क्या है निपाह वायरस जिससे केरल में बच्चे की हुई मौत? जानें इसके लक्षण और इलाज

नई दिल्ली. केरल में कोरोना वायरस संक्रमण (COVID-19 Cases in Kerala) के बाद एक और वायरस ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. ये है निपाह वायरस ( Nipah Virus). रविवार को इस वायरस की चपेट में आकर 12 साल के एक बच्चे की मौत हो गई. पीड़ित लड़के के शरीर से सैंपल लिए गए थे, जिसे जांच के लिए पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान (NIV) को भेजा गया था. अब NIV ने बच्चे के शरीर में निपाह वायरस की पुष्टि कर दी है. फिलहाल केंद्र सरकार ने दिल्ली से एक टीम भेजी है जो इस वायरस को लेकर केरल में आगे की जांच करेगी.

बता दें कि दक्षिण भारत में निपाह वायरस का पहला मामला केरल के कोझीकोड जिले में 19 मई, 2018 को दर्ज किया गया था. राज्य में 1 जून, 2018 तक 17 मौतें और 18 मामलों की पुष्टि हुई थी. निपाह ने 2019 में फिर से एर्नाकुलम ज़िले में दस्तक दी. हालांकि उस वक्त मरीज़ों की संख्या में इज़ाफा नहीं हुआ था.

आईए एक नज़र डालते हैं निपाह वायरस के लक्षण और इलाज पर…

  • क्या है निपाह वायरस?
    निपाह वायरस एक ज़ूनोटिक बीमारी है, यानी वो बीमारी जो जानवरों से इंसानों में फैलती है. ये वायरस सिर्फ उन्हीं जानवरों के जरिए इसानों में आती है जिनमें रीढ़ की हड्डी और कंकाल होते हैं. इसके अलावा इस वायरस के इंसान से इंसान में फैलने के भी कुछ केस मिले हैं. पहली बार मलेशिया में सुअर पालने वाले किसानों में इस वायरस के लक्षण मिले थे. ये बीमारी पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में 2001 और फिर 2007 में सामने आई थी. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये वायरस काफी हद तक एक खास इलाके में ही रहता है. यानी ये ज्यादातर एक क्षेत्र तक ही सीमित रहता है और रोगियों के सम्पर्क में आने से ये फैलता है.
  • कैसे फैलता है निपाह वायरस?
    निपाह वायरस संक्रमित सूअरों या फल खाने वाले चमगादड़ों द्वारा फैलता है. लार, पेशाब या मल के ज़रिए ये फैलता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बांग्लादेश और भारत में ये वायरस आमतौर पर फलों या फलों के उत्पादों (जैसे कच्चे खजूर का रस) का सेवन करने से फैलता है. ये वो फल होते हैं चमगादड़ों के यूरिन या लार से दूषित होते है. संक्रमण का सबसे बड़ा कारण यही है.
  • क्या हैं निपाह वायरस के लक्षण ?
    डब्ल्यूएचओ के मुताबिक संक्रमित लोगों में शुरू में बुखार, सिरदर्द, मायलगिया (मांसपेशियों में दर्द), उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षण विकसित होते हैं. इसके बाद चक्कर आना और एन्सेफलाइटिस भी हो सकता है. कुछ लोग असामान्य निमोनिया और गंभीर श्वसन समस्याओं का भी अनुभव कर सकते हैं. गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ते हैं. इसके बाद मरीज़ 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में चले जाते हैं. ये वायरस 4 से 14 दिनों तक एक्टिव रहता है.
  • क्या इसके लिए कोई दवाई और वैक्सीन है?
    डब्ल्यूएचओ के अनुसार फिलहाल निपाह वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए कोई दवा या टीके नहीं हैं. कोरोना की तरह ही यहां मरीजों को अच्छे देखभाल की जरूरत पड़ती है.
  • कैसे रोका जा सकता है इस वायरस का संक्रमण?
    डब्ल्यूएचओ सलाह देता है कि अगर निपाह वायरस का संदेह है, तो जानवर के परिसर को तुरंत छोड़ दिया जाना चाहिए. इस जगह को क्वारंटीन कर दें. लोगों में इसके संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए संक्रमित जानवरों को मार दें. जानवर के शवों को किसी एक्सपर्ट की देखरेख में दफना दें. संक्रमित खेतों से जानवरों की आवाजाही को अन्य क्षेत्रों में प्रतिबंधित या प्रतिबंधित करने से बीमारी के प्रसार को कम किया जा सकता है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल लोगों को बीमार व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने के बाद साबुन और पानी से हाथ धोने की सलाह देता है, कच्चे खजूर के रस या ताड़ी का सेवन करने से बचें, केवल धुले हुए फलों का सेवन करें, जमीन से आधे-अधूरे फल खाने से बचें.

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