लड़की मतलब स्लिम ट्रिम बॉडी:परफेक्ट बॉडी के लिए डाइटिंग कर रहीं थी श्वेता तिवारी
कमजोर होने पर पहुंची हॉस्पिटल, जानिए दुनियाभर में कितनी महिलाएं करती हैं डाइटिंग
खाना ताकती रहती हूं लेकिन खा नहीं सकती, स्लिम और ट्रिम बॉडी के प्रेशर में एनोरेक्सिया की शिकार हो रही महिलाएंदुनिया की 1.7% महिलाएं करती हैं डाइटिंग, 1% एनोरेक्सिया की शिकार
परफेक्ट बॉडी…जीरो साइज फिगर और स्लिम ट्रिम फिगर पाने की चाह में आज ज्यादातर महिलाएं खुद को भूखा रख रही हैं। परफेक्ट बॉडी बनाना और उसे सदाबहार बरकरार रखने का प्रेशर इतना ज्यादा है कि महिलाएं शरीर को फिट करने में अपनी पूरी ताकत झोंक देती हैं, यहां तक ही उन्हें ये भी महसूस नहीं होता कि वो एनोरेक्सिया की शिकार हो रही हैं। हाल ही में एक्ट्रेस श्वेता तिवारी सेट पर बेहोश हो गई थी और अब हॉस्पिटल में एडमिट हैं। श्वेता की टीम का कहना है कि ज्यादा काम और आराम न मिलने के कारण उनका ब्लड प्रेशर कम हो गया था। इसी मामले में श्वेता के पति अभिनव कोहली ने उनकी बीमारी पर तंज कसते हुए इंस्टाग्राम पर लिखा कि एक्टर ज्यादा बॉडी बनाने और सुंदर दिखने के चक्कर में बीमार पड़ते हैं।
बता दें कि श्वेता तिवारी ने हाल ही में खतरों के खिलाड़ी शो से पहले 10 किलो वजह घटाया था। 40 साल की श्वेता ने इससे पहले फोटो शूट भी कराया था जिसमें वो काफी पतली और नए अंदाज में नजर आई थी। पतले होने के लिए श्वेता ने हाई फाइबर फूड डाइट खाने के लेकर कई तरीके अपनाए, लेकिन ज्यादा दिन तक इस तरह की डाइट को फॉलो करना आसान नहीं होता। हम बात कर रहे हैं कि आखिर किस तरह महिलाएं चार्म और ग्लैमर भरी दुनिया के चकाचौंध में आकर खुद को पेन देने लगती हैं। शरीर को फिट बनाने के प्रेशर में ईटिंग डिसऑर्डर से लेकर एनोरेक्सियाऔ र बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर, बुलिमिया जैसी भयानक बीमारियां झेलती हैं।
क्या है एनोरेक्सिया?
एनोरेक्सिया (Anorexia) एक मानसिक बीमारी है, जिसमें मरीज अपने वजन बढ़ने को लेकर काफी सीरियस होता है। उन्हें लगने लगता है कि अगर वो खाना खाएंगे तो बहुत जल्द मोटे हो जाएंगे और इस कारण वो खाना छोड़ देते हैं। बहुत कठिन डाइटिंग करते हैं और गलत समय पर खाना खाते हैं। उन्हें अपने वजन की इतनी ज्यादा चिंता होती है कि वे कई बार जीने लायक खाना-पीना भी छोड़ देते हैं, जिससे उनका शरीर लगातार कमजोर पड़ता जाता है। सही समय पर इलाज न कराने पर एनोरेक्सिया जानलेवा भी साबित हो सकता है। एनोरेक्सिया और अन्य ईटिंग डिसऑर्डर बीमारियों से पीड़ित 20% केस में मौत के मामले सामने आए हैं, जिसमें ज्यादातर लड़कियां 15 से 24 उम्र की पाई गई।
ये फेमस महिलाएं हुई है ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार
ऋचा चड्ढा
ऋचा चड्ढा – फुकरे गर्ल ऋचा चड्ढा ने साल 2016 में एक शो के दौरान बताया कि जब वो फिल्म इंडस्ट्री में आई तो लोग उन्हें लोग वजन घटाने के बजाए बढ़ाने के लिए कहते थे क्योंकि वो काफी पतली थी। उन्हें लिप्स बड़े करने, नाक ठीक करने और पपी फैट कम करने और नकली नाखून, नकली पल्के आदि कई चीजें फॉलो करने को कहा गया। वे इन ब्यूटी स्टैण्डर्ड में इतना फस चुकी थी कि एक समय पर रोजाना खाना खाकर उलटी करना उनका रूटीन बन चुका था। ऋचा बुलिमिया से पीड़ित थी और काफी समय बाद सही हो पाई।
प्रिंसेस डायना और प्रिंस चार्ल्स
प्रिंसेस डायना – ब्रिटिश रॉयल परिवार की सदस्य और वेल्स की राजकुमारी डायना की खूबसूरती की पूरी दुनिया दिवानी थी, उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों कैमरामैन और मीडिया दिन-रात उनका पीछा करते थे। ये देख कोई भी यही सोचेगा कि इतनी पॉपुलर होने पर डायना को खुश होना चाहिए लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है, प्रिंसेस डायना एनोरेक्सिया बीमरी की शिकार थी, स्ट्रेस में खाना खाने के बाद वे उल्टी कर उसे बाहर निकाल देती थी। हाल ही में ब्रिटिश परिवार की जिंदगी पर आधारित सीरीज ‘द क्राउन’ में इसके कई दृश्य दिखाए गए हैं।
दुनिया की 1.7% महिलाएं करती हैं डाइटिंग, 1% एनोरेक्सिया की शिकार
दुनिया में करीब 3,905 मिलियन महिलाएं हैं जिसमें से 1.7% महिलाएं डाइटिंग करती हैं। ईटिंग डिसऑर्डर पर काम कर रही संस्था मिरासोल की रिपोर्ट के मुताबिक 43 मिलियन महिलाएं पतले होने के लिए और 26 मिलियन महिलाएं अपने बॉडी शेप को बरकरार रखने के लिए डाइटिंग करती हैं। इस तरह दुनियाभर में करीब 69 मिलियन महिलाएं खुद को परफेक्ट बॉडी के ढांचे में डालने के लिए भूखी रहती हैं। इसमें से 1% महिलाएं एनोरेक्सिया की शिकार होती हैं।
पुरुष मतलब फिजिकली फिट और महिला मतलब स्लिम एंड ट्रिम
दुनियाभर में महिलाएं ही सबसे ज्यादा एनोरेक्सिया की शिकार क्यों हो रही हैं इसका कारण बताते हुए मैक्स हॉस्पिटल की सायकायट्रिस्ट डॉ सौमिया मुदगल बताती हैं कि दुनियाभर में केवल 0.3% पुरुषों के मुकाबले 1% महिलाएं एनोरेक्सिया से पीड़ित हैं। समाज की सोच ही इन आंकड़ों के पीछे का मुख्य कारण है, जहां महिलाओं से ये उम्मीद की जाती है कि उन्हें स्लिम एंड ट्रिम होना चाहिए, उन्हें पतला होने को मजबूर किया जाता है, जबकि पुरुषों से यही उम्मीद की जाती है कि उन्हें फिजिकली फिट होना जरूरी है। बुली करने के मामले में महिलाएं सॉफ्ट टारगेट होती हैं, इसलिए उन पर इसका ज्यादा असर पड़ता है। महिलाओं की ऐसी बॉडी इमेज देख छोटी उम्र से ही लड़कियां उस तय बॉडी इमेज में खुद को फिट करने में लग जाती हैं और इस प्रोसेस में कई बार सेल्फ हार्म करती हैं और टॉर्चर सहती हैं।
सोशल मीडिया इंफ्लूएंस और पीयर प्रेशन है सबसे बड़ी वजह
जिरो साइज फिगर…परफेक्ट फिगर….लड़की की बॉडी में कर्व होने चाहिए…..मोटा होना बुरा है….. जैसे बॉडी इमेज कमेंट्स फिल्म और ग्लैमर वर्ल्ड से होते हुए सोशल मीडिया के जरिए आम लड़कियों के टेबल और टॉयलेट तक पहुंच चुके हैं। सायकायट्रिस्ट मानते हैं कि परफेक्ट साइज में फिट होने का बोझ सबसे ज्यादा महिलाओं के ऊपर होता है, इस इमेज में फिट न होने वाली महिलाओं और यंग लड़कियों को समाज में लोग सबसे ज्यादा बुली करते हैं। नतीजा ये कि हंसने खेलने और खाने-पीने की उम्र में लड़कियां अपने हर निवाले के साथ कैलोरी काउंट करने लग जाती हैं और अंत में बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर और एनोरेक्सिया जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार होती हैं।
एनोरेक्सिया के लक्षण
– ऐसी महिलाओं का वजन बहुत ही कम होता है।
– बाल भी कमजोर होते हैं, कई बार बालों का रंग बदलकर ब्राउन हो जाता है।
– स्किन बहुत पलती होती है, चेहरा बहुत पतला और कमजोर होता है।
– ऐसी महिलाएं चिड़चिड़ी रहती हैं, अगर उनसे खान के लिए पूछा जाए तो वो अच्छे से उसका जवाब नहीं दे पाती।
दो प्रकार का होता है एनोरेक्सिया
एनोरेक्सिया नर्वोसा : जहां व्यक्ति खुद ही ज्यादा खाना नहीं खाता।एनोरेक्सिया नर्वोसा बुलिमिक : जहां व्यक्ति को फोर्स किया जाता है या फिर वो बहुत भूखा होने पर खाना खाता है, लेकिन बाद में उल्टी कर सारा खाना शरीर के बाहर निकाल देता है।
क्या होती है परेशानी
– खाना खाने से इंकार कर देती हैं। अगर खाना खा भी लेती हैं तो उसके बाद घंटों टॉयलेट में बैठी रहती हैं ताकि उलटी कर सकें।
– कई महिलाओं की मेंस्टूअल साइकल बिगड़ जाती है और कई केस में पीरियड्स बंद हो जाते हैं।
– मल्टीपल हार्मोनल इशूज भी हो सकते हैं।
एनोरेक्सियासे निकलने के लिए क्या कर सकते हैं 1 – मेंटल हेल्थ केयर जरूरी – एनोरेक्सिया के पेशेंट को मेंटल हेल्थ केयर की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, खासकर की सायकायट्रिस्ट। 2 – न्यूट्रिशियस डाइट लें – एनोरेक्सिया के पेशेंट में जरूरी न्यूट्रीशन और वाइटमिंस की कमी होती है, इसलिए उन्हें हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है। जिसके लिए वे न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह ले सकते हैं। पेशेंट के साथ ऐसे लोग होने चाहिए जो उसके न्यूट्रिशन से भरा खाना खिला सकें। 3 – डिप्रेशन से बचाएं – बॉडी इमेज को लेकर परेशान महिलाएं कई बार डिप्रेशन में भी चली जाती हैं, इसलिए ये बहुत जरूरी है कि पेशेंट की फैमली और फ्रेंड ग्रुप के लोग उन्हें पॉजिटिव फील कराने में मदद करें। ज्यादा दिक्कत होने पर पेशेंट को मेडिकल ट्रीटमेंट लेने से डरना नहीं चाहिए। 4 – थेरेपी लें – एनोरेक्सिया के केस में देखा गया है की पेशेंट खाने को लेकर एक अगल धारणा बना लेती हैं। इसलिए उन्हें पुराने अनुभव को हटाना होगा इसके लिए वे थेरेपी ले सकती हैं। खुद के बारे में पॉजिटिव फील करें और खाने से डरे नहीं। 5 – वजन बढ़ाने पर ध्यान दें – ट्रीटमेंट के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि पेशेंट का वजन उनकी उम्र के हिसाब से बढ़ाया जाए, क्योंकि एनोरेक्सिया का इलाज करते समय ये भी ध्यान देना है कि हम उन्हें ट होने के लिए भी प्रमोट न करें, क्योंकि इससे उन्हें भविष्य में और भी परेशानी हो सकती है।