वक्फ कानून के खिलाफ दिल्ली में बड़ा प्रदर्शन, AIMPLB ने बनाई ब्लैकआउट.. ह्यूमन चेन की योजना
मोदी सरकार की नजर वक्फ पर – मुसलमानों की ज़मीनों पर सत्ता की लोलुपता?

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए वक्फ कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने आज यानी मंगलवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां’ नाम से एक बड़ा प्रदर्शन कर रहा है। AIMPLB का आरोप है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को खत्म करने और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को खत्म करने की साजिश है।
वक्फ बचाव अभियान: 87 दिन का राष्ट्रव्यापी विरोध
गौरतलब है कि AIMPLB ने 11 अप्रैल से 7 जुलाई तक ‘वक्फ बचाव अभियान’ की शुरुआत की है। इस अभियान का मकसद 1 करोड़ हस्ताक्षर एकत्रित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपना है ताकि इस कानून को वापस लिया जाए। बोर्ड ने साफ किया है कि अगर सरकार पीछे नहीं हटती, तो आंदोलन के अगले चरण में और बड़ा जनजागरण शुरू किया जाएगा।
तालकटोरा स्टेडियम से उठी आवाज़: वक्फ की हिफाजत करो
22 अप्रैल को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुए प्रदर्शन में देशभर के मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि जुटे।
जमात-ए-इस्लामी हिंद, AIMPLB महिला विंग, और कई मुस्लिम स्कॉलर्स के साथ-साथ विपक्षी नेताओं — असदुद्दीन ओवैसी, मनोज झा (RJD), इमरान मसूद (कांग्रेस) और मोहिबुल्लाह नदवी (SP) की संभावित मौजूदगी ने इस आयोजन को और राजनीतिक ताकत दी है।
AIMPLB की आपत्तियां: क्या कहता है बोर्ड?
AIMPLB ने वक्फ संशोधन कानून को खारिज करते हुए कई गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई हैं:
- सरकारी कब्जे की आशंका: बोर्ड का दावा है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को हड़पने का रास्ता साफ करता है।
- स्वायत्तता पर हमला: नए प्रावधानों के अनुसार अब वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य भी होंगे और जिला कलेक्टर को मूल्यांकन का अधिकार मिलेगा, जिसे बोर्ड मुस्लिम धार्मिक संस्थानों में हस्तक्षेप मानता है।
- धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन: AIMPLB का कहना है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत दिए गए धार्मिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन करता है।
- शरीयत और इस्लामी मूल्यों के खिलाफ: यह कानून शरीयत के उस सिद्धांत को चुनौती देता है, जिसमें वक्फ को पवित्र और समाज के लिए अर्पित संपत्ति माना गया है।
प्रतीकात्मक विरोध और देशव्यापी आयोजन
AIMPLB का आंदोलन सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं है। आगे इन प्रमुख कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है:
- 30 अप्रैल: रात 9 बजे देशभर में ‘ब्लैकआउट’ कर विरोध। लोग आधे घंटे के लिए अपने घरों और दफ्तरों की लाइट बंद करेंगे।
- 7 मई: दिल्ली के रामलीला मैदान में दूसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन।
- हर शुक्रवार: जुमे की नमाज के बाद ह्यूमन चेन (मानव श्रृंखला) बनाकर प्रदर्शन।
- सभी राज्यों की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर धरना, प्रतीकात्मक गिरफ्तारियां और ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
महिला विंग की भूमिका और गांव-शहर तक आंदोलन
AIMPLB ने अपनी महिला विंग को सक्रिय किया है, जो गांवों और शहरों में जाकर महिलाओं को इस कानून के खतरों के बारे में जागरूक करेंगी। बोर्ड का कहना है कि यह आंदोलन 1985 के शाह बानो मामले की तरह बड़ा सामाजिक आंदोलन बनेगा।
बीजेपी सरकार पर निशाना: धर्मनिरपेक्षता को खत्म करने की साजिश?
AIMPLB महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह कानून मोदी सरकार के सांप्रदायिक एजेंडे का हिस्सा है। उनके अनुसार सरकार मुस्लिम संपत्तियों को हथियाकर उन्हें धार्मिक रूप से हाशिये पर लाना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक सिर्फ मुस्लिमों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि भारत की धर्मनिरपेक्ष पहचान के खिलाफ भी है।
सरकार का पक्ष: वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता की बात
वहीं, सरकार का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाना, दुरुपयोग को रोकना और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कानून का मकसद किसी की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला नहीं है, बल्कि यह संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए लाया गया है।
वक्फ संशोधन कानून कैसे बना?
- 2 अप्रैल: लोकसभा में 12 घंटे की बहस के बाद बिल पारित
- 3 अप्रैल: राज्यसभा में भी लंबी चर्चा के बाद पास
- 5 अप्रैल: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिल को दी मंजूरी
सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी किया, लागू करने की तारीख अभी घोषित नहीं
यह सिर्फ कानून नहीं, एक चेतावनी है
मोदी सरकार के इस वक्फ संशोधन कानून को मुस्लिम समुदाय अपने अस्तित्व, अधिकार और धार्मिक आज़ादी पर हमला मान रहा है। जब देश संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाने की ओर बढ़ रहा है, तब धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ ऐसा कानून लाना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है।