क्या है हक्कानी नेटवर्क? क्यों तालिबान ने बढ़ा दी है भारत की चिंता? जानें सबकुछ
नई दिल्ली. अफगानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े (Taliban Rules Afghanistan) के बाद पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत की चिंता भी बेहद बढ़ गई है. तालिबान के साथ दुनिया के दो सबसे खतरनाक आतंकी संगठन का कनेक्शन है. पहला हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network) और दूसरा अलकायदा. हक्कानी नेटवर्क एक अलग संगठन है लेकिन काम वो तालिबान के लिए करता है. तालिबान के ज्यादातर लड़ाके हक्कानी के ही है. जबकि अलकायदा से तालिबान का पुराना रिश्ता है. साल 2001 में अलकायदा के चक्कर में ही अमेरिका ने तालिबान को अफगानिस्तान से खदेड़ दिया था. दरअसल 9/11 हमले के बाद अमेरिका को अलकायादा के फाउंडर ओसामा बिन लादेन की तलाश थी. लेकिन तालिबान ने लादेन को अफगानिस्तान में पनाह दे रखी थी.
तालिबान के काबुल के कब्जे के साथ ही हक्कानी नेटवर्ट हरकत में आ गई है. इस नेटवर्क ने फिलहाल काबुल में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाल रखी है. इसके अलावा ये नेटवर्क तालिबान की नई सरकार में भी भागीदार बन रहा है. लिहाज़ा भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की चिंता बढ़ गई है. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चिंता जताई. पिछली बार जब तालिबान 1996 से लेकर 2001 तक सत्ता में थी तो भारत ने इस सरकार को मान्यता नहीं दी थी. आखिर क्या है हक्कानी नेटवर्क आईए विस्तार से समझते हैं विज्ञापन
>>इस साल जून में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि हक्कानी नेटवर्क तालिबान को सबसे अधिक युद्ध में मदद करने वाली सेना है. इसके काफी कुशल लड़ाके हैं. बड़े हमले करने में ये ग्रुप माहिर है. इसमें शामिल लड़ाके एक्सप्लोसिव डिवाइस और रॉकेट भी तैयार करते हैं.
>>रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ये नेटवर्क सीधे तालिबान सुप्रीम काउंसिल को रिपोर्ट करता है. हक्कानी नेटवर्क के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान का हिस्सा हैं. तालिबान के सर्वोच्च नेता,अमीर अल-मुमिनिन हैबतुल्ला अखुंदज़ादा के बाद सिराजुद्दीन को ही सबसे ज्यादा तकतवर है.
>>हक्कानी नेटवर्क सिराजुद्दीन के पिता जलालुद्दीन हक्कानी द्वारा बनाया गया था, और अफगान प्रतिरोध के सबसे महत्वपूर्ण नेताओं में से एक था. ये 1979 में सोवियत कब्जे के खिलाफ लड़े थे. जलालुद्दीन, ओसामा बिन लादेन के भी करीबी थी. लादेन सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने के लिए जिहाद के आह्वान पर अफगानिस्तान पहुंचे थे.
>>2018 में जलालुद्दीन की मौत के बाद, हक्कानी नेटवर्क का नेतृत्व अब सिराजुद्दीन कर रहा है.
पाकिस्तान से हक्कानी के रिश्ते
>>अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क मुख्य रूप से उत्तरी वज़ीरिस्तान, पाकिस्तान में स्थित है, और जादरान जनजाति के लोग इनके सदस्य हैं.
>> संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस ग्रुप में 3,000 से 10,000 के बीच लड़ाके हैं.
>>विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने अल-कायदा के वरिष्ठ नेतृत्व की मौजूदगी के बावजूद उत्तरी वज़ीरिस्तान में ऑपरेशन नहीं किया. क्योंकि वहां हक्कानी नेटवर्क के लोग रहते थे.
>>हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में भारतीय प्रोजेक्ट्स को कई बार निशाना बनाया है. इसके अलावा, 2008 और 2009 में काबुल में भारतीय दूतावास पर भी हमला किया.
>>कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा 2020 के एक पेपर में कहा गया है कि हक्कानी समूह दृढ़ता से भारत विरोधी बना हुआ है और इसे लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन हासिल है