‘हमें गर्व है कि हम वो देश नहीं हैं…’, सिंघवी ने केजरीवाल की जमानत पर पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए जिरह दी
'ईडी केस में जमानत मिलने पर जिरह करने वाली सिंघवी, केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में पेश'
दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी व रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में आज बुधवार को सुनवाई हुई।
अरविंद केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में जिरह के दौरान केजरीवाल की जमानत को लेकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का जिक्र किया है।
… हम पाकिस्तान नहीं- सिंघवी
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को चार दिन पहले ही पीएमएलए के तहत नियमित जमानत दी है। हमें गर्व है कि हम पाकिस्तान नहीं हैं जहां तीन दिन पहले इमरान खान रिहा हुए, सबने अखबार में पढ़ा और उन्हें एक और मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन, हमारे देश में ऐसा नहीं हो सकता।”ढ़ें दोनों पक्षों की दलीलें-
सीबीआई मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीबीआई के पास गिरफ्तार करने के लिए कोई सुबूत नहीं था। सीबीआई ने सिर्फ इस रूप में गिरफ्तारी की थी कि अगर केजरीवाल बाहर आते हैं तो यह एक अतिरिक्त गिरफ्तारी है। केजरीवाल के पक्ष में तीन रिलीज ऑर्डर हैं।
सिंघवी ने कहा कि जून में रिहाई और पुनः आत्मसमर्पण का कार्य ही ट्रिपल टेस्ट की पूर्ण संतुष्टि को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते उन्हें अनिश्चित काल के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझा है।
सिंघवी ने तर्क दिया कि केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नियमित जमानत मिल चुकी है, जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। जिस पर अदालत पर निर्णय होगा। वहीं, केजरीवाल को शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। ऐसे में सीबीआई की गिरफ्तारी इसी का परिणाम हैं।
सिंघवी ने कहा कि कुछ तारीखों को देखना जरूरी है। 17 अगस्त 2022 में हुई प्राथमिकी में केजरीवाल का नाम नहीं है। इसके बाद 14 मार्च 2023 को केजरीवाल को समन भेजा गया और मैं समन पर पेश हुआ। सीबीआई ने बीते 240 दिनों में मुझसे पूछताछ की जरूरत नहीं समझी।
सिंघवी ने कहा कि वर्ष 2024 में तीन महीने बीतने के बाद चुनाव आचार संहिता लागू होने पर 21 मार्च को ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया। केजरीवाल न्यायिक हिरासत में थे और इसी बीच सीबीआई ने कस्टडी की मांग की।
सिंघवी ने कहा कि सामान्य ज्ञान के अनुसार इस परिस्थिति में केजरीवाल को गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं थी। वह भी तब जब निचली अदालत ने 20 जून को केजरीवाल को नियमित जमानत दे दी। सीबीआई पूरे मामले में 26 जून को सक्रिय हुई। अचानक से केजरीवाल सीबीआई के लिए अहम हो गए और वह उनकी कस्टडी की मांग करती है।
सिंघवी ने कहा कि 12 जुलाई को केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से ईडी मामले में अंतरिम जमानत मिल गई। ऐसे में सीबीआई की गिरफ्तारी के कारण केजरीवाल वहीं पर हैं, जहां थे, क्योंकि जांच एजेंसियां किसी भी हथकंडे से केजरीवाल को सलाखों के पीछे रखना चाहती है।
सिंघवी ने तर्क दिया कि ऐसे में मेरा प्वाइंट यह है कि दो साल तक चुप बैठने वाली सीबीआई केजरीवाल को अदालत से राहत मिलने के बाद क्यों सक्रिय हुई।
सिंघवी ने कहा कि मेरा दूसरा प्वाइंट यह है कि आप स्वतंत्रता के सबसे व्यापक मौलिक अधिकार और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए केजरीवाल के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते।
सिंघवी ने कहा कि सीबीआई अनुच्छेद 21 के तहत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन कर रही है। केजरीवाल पहले से ही ईडी की हिरासत में हैं। न्यायिक हिरासत में होने पर लगभग दो साल बाद सीबीआई सीआरपीसी की धारा 41ए के संदर्भ में रिमांड पर केजरीवाल से पूछताछ करने के लिए आवेदन करती है।
सिंघवी ने कहा कि आखिरकार केजरीवाल आतंकवादी न होकर एक मुख्यमंत्री हैं। केजरीवाल को आवेदन की प्रति कभी नहीं मिलती और कोई नोटिस नहीं दिया गया है, केजरीवाल की बात नहीं सुनी गई।
कोर्ट: क्या सीबीआई में औपचारिक गिरफ्तारी नहीं होती?
