पश्चिम बंगाल: तेज बुखार की शिकायत के बाद 130 बच्चे अस्पताल में भर्ती
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में 130 बच्चों को तेज बुखार और पेचिश की शिकायत के साथ जलपाईगुड़ी सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बच्चों के बीमार होने के केस लगातार बढ़ रहे है. मेडिकल एक्सपर्ट को संदेह है कि ये रेस्पिरेटरी सेनसेशल वायरस (RSV) के कारण हो रहा है. सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को डर है कि ये बीमारी बड़े पैमाने पर फैल सकती है. लिहाज़ा राज्य सरकार द्वारा गठित एक एक्सपर्ट कमेटी ने इलाज और परीक्षण प्रोटोकॉल पर चर्चा करने के लिए कोलकाता में बैठक की. बता दें कि कोलकाता में भी इसी तरह के कुछ मामले सामने आए हैं.
कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि जलपाईगुड़ी सदर अस्पताल में भर्ती छह साल के बच्चे की बुधवार को तेज बुखार से मौत हो गई. हालांकि सरकार की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं हुई है. सूत्रों ने कहा कि बच्चे के सैंपल कोलकाता के स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन (एसटीएम) भेजे गए हैं. प्रभावित बच्चों में से ज्यादातर एक से छह साल के बीच के हैं. इन बच्चों को तेज बुखार, खांसी और जुकाम के साथ अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है. उनमें से कुछ को दस्त भी हैं. शुरुआत में, उन्हें कोविड -19, मलेरिया और डेंगू के लिए जांच किया गया था, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आई. जबकि अब RSV पर संदेह किया जा रहा है. एक्सपर्ट कमेटी के अनुसार इस बात की संभावना है कि ये बच्चे मेटान्यूमोवायरस या पैरैनफ्लुएंजा वायरस के संपर्क में आए हों.
समय से पहले आ गई बीमारी?
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘इस तरह की बीमारी अक्टूबर के आखिर या नवंबर की शुरुआत में देखी जाती है. लेकिन इस बार करीब दो महीने पहले ही ये देखा जा रहा है.’ बता दें कि अधिकांश मामले जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार जिलों और दिनाजपुर के कुछ हिस्सों से सामने आए हैं.
वेंटिलेटर की पड़ रही है जरूरत
डॉक्टरों के मुताबिक ये बीमारी खास तौर पर दो साल से कम उम्र के बच्चों को चपेट में ले रहा है. कुछ बच्चों पर ऑक्सीजन थेरेपी का भी असर नहीं दिख रहा है. लिहाजा उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है. बढ़ते मामलों पर चर्चा करने के लिए सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह ने बुधवार को राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय स्वास्थ्य भवन में बैठक की. पैनल में अन्य लोगों के अलावा, स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) डॉ अजय चक्रवर्ती, दो बाल रोग विशेषज्ञ, तीन चिकित्सा विशेषज्ञ और स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के वायरोलॉजिस्ट शामिल हैं.