ड्रग्स कारोबार से जुड़े दोषी को मिल सकता है मृत्युदंड, जानिए क्या हैं भारत में कानून
नेशनल डैस्क: आर्यन पर ड्रग्स सेवन के आरोप ने एक बार फिर से देश में हलचल पैदा कर दी है। अभी एनसीबी उन पर मामला फ्रेम करेगी। फिर अदालत में इसकी सुनवाई होगी। भारत में मादक पदार्थों का सेवन गंभीर अपराध है। लेकिन आप कब और कौन सी ड्रग्स ले रहे हैं। कितने समय से ले रहे हैं, कई ऐसी बातें हैं, जिस पर अदालत सजा देने से पहले विचार करती है। आपको बताते है कि देश में ड्रग्स सेवन संबंधी कानून क्या हैं। किस तरह से और कितनी सजा इस मामले में गुनहगार पाए जाने पर होती है। कुछ विशेष रूप से गंभीर मामलों में अदालतें स्वविवेक से ड्रग्स कारोबार से जुड़े दोषी को मृत्युदंड तक दे सकती हैं। देश से लेकर विदेशों तक में ऐसी कई सजाएं हो चुकी हैं।
दिसंबर 2007 : मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने गुलाम मलिक को मौत की सजा दी, जिसे 2004 में 142 किलोग्राम हशीश के साथ गिरफ्तार किया गया था।फरवरी 2008 : पहले 1998 में 40 किलोग्राम चरस और फिर साल 2003 में 28 किलोग्राम चरस के साथ गिरफ्तार किए गए ओंकारनाथ काक को अहमदाबाद सेशन कोर्ट ने मौत की सजा दी थी।फरवरी 2012 : साल 1998 में 1.02 किलो और फिर 2007 में 10 किलो हेरोइन के साथ पकड़े जाने वाले परमजीत सिंह को चंडीगढ़ की जिला कोर्ट ने मृत्युदंड दिया था।
क्या है एंटी ड्रग्स कानून
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटैंस एक्ट यानी एन.डी.पी.एस. एक्ट 1985 और एन.डी.पी.एस. एक्ट 1988 दो मुख्य कानून हैं, जो भारत में ड्रग्स संबंधी मामलों में लागू होते हैं। इस कानून के मुताबिक नारकोटिक ड्रग्स या फिर किसी भी नियंत्रित केमिकल या साइकोट्रॉपिक पदार्थों को बनाना, रखना, बेचना, खरीदना, व्यापार, आयात-निर्यात और इस्तेमाल अपराध की श्रेणी में आता है। सिर्फ मेडिकल या वैज्ञानिक कारणों से विशेष मंज़ूरी के बाद इसका इस्तेमाल संभव है।
कितना गंभीर है ये कानून
प्रतिबंध को तोड़ने वाले व्यक्ति के खिलाफ सर्च, कुर्की और गिरफ्तारी का अधिकार भी एन.डी.पी.एस. एक्ट देता है। जांच एजेंसी ऐसे मामले में निजी या सार्वजनिक स्थानों पर कार्रवाई कर सकती है।
ड्रग्स सूची में कितने पदार्थ हैं प्रतिबंधित
कोकीन से लेकर गांजे तक 225 से ज्यादा साइकोट्रॉपिक और ड्रग्स की सूची है, जो एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत प्रतिबंधित हैं। इनके किसी भी तरह के मिश्रण को अगर आप अपने पास रखते हैं, इस्तेमाल करते हैं या किसी तरह भी इसका व्यापार करते हैं, तो आप कानून तोड़ रहे हैं और ये काम अपराध माना जाता है। साल 2008 में यह व्यवस्था दी गई थी कि एन.डी.पी.एस.एक्ट के तहत ड्रग्स रखने के मामले में सजा यह देखकर तय होगी कि कितनी मात्रा में ड्रग्स आरोपी के पास पाई गई. यानी एक किलो से कम तक ड्रग्स रखने को व्यावसायिक नहीं माना गया था। निजी इस्तेमाल के लिहाज से ड्रग्स मिलने पर आरोपी को 10 साल तक की कैद जबकि कमर्शियल मात्रा में ड्रग्स पजेशन पर 20 साल तक की सख्त कैद तक का प्रावधान है।