क्या है हाथरस का पूरा सच ?
हाथरस का मामला आज देश का बड़ा मामला बन चूका है, लेकिन इस मामले को अब बदला जा रहा है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक़ दुष्कर्म नहीं हुआ था। पीढ़िता से भी जब पहले पूछा गया था तो पीड़िता ने दुष्कर्म का ज़िक्र नहीं किया था बस संदीप का नाम लिया था । लड़की के भाई का नाम भी संदीप है और संदिग्ध आरोपी का नाम भी संदीप है। यहाँ सिर्फ जतियों का फ़र्क़ है। इसके बाद परिजनो ने भी बस मारपीट का ज़िक्र किया था।
अब तो केस एक अलग ही मोड़ पर आ गया है। आरोपियों ने पुलिस अध्यक्ष को चिठ्ठी लिखकर न्याय की मांग की है। आरोपी ने कहा है की पहले से ही पीड़िता से दोस्ती थी । लेकिन पीड़िता के परिवार वालो को दोस्ती से एतराज़ था । जिसकी वजह से पीड़िता के घर में मारपीट हुई।
14 सितम्बर को ये घटना हुई थी और उसके 2 हफ़्ते के बाद पीड़िता की हालत ज्यादा बिगड़ गई थी। इसी वजह से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल मे पीड़िता को लाया गया और तब बयान में पीड़िता ने कहा की दुष्कर्म हुआ था। लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में यें साबित नही हुआ की दुष्कर्म हुआ था।
हालाँकि जेएन मेडिकल कॉलेज में पीड़ित के बयान के बाद उसकी जांच की गई थी। जांच में यौन हिंसा की बात नहीं कही गई थी। हालांकि ये कहा गया था कि इस बात के संकेत मिले हैं कि पीड़ित के साथ जबरदस्ती हुई है। ये भी पता चला है की दोनो परिवारों मे पहले से ही रंजिस थी और रंजिस के चलते ही इस घटना को अंजाम दिया गया। हाथरस केस अब रेप मिस्टरी से मर्डर मिस्टरी में बदल गया है। घटना होने के बाद लड़की के भाई और संदीप ठाकुर के बीच 100 से भी जादा बार फ़ोन पर बात हुई है।
असल में तों पीड़िता की हत्या कि गई है !
अब सवाल ये उठता है की हत्या की तो किसने?
अब आपको बताते हैं क्राइम सीन का सच
इस पूरे मामले में अब तक तीन पक्ष निकलकर सामने आए हैं। पहला पीड़ित परिवार, दूसरा आरोपी पक्ष और तीसरा राजनीतिक पक्ष। शुरू से बात करें तो 14 सितंबर की घटना है। सब कुछ सामान्य था। मृतका भी अपने मां और भाई के साथ घास काट रही थी। आरोप है कि मृतका ने जब एक गट्ठर घास काट ली तो उसका भाई उसे लेकर चला गया। इस समय भी मां और बेटी दूर- दूर बैठकर घास कट रही थीं। आरोप है कि उसी वक्त चार आरोपियों ने उस पर हमला कर दिया। इस मामले में मृतका का पहला बयान तब आया जब वह थाने में बेसुध थी। उसने बताया था कि कुछ लड़कों ने उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की और मना करने पर दुपट्टे से गला दबा दिया। मां का भी बयान वही था जो मृतका ने कहा था। दोनों ने एक ही शख्स का नाम लिया था। वह संदीप था। वह लेकिन, अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में जब पीड़िता ने बयान दिया तो उसने कहा कि उसके साथ गलत काम किया गया।
पीड़ित के भाई का आरोपपीड़िता के बयान के बाद भाई का बयान सामेन आया। उनका कहना था कि बहन के साथ दुष्कर्म किया गया और मारने की कोशिश की गई। आरोप लगा कि पुलिस ने एफआईआर लिखने में 8 दिन की देरी की। इस बीच, पीड़िता की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ रही थी। उसे अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया। एक हफ्ते के इलाज के बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एडमिट कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। यह मामला तब और बड़ा हो गया जब पुलिस ने परिवार को शव नहीं सौंपा और उसका अंतिम संस्कार कर दिया। जो आप सबने देखा और तमाम सवालों से योगी सरकार घिर गई।
ऐसा लगता है जैसे बदायूं केस का रिपीट टेलीकास्ट चल रहा है। इसी तरह तब भी पुलिस , नेताओं और मीडिया का जमावड़ा लगा रहा था मगर अख़िर मे मामला दब गया और आज तक सच सामने नही आया।
किसी को नही पता की लड़कियों की मौत कैसे हुई ?
और हाथरस मामले में भी दो परिवारों की रंजिस में एक लड़की की जान चली गई।
पहले इस मामले को सुलझाने के लिए योगी सरकार ने SIT की टीम तैयार की थी। लेकिन अब ये मुद्दा उनसे भी सुलझता हुआ नहीं दिख रहा है। सरकार ने पहले 7 दिनों का समय माँगा था लेकिन अब SIT को 10 दिनों का एक्सटेंशन मिल गया है। खैर इस मामले पर तो राजनितिक रोटियां सेकी जा रही हैं। हत्या के मुद्दे को भटकाया जा रहा है और सच अब तक किसी के सामने नहीं आया है।