CJI , सुनवाई का विषय एक महत्वपूर्ण कानूनी विवाद था, जिसमें दोनों पक्षों के वकीलों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। वकील, जो कि एक प्रतिष्ठित कानून फर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने अपने तर्कों में कुछ ऐसे बिंदुओं को उठाया जिनका न्यायालय में गहरा प्रभाव पड़ सकता था। हालांकि, जब उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए ‘या.. या..’ का प्रयोग किया, तो उनकी अभिव्यक्ति अस्पष्ट और अधूरी प्रतीत हुई। न्यायाधीश ने तुरंत उनकी ओर ध्यान दिया और उनसे पूछा कि क्या वे अपनी बात को और स्पष्ट कर सकते हैं। वकील ने पहले से ही तनाव में आकर अपनी बात को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन यह स्थिति और अधिक विकृत होती गई। न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें स्पष्ट और सटीक तर्कों की आवश्यकता है, न कि अस्थिर या अधूरे विचारों की। इस बीच, दूसरे पक्ष के वकील ने भी इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एक वकील का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने तर्कों को स्पष्ट और सुसंगत ढंग से प्रस्तुत करे। इस तरह की शब्दावली सुनवाई की गंभीरता को कम कर देती है और न्यायालय के समय की बर्बादी का कारण बनती है।
सोमवार को एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान वकील के 'या.. या..' कहने पर नाराजगी का एक दिलचस्प घटनाक्रम सामने आया। यह घटना उस समय हुई जब वकील ने अपने तर्कों को स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया .