बच्चों को लगने वाली ZYCOVD वैक्सीन की तीनों खुराकों में कितना होगा अंतर, जानें
सवाल. जायडस कैडिला की जेडसीओवीडी डी कोविड वैक्सीन अन्य उपलब्ध कोविड वैक्सीन से किस तरह अलग है? विशेष रूप से फाइजर और मॉडर्ना की एमआरएनए वैक्सीन से इसे किस तरह अलग कहा जा सकता है?
जवाब. जायडस कैडिला (Zydus Cadilla) की जेडसीओवीडी (ZCOVD) दुनिया की पहली प्लाज्मिड डीएनए आधारित वैक्सीन है जिसे मानव प्रयोग में लाया जाएगा. डीएनए और डिऑक्सी रिबोन्यूक्लिक एसिड में एक जीवश्म के कई जेनेटिक कोड के कंपोनेट्स (अवयय) होते हैं. डीएनए आधारित वैक्सीन बनाने के लिए कोविड वायरस के उस प्रमुख हिस्से को जो कि सेल्स में प्रवेश करने में मदद करता है मरीज को संक्रमित करता है उसे कोडेड कर लिया जाता है. जब वैक्सीन मानव शरीर में पहुंचाया या लगाया जाता है, यह वायरस के उसी हिस्से का उत्पादन करती है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी (Antibody) या टी सेल्स एंटीबॉडी के लिए उत्तेजित करती हैं.
जाइडस की यह वैक्सीन दुनिया की पहली वैक्सीन है जो डीएनए बेस्ड है. (फाइल फोटो)
वैक्सीन में मौजूद डीएनए प्लाज्मिड झिल्ली से कवर होता है और शरीर में एंटीबॉडी बनाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह अपने आप विघटित हो जाता है. यह डीएनए लैब में तैयार की गई संरचना है और इसमें मानव शरीर की आनुवांशिक संरचना में हस्तक्षेप करने की क्षमता होती है.हालांकि एमआरएनए वैक्सीन को भी इसी सिद्धांत पर तैयार किया जाता है यह भी लैबोरटरी में तैयार की गई संचरना होती है न कि वायरस से ली गई सजीव संचरना.
सवाल. क्या इस वैक्सीन को बच्चों के लिए भी प्रयोग की अनुमति दे दी गई है?
जवाब. किसी भी नई वैक्सीन का परीक्षण सबसे पहले व्यस्क लोगों में होता है इसके बाद इसे बच्चों पर प्रयोग किया जाता है और इसे वर्तमान में सभी अन्य बाल टीकों की तरह ही सुरक्षित पाया गया है. इसी तरह कोविड के लिए वर्तमान में प्रयोग की जाने वाली सभी वैक्सीन जैसे कोविशील्ड, कोवैक्सिन या फिर स्पूतनिक वी जिन्हें व्यस्क के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, इसमें कोवैक्सिन का अब 2-18 साल के बच्चों के लिए परीक्षण किया जा रहा है. वैक्सीन के प्रयोग के संदर्भ में ध्यान देने वाली बात इसकी सुरक्षा और बच्चों में इम्यूनोजेनेटी क्षमता को जांचना है. अब हमारे पास किशोरावस्था के बच्चों के लिए भी देश की पहली स्वीकृत सुरक्षित और प्रभावी कोविड वैक्सीन उपलब्ध है.
जवाब. व्यस्क टीकाकरण में प्राथमिक समूहों को व्यवसाय, कोमोरबीडिज या एक साथ कई बीमारियां और उम्र के आधार पर रखा गया था. इस समूह में संक्रमण के जोखिम के खतरे और गंभीर बीमारी वाले लोगों को प्राथमिकता के आधार पर मृत्यु दर कम करने के लिए पहले टीका दिया गया लेकिन बच्चों में कोविड संक्रमण के लक्षण बेहद हल्के ए सिम्पमेटिक या मामूली होते हैं, जबकि कोविड संक्रमित बच्चों की मृत्यु के मामले भी बड़ों के एवज में कम देखे गए. बड़ों की तरह ही बच्चों मे भी टीकाकरण की प्राथमिकता तय की जाएगी, इसमें पहले समूह में उन बच्चों को कोविड का वैक्सीन दिया जाएगा, जिन्हें पहले से कई गंभीर बीमारियां जैसे डायबिटिज, दिल की बीमारी, सीकेडी या किडनी की बीमारी, लिवर, या फिर सांस की तकलीफ है, ऐसी किसी भी अवस्था में सामान्य बच्चों की अपेक्षा कोविड संक्रमण का गंभीर असर हो सकता है.
