“गलवान झड़प के बाद विक्रम मिसरी की नियुक्ति: विदेश सचिव का महत्वपूर्ण कार्य”
"विक्रम मिसरी ने भारत के विदेश सचिव के पदभार संभाला: चीन विशेषज्ञ और अनुभवी दूत, 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी ने विनय क्वात्रा की जगह ली"
1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी विक्रम मिसरी की कहानी एक योग्यता और समर्पण की कहानी है। उनका सफर विशेषज्ञता और दूतवाद में माहिर होने की दिशा में था।
विक्रम मिसरी ने श्रीनगर में जन्म लिया था और उनका विशेष ध्यान चीन के मामलों पर रहा। उन्होