हवाना सिंड्रोम का अनसुलझा रहस्य
5 साल से अमेरिका के लिए सिरदर्द बनीं अजीबोगरीब आवाजें, जानिए इस रहस्य के बारे में अब तक क्या-क्या पता चला
अमेरिका का एक पड़ोसी देश है क्यूबा। अन्य कई पड़ोसियों की तरह क्यूबा और अमेरिका के बीच भी कई दशकों से ठनी हुई है। 2014 में बराक ओबामा के शासन में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध बहाल हुए, लेकिन महज दो साल में ही अमेरिका ने लगभग सभी डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया।
डिप्लोमेट्स को वापस बुलाने का फैसला किसी लड़ाई की वजह से नहीं, बल्कि कुछ अजीबोगरीब आवाजों की वजह से किया गया। हवाना स्थित दूतावास में आ रही उन आवाजों को सुनकर कर्मचारी बीमार पड़ रहे थे।
कैसी थीं वो आवाजें? क्या अन्य देशों में मौजूद डिप्लोमेट्स भी हुए इसके शिकार? यह कोई बीमारी है या हथियार? क्या पहले भी हुईं ऐसी घटनाएं? अमेरिका अब क्या कदम उठाने को है तैयार? आइए, जानते हैं हवाना सिंड्रोम नाम के इस अनसुलझे रहस्य से जुड़े सभी सवालों के जवाब…
कैसी आवाजें सुनाई देती हैं?
हवाना एम्बेसी में तैनात अमेरिकी डिप्लोमेट्स ने इन आवाजों को एक भनभनाहट, या बर्तनों के रगड़ने पर निकलने वाली या सूअर के चीखने जैसी आवाजें बताया। इन आवाजों का सोर्स पता नहीं चलता था। दोनों हाथों से कान बंद करने पर भी ये आवाजें धीमी नहीं होती थीं।
लंबे वक्त तक ये आवाजें सुनने के बाद लोग बीमार हो गए। उनमें बेहोशी, चक्कर आना, सिर दर्द, उल्टी आने जैसे लक्षण दिखाई दिए। कई लोगों की याददाश्त तक चली गई। 2017 में ऐसे करीब दो दर्जन डिप्लोमेट्स को जांच और इलाज के लिए अमेरिका वापस बुला लिया गया।
क्यूबा की राजधानी हवाना में स्थित अमेरिकी दूतावास में अजीबोगरीब आवाजें सुनकर करीब 2 दर्जन कर्मचारी बीमार पड़ गए थे।
उज्बेकिस्तान, चीन, जर्मनी, रूस समेत कई देशों में फैला
हवाना की घटना के 1 साल बाद उज्बेकिस्तान के ताशकंद स्थित अमेरिकी एम्बेसी में एक डिप्लोमेट और उसकी पत्नी को ऐसी ही आवाजें सुनाई देने लगीं। उन दोनों को भी देश बुला लिया गया। ऐसी घटनाएं बढ़ने लगीं तो इसकी शुरुआत वाली जगह से जोड़कर इसे हवाना सिंड्रोम नाम से बुलाया जाने लगा।
2018 में चीन के ग्वांगझू में दो अमेरिकी डिप्लोमेट को भी ऐसी आवाजें सुनाई देने लगीं, जो सीधे उनके दिमाग पर असर डाल रही थीं। चीन ने इन सभी आरोपों को निराधार करार दिया।
अब तक दुनिया भर के 130 अमेरिकी अधिकारियों ने हवाना सिंड्रोम की शिकायत दर्ज कराई। इसमें रूस, पोलैंड, जार्जिया, किर्गिस्तान, जर्मनी और ताइवान जैसे देश शामिल हैं। हाल ही में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में इस सिंड्रोम के करीब 20 मामले सामने आए हैं।
बीमारी या कोई गुप्त हथियार
अमेरिका ने हवाना सिंड्रोम के लिए किसी देश पर सीधे तौर पर उंगली नहीं उठाई है और न ही इसके पीछे कोई सटीक कारण समझ में आता है। हवाना सिंड्रोम पर रिसर्च करके कई तरह की थ्योरी पर चर्चा हो रही है। इसमें से कई बेहद अजीब हैं। हम यहां पांच प्रमुख थ्योरी पेश कर रहे हैं…
1: यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के कंप्यूटर साइंटिस्ट की एक टीम के मुताबिक ये क्यूबा में जगह-जगह लगाए गए सर्विलांस इक्विपमेंट की आवाजें हो सकती हैं। जरूरी नहीं कि ये किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए ही बनाई गई हों। इस थ्योरी पर ज्यादा लोगों ने भरोसा नहीं किया।
2: यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के साइंटिस्ट ने कहा कि ये आवाजें झींगुर की हो सकती हैं। हालांकि झींगुर की आवाज से 2 दर्जन लोग बीमार कैसे हो सकते हैं? ये थ्योरी भी बेकार चली गई।
3: 2019 में कनाडा में एक स्टडी हुई। इसमें पाया गया कि डिप्लोमेट्स जो आवाजें सुन रहे हैं वो पेस्टिसाइड के संपर्क में आने की वजह से हो सकती हैं। क्यूबा में जीका वायरस से निपटने के लिए खूब सैनिटाइजेशन होता है। इस पर भी ज्यादा लोगों ने भरोसा नहीं किया।
4: कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये आवाजें मास हिस्टीरिया का असर हो सकती हैं। मास हिस्टीरिया मतलब किसी दूसरे का सुनकर खुद वो चीज महसूस करने लगना। इस पर कुछ लोग भरोसा करते हैं, पर ज्यादातर इस थ्योरी को भी नकारते हैं।
5: 2020 में अमेरिका के नेशनल एकेडमी और साइंसेज ने एक स्टडी जारी की। ज्यादातर लोग इस पर भरोसा करते हैं। स्टडी के मुताबिक हवाना सिंड्रोम की वजह माइक्रोवेव हथियार हो सकते हैं। माइक्रोवेव हथियार ऐसे हथियार होते हैं जो ऊर्जा को ध्वनि, लेजर या माइक्रोवेव के रूप में किसी टारगेट पर मार कर सकते हैं। इस तरह के हथियार सबसे पहले सोवियत यूनियन ने विकसित किए थे। अमेरिका और चीन के पास भी माइक्रोवेव हथियार हैं।
अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ने स्टडी के बाद हवाना सिंड्रोम को माइक्रोवेव हमला बताया था।
संदेह भरा अमेरिका का रुख
अमेरिका इन सभी थ्योरी को सिर्फ अनुमान बता रहा है। बाइडेन प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेने के संकेत दिए हैं। ऐसे मामलों में पीड़ितों की मदद के लिए एक टास्क फोर्स बना दी गई है। CIA ने ओसामा बिन लादेन की खोज करने वाले एक अनुभवी अधिकारी को इस मामले की तह तक पहुंचने का जिम्मा सौंपा है। दूसरी तरफ क्यूबा के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जांच के बाद ‘हवाना सिंड्रोम’ जैसी किसी चीज को निराधार बताया है।
सवाल ये भी उठ रहा है कि दुनियाभर में सिर्फ अमेरिकी डिप्लोमेट्स ही इसका शिकार क्यों हो रहे हैं? अगर इसके पीछे कोई हथियार या साजिश है तो अमेरिका जांच में दुनिया के अन्य देशों के एक्सपर्ट्स को भी शामिल क्यों नहीं कर रहा है? उम्मीद है जल्द ही इस अनसुलझे रहस्य से पर्दा उठेगा।