सिंघवी ने जवाब दिया कि ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को चार दिन पहले ही पीएमएलए के तहत नियमित जमानत दी है। हमें गर्व है कि हम वह देश नहीं हैं जहां तीन दिन पहले इमरान खान रिहा हुए, सबने अखबार में पढ़ा और उन्हें एक और मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। हमारे देश में ऐसा नहीं हो सकता।
सिंघवी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट केवल एक ही कारण के आधार पर रिमांड की इजाजत देता है कि वह संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है।
सिंघवी ने कहा कि अगर केजरीवाल पूछताछकर्ता से कहें कि तुम भाड़ में जाओ तो मैं जवाब नहीं दूंगा, क्या अदालत कह सकती है कि आपको गिरफ्तार कर लिया जाएगा? मैं अपनी बात समझाने के लिए एक अतिवादी प्रश्न पूछ रहा हूं। अनुच्छेद 22 क्या है? लोग भूल रहे हैं, फिर हम संवैधानिक अधिकारों के बारे में ये सब किस बात का व्याख्यान दे रहे हैं।
सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना के आदेश में बहुत दिलचस्प वाक्य है कि पूछताछ अपने आप में गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकती। यह एक उल्लेखनीय मामला है। ऐसा नहीं है कि आप आंखों पर पट्टी बांध लें और गिरफ्तारी होने दें।
सिंघवी ने कहा कि अंत में जांच एजेंसी की प्रार्थना है कि कृपया केजरीवाल को गिरफ्तार करने की अनुमति दें। यह कैसी प्रार्थना है? मैंने इस प्रकार का आवेदन कभी नहीं देखा है, जिसमें यह दिखाने का एक भी प्रयास नहीं किया गया कि आप किस धारा के तहत गिरफ्तारी करना चाहते हैं। कोई कारण भी नहीं बताया गया। उसी दिन, बिना मुझे सूचना दिए या मुझे सुने, इसकी अनुमति दे दी गई।
सिंघवी ने कहा कि जज का पूरा काम फिल्टर का होता है, लेकिन न तो कोई नोटिस, न कोई सुनवाई और वह आदेश पारित कर देता है।
सिंघवी ने कहा कि 25 जून को आवेदन दिया गया, उसी दिन आदेश पारित कर दिया गया और भगवान की थोड़ी सी दया के लिए धन्यवाद, केजरीवाल को अगले दिन आदेश मिल गया। सिंघवी ने कहा कि निचली अदालत कुछ इस तरह से काम कर रही है।
सिंघवी ने कहा कि मान लीजिए कि केजरीवाल कहते हैं कि 100 करोड़ का कोई सवाल ही नहीं है और इसके बारे में कुछ नहीं जानता। तो जांच एजेंसी तर्क देती है कि संतोषजनक जवाब नहीं और यह अपराध की संतुष्टि है।
सिंघवी ने कहा कि 12 घंटे या उससे कम समय में उन्हें गिरफ्तार करना कैसे जरूरी है? क्यों? कोई जवाब नहीं, जबकि आवेदन में कहा गया कि गिरफ्तारी की अनुमति दी जाए। जज को इसे फेंक देना चाहिए था क्योंकि यदि अदालत इसकी अनुमति देती है और कहती है कि जाओ और उसे गिरफ्तार करो, तो यह वैध हो जाएगा।
सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं तो जांच एजेंसी पूछताछ कर सकती है और उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत ही नहीं है। इसीलिए इसे अपनी सुरक्षा के तौर पर की गई गिरफ्तारी का नाम दिया गया है, ताकि केजरीवाल स्वतंत्र न हो सकें।
सिंघवी ने कहा कि सीबीआइ मामले में पांच अहम आरोपितों को जमानत मिल चुकी है, जबकि नौ आरोपितों को गिरफ्तार ही नहीं किया गया।
सीबीआई की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने सिंघवी द्वारा इंश्योरेंस एरेस्ट जैसे शब्द का प्रयोग करने का विरोध करते हुए कहा यह उचित नहीं है।
सीबीआई ने कहा कि जहां तक आरोपितों की बात है, उनके पास सभी विशेषाधिकार हैं और कानून जो के आधार पर जांच एजेंसी के पास आरोपित की तुलना में बहुत कम विशेषाधिकार है।
बता दें कि पिछली सुनवाई पर न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि यह पहली बार नोटिस जारी करने के लिए आया है।
पहला बिंदु गिरफ्तारी की आवश्यकता है। जून में सीबीआई द्वारा मुझे गिरफ्तार करने का कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि सीबीआई की एफआईआर अगस्त 2022 की है। गिरफ्तारी और इसके बाद रिमांड आदेश को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनौती दी है।