वैश्विक होने से पहले हमें भारतीय होना होगा : डॉ. मोहन भागवत
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने बुधवार को कहा कि विश्व को अपना बनाने से पहले हमें भारत को अपना बनाना होगा। हमारे जीवन में भारत झलकना चाहिए। विश्वगुरु भारत का अर्थ महाशक्ति के तौर पर ताकत दिखाने वाले नहीं बल्कि मानवों के हृदय जीतने वाले देश से है। ऐसे भारत के निर्माण के लिए भारतीयों को आत्मीय भाव से समर्पित होकर कार्य करना होगा।
डॉ. भागवत ने प्रख्यात पत्रकार एवं विचारक मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी के जन्मशताब्दी वर्ष के समापन समारोह में कहा कि मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी ने ध्येय के प्रति समर्पित होकर अपना जीवन जिया। समारोह का आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की। मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी जन्मशताब्दी समारोह समिति के अध्यक्ष प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
मोहन भागवत ने कहा कि यश और सार्थकता दोनों अलग बातें हैं। जीवन सार्थक होना चाहिए। मामाजी का जीवन सार्थक था। मामाजी जैसे लोगों के कारण ही संघ चल रहा है। राजमाता और नरसिंह राव जोशी उनके विरुद्ध चुनाव लड़े लेकिन बाद में उनके साथ ही आ गए। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी मामाजी ने उच्च आदर्श स्थापित किए। उन आदर्शों को आज सबको अपने पत्रकारीय जीवन में उतारना चाहिए। मामाजी के विचारों के अनुसरण से पत्रकारिता के समूचे वातावरण में आ सकता है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मामाजी राष्ट्रीय पत्रकारिता के ब्रांड थे। उन्होंने एक विरासत छोड़ी है, हमें उसका सम्मान करना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता निर्माण की एक अद्भुत पद्धति है और मामाजी संघ की उसी पद्धति से तैयार हुए स्वयंसेवक थे। उन्हें हर कार्य पूरी प्रामाणिकता से पूरा किया। एक प्रखर पत्रकार, संपादक एवं चिंतक के नाते उनकी पहचान है। भारत विभाजन के दौरान संघ ने कितना महत्वपूर्ण कार्य किया, इस संबंध में उन्होंने बहुत परिश्रम से पुस्तक की रचना की है।
इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने कहा कि भाषायी पत्रकारिता में मामाजी का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने पत्रकारिता में एक बड़ी लकीर खींची थी। मामाजी की पत्रकारिता जीवन के प्रति दृष्टिकोण सिखाती है। हम सबको उनकी पुस्तक ‘आपातकाल की संघर्षगाथा’ अवश्य पढ़नी चाहिए। आज की पत्रकारिता को मामाजी की पत्रकारिता से प्रेरणा लेनी चाहिए।
हरियाणा और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि संघ के द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी के आदर्श को मामाजी ने अपने जीवन में उतारा था। वह सादगी से जीते थे। अपने जीवन का सर्वस्व उन्होंने देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। प्रो. सोलंकी ने कहा कि मामाजी ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता के अद्वितीय उदाहरण थे। उनके आलेख और पुस्तकें आज भी प्रासंगिक हैं। वे स्वदेशी की आग्रही थे। जम्मू-कश्मीर और राम जन्मभूमि आंदोलन पर मामाजी का लिखा हम आज सच होते देख रहे हैं। मामाजी ने अपने चिंतन से राष्ट्र का पुनर्जागरण किया था।
इस अवसर पर मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी, उनके विचार एवं पत्रकारिता पर केंद्रित ‘पाञ्चजन्य’ के विशेषांक और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की पुस्तक ‘शब्द पुरुष : माणिकचंद्र वाजपेयी’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने और आभार प्रदर्शन भारत प्रकाशन लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक अरुण गोयल ने किया।