यूक्रेन रूस के युद्ध की मार भारत पर, बढ़ी महंगाई

रोटी खाना हुआ महंगा:रूस-यूक्रेन युद्ध से 6 रुपए/किलो महंगा हुआ आटा, मैगी के बाद अब बिस्कुट के दाम भी बढ़ेंगे

रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण पूरी दुनिया में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। रूस-यूक्रेन यूरोप के ‘ब्रेड बास्केट’ कहे जाते हैं। दुनिया के बाजार में आने वाले गेहूं में 29% और मक्के में 19% की हिस्सेदारी यूक्रेन और रूस की है। इस कारण युद्ध के कारण रूस और यूक्रेन से गेहूं का निर्यात भी प्रभावित हुआ है। इससे गेहूं महंगा होने लगा है। इसके चलते बीते 15 दिनों में ही आटा 6 रुपए प्रति किलोग्राम तक महंगा हो गया है।

गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है रूस
रूस और यूक्रेन युद्ध से गेहूं निर्यात भी प्रभावित हुआ है और ऐसी आशंका है कि आने वाले समय में भी गेहूं की आपूर्ति प्रभावित रहेगी। चीन और भारत के बाद रूस ही गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है और गेहूं के निर्यात (एक्सपोर्ट) के मामले में वह नंबर वन है। वहीं गेहूं निर्यातक देशों में यूक्रेन का पांचवां स्थान है।
रूस से निर्यात पर प्रतिबंध के कारण महंगा हो रहा गेहूं
अमेरिका, लेबनान, नाइजीरिया और हंगरी सहित कई देशों ने रूस से गेहूं और कच्चा तेल सहित अन्य सभी चीजों के निर्यात पर रोक लगा दी है। ऐसे दुनिया में गेहूं की किल्लत होने लगी है। ऐसे में इस किल्लत को पूरा करने के लिए भारत ने गेहूं का निर्यात बढ़ा दिया है।

यूरोप और अफ्रीकी देशों को जा रहा गेहूं
रूस से निर्यात पर लगी रोक के बाद देश के प्रमुख उत्पादक राज्य जैसे मध्यप्रदेश से हर दिन 2 से 3 लाख क्विंटल गेहूं यूरोप और अफ्रीकी देशों में जा रहा है। इससे स्थानीय बाजारों में गेहूं और आटा महंगा हो गया है। 15 दिन में गेहूं के दाम 2,200 रु./क्विंटल से 2,600 रु. तक पहुंच गए हैं। नतीजा- गेहूं से बनने वाले हर उत्पाद 5-5 रु./प्रतिकिलो महंगे हो चुके हैं।
देश में रिकॉर्ड पर पहुंची महंगाई
सरकार ने 14 मार्च को रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए। आम आदमी को फरवरी में महंगाई के मोर्चे पर झटका लगा है। खाने-पीने के सामान से लेकर सब्जी, जूते-चप्पल सब महंगे हो गए हैं।
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर फरवरी में बढ़कर 8 महीने के उच्चतम स्तर 6.07% पर पहुंच गई। जून 2021 में यह 6.26% था। जून के बाद महंगाई का आंकड़ा लगातार दूसरे महीने RBI की तय लिमिट 4 (+/-2%) से पार पहुंचा हैं। जनवरी 2022 ये 6.01% थी।
भारत के सामने गेहूं का बड़ा निर्यातक बनने का मौका
दुनियाभर में 30% गेहूं की आपूर्ति सिर्फ रूस करता है। उसके आयात पर अभी रोक है। भारत गेहूं उत्पादन में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है, लेकिन हमारा निर्यात महज 1% तक ही है। ऐसे में अभी रूस पर रोक का फायदा भारत को मिल सकता है। भारत गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक है। मौजूदा समय में भारत के पास गेहूं की सप्लाई भी पर्याप्त है जो निर्यात बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।

1 फरवरी तक देश के केंद्रीय पूल में 2.82 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक दर्ज किया गया है। इसके अलावा बाजार और किसानों के पास भी पिछला स्टॉक पड़ा है। इस साल भारत में गेहूं के 11 करोड़ टन से ज्यादा के उत्पादन का अनुमान है। सालभर में देश की अपनी खपत लगभग 10.5 करोड़ टन रहती है यानी घरेलू जरूरत पूरा होने के बाद भी निर्यात के लिए पर्याप्त गेहूं बच जाएगा। इससे किसानों को भी फायदा मिलेगा। इसलिए भारत सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

Related Articles

Back to top button