भी लाया। 30 सितंबर को इसे अमेरिकी नौसेना में शामिल किए जाने के साथ, यह एक नई युग की शुरुआत थी, जिसने दुनिया को परमाणु शक्ति से संचालित पनडुब्बियों के युग में प्रवेश कराया।