मंदिर या घर में भगवान की नई मूर्ति सही विधिओ के साथ कैसे स्थापित करे।
मंदिर या घर में भगवान की नई मूर्ति सही विधिओ के साथ कैसे स्थापित करे।
मंदिर या घर में भगवान की नई मूर्ति सही विधिओ के साथ कैसे स्थापित करे।
भारत में लोगो का भगवान पर बहुत अटूट भरोसा होता है । हर कोई चाहे दुख हो या सुख हो भगवान को याद करना कभी नहीं भूलते ।
हर हिंदू के घर में छोटा या मंदिर तो जरूर होता है ।
नए घर की खुशी के लिए ग्रह परवेश हो या नई सुभा की शुरुआत करनी हो, नई संतान का नामकरण हो या परीक्षा में सफलता का व्रत रखना हो भगवान को हर जगह पूजा जाता है । मनुष्य के धरती पर आने से लेकर धरती से जाने तक भगवान का पूजना बहुत महत्वपूर्ण कार्य होता है । लेकिन क्या आप जानते है की ये महत्वपूर्ण कार्य सही तरह से कैसे किया जाता है । हर कोई अपने घरों में या आस पास भगवान की मूर्ति देखना चाहता है और तभी वह भगवान की मूर्ति को वह स्थापित करते है ।
भगवान की मूर्ति को स्थापित करने की भी पुराणों में पूरी क्रिया बताई गई है जो आज का आम आदमी कम ही जनता है ।
मूर्ति की स्थापना नियम कायदे के साथ कैसे किया जाए ?
1. सबसे पहले भगवान की मूर्ति को बाज़ार से ले आए और उनकी आंखों पर पट्टी बांध उन्हें पूरा धाक ले ।
2. मूर्ति को नर्मता से हाथ में पकड़ कर उसे गौशाला में ले जाए , अगर अंधकार हो गया है तो आप ये प्रतिक्रिया नहीं कर सकते है क्योंकि वह समय भगवान के निंद्रा का होता है इसके साथ उसे एकांत जगह पर छोड़ दे ।
3. उसके बाद मूर्ति को पालकी में लेजाकर मंत्रों के साथ एक रात के लिए गौशाला में शुद्धि कारण के लिए रख दे ।
4. फिर अगली सुभा मूर्ति को गौशाला से निकले और उसी पालकी में स्थापना स्थल तक ले जाए ।
( ध्यान दे की पूरी क्रिया में आखों से पट्टी ना हटने दे )
5. फिर मूर्ति को पूरी सुधतता के साथ पानी में डाल दे और दो तीन घंटे के लिए छोड़ दे।
6. फिर उसे पानी से निकाल के अनाज में सम्पूर्ण तरीके से डाल दे और अनाज से ही धक दे।
7. फिर उसे अनाज से निकाल के फूलों से भी पूरी तरह से ढक दे उसके बाद फलों से भी धक दे।
( ध्यान दे की पट्टी ना हटे)
8. फिर मूर्ति को उठा कर अपने गांव या मोहल्ले की परिक्रमा कराए ।
9. परिक्रमा पूर्ण होने के बाद मूर्ति को मंदिर परिसर में लाएं और उनको स्नान कराएं , स्नान करने के लिए सर्व पर्थम दूध से नहलाए उसके बाद हल्दी से मूर्ति को सुध करे फिर चीनी से रगड़ कर सुधीकरण की परक्रिया जारी रखे और इसके प्रांत गंगाजल से मूर्ति को अच्छी तरह से धो दे।
( ध्यान रहे की मूर्ति की आखों से पट्टी ना हटे )
10. अब आखिर में मूर्ति को मूर्ति स्थल में रख दे , और अब पुजारी द्वारा मूर्ति की पट्टी खुला दे और ध्यान दे की मूर्ति की आंखे खुलते समय कोई भी उसे न देखे , फिर ये कराए होने के बाद पुजारी के निर्देश मिलने पश्चात दर्शन कर ले ।