भारत सरकार के खिलाफ अदालत पहुंचा WhatsApp, कहा- नए कानूनों से खत्म हो जाएगी प्राइवेसी

फेसबुक (Facebook) के मालिकाना हक वाली मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप (WhatsApp) भारत सरकार के नए आईटी नियमों (IT Rules) के खिलाफ अदालत पहुंच गई है. नए नियमों में वॉट्सऐप और उस जैसी कंपनियों को अपने मैसेजिंग ऐप (messaging app) पर भेजे गए मैसेज के ऑरिजिन, यानी जहां से सबसे पहले संदेश भेजा गया, का पता रखना होगा. इस नियम के खिलाफ कंपनी ने 25 मई को दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दी है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने इस बाबत जानकारी देते हुए कहा, ‘मैसेजिंग ऐप को चैट का इस तरह ट्रेस रखने को कहना एक तरह से वॉट्सऐप पर भेजे गए सारे मैसेज पर नजर रखने जैसा होगा, जो कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को खत्म कर देगा और लोगों की ‘निजता के अधिकार’ का उल्लंघन होगा.

कंपनी ने इसके साथ ही कहा है कि, ‘इस बीच हम किसी जानकारी के लिए कानूनी रूप से मांगे गए वैध्य आग्रह का जवाब सहित लोगों को सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार के साथ लगातार बातचीत करते रहेंगे.’

कानून के अनुसार वॉट्सऐप को सिर्फ उन लोगों को बेनकाब करने की आवश्यकता है, जिन पर गलत काम करने का आरोप लगाया गया है, कंपनी का कहना है कि वह ऐसा नहीं कर सकती. चूंकि मैसेज एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं, इसलिए कानून का पालन करने के लिए वॉट्सऐप का कहना है कि इसमें रिसीवर्स के साथ-साथ मैसेज के ‘ओरिजिनेटर’ के लिए ब्रेक एन्क्रिप्शन होगा.

रॉयटर्स स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाया है कि वॉट्सऐप, जिसके भारत में लगभग 400 मिलियन यूज़र्स हैं, ने अदालत में शिकायत दर्ज की है, या इसकी समीक्षा अदालत द्वारा की जा सकती है. मामले की जानकारी रखने वालों ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे पहचानने से इनकार कर दिया. इसके अलावा वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

क्या हैं नए नियम?

इस गाइडलाइन के तहत Facebook, twitter, Instagram जैसे सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने यहां  शिकायत अधिकारी, एक मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल कॉन्टैक्ट अधिकारी की नियुक्ति करनी है, जिसकी डेडलाइन 26 मई खत्म हो रही है और किसी भी प्लेटफॉर्म ने अभी तक इनकी नियुक्ती नहीं की है. अगर कंपनियां नियमों का पालन करने में विफल रहती हैं, तो उनकी मध्यस्थ स्थिति समाप्त की जा सकती है और उन पर आपराधिक कार्रवाई हो सकती है.

नए कानूनों के तहत, निगरानी तंत्र में रक्षा, विदेश मंत्रालय, गृह, सूचना एवं प्रसारण, कानून, आईटी और महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ एक समिति शामिल होगी. अगर वह चाहे, तो आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर सुनवाई करने के लिए उनके पास स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति होगी.

सरकार संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के रैंक के एक अधिकारी को ‘अधिकृत अधिकारी’ के रूप में नियुक्त करेगी, जो कंटेंट को ब्लॉक करने का निर्देश दे सकता है.

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