दूसरा, भारत में कुल 44 करोड़ बच्चे हैं जिसमें 12 करोड़ बच्चे 12-17 साल की आयु वर्ग के बीच के हैं. व्यस्क टीकाकरण में तय की गई प्राथमिकता के अनुसार ही बच्चों का भी टीकाकरण किया जाएगा. जिसमें कोमोरबीडिज बच्चों को पहले टीका मिलेगा.
सवाल. क्या यह वैक्सीन अन्य स्वीकृत वैक्सीन से भी अधिक सुरक्षित है?
जवाब. जायडस कैडिला की जेडवाईसीओवी डी के अब तक किए गए पहले, दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षणों में इसे हर आयु समूह के लिए सुरक्षित पाया गया है. यही नहीं इससे वैक्सीन के बाद होने वाले मामूली साइड इफेक्ट्स (प्रतिक्रियाजन्यता) जैसे बुखार, दर्द, सूजन आदि भी वर्तमान में प्रयोग की जाने वाली वैक्सीन के एवज में कम देखने को मिले हैं.
सवाल. इस आयु वर्ग को कोविड का वैक्सीन कब से मिलना शुरू हो जाएगा? वर्तमान में देश में कोविड वैक्सीन उत्पादन क्षमता कितनी है?
जवाब. व्यस्क टीकाकरण के साथ ही किशोरावस्था के टीकाकरण (कोमोरबीडिज समूज ) में अक्टूबर मध्य से वैक्सीन देना शुरू किया जा सकता है जबकि सामान्य बच्चों या किशोरो के लिए टीकाकरण वर्ष 2022 के पहले मध्यान्ह में ही शुरू किया जा सकेगा. वर्तमान में जायडस कैडिला यानि जेडवाईसीओवीटू की उत्पादन क्षमता एक करोड़ डोज प्रति माह है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में उत्पादन क्षमता दो से तीन करोड़ प्रतिमाह हो सकती है. हमें यह समझने की जरूरत है कि डीएनए वैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया धीमी होती है और इसकी तकनीक को अन्य कंपनियों हस्तांतरित करने में भी समय लगता है.
सवाल. डीएनए आधारित वैक्सीन की दो डोज के बीच कितना अंतराल होगा?
जवाब. यह तीन डोज की वैक्सीन होगी, जिसे बिना सूई के एक तरह के उपकरण जिसे जेट या फार्माजेट कहा जाता है के द्वारा दिया जाएगा, इस तरह यह पूरी तरह दर्द रहित और नीडल रहित टीका होगा. प्रत्येक डोज में दो एमजी वैक्सीन होगी, जिसे पुन: दो भागों में विभाजित किया जाएगा और दो बार अलग अलग साइट्स पर लगाया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक इम्यून रेस्पांस प्राप्त किया जा सके. सभी तीनों डोज को चार हफ्ते अंतराल में लगाया जाएगा. वैक्सीन लगने के बाद किसी तरह के दुष्प्रभाव न के बराबर हैं. यही नहीं वैक्सीन लगने वाली साइट या जहां वैक्सीन लगेगी वहां दर्द या असहजता भी महसूस नहीं होगी. यही नहीं जायडस कैडिला के बाद बुखार या थकान भी नहीं होगी, वर्तमान में यह वैक्सीन केवल भारत में ही उपलब्ध है. यह पूरी तरह भारत में निर्मित वैक्सीन होगी, और हम ऐसी उम्मीद करते हैं कि यह वैक्सीन टीकाकरण में केवल भारत में ही नहीं विश्वभर में क्रांति ला देगी. हम अब किसी भी जिद्दी वायरस के खिलाफ अधिक मजबूत एंटीबॉडी विकसित करने में सक्षम होंगे. इसी आधार पर एचआईवी की वैक्सीन भी तैयार की जा सकती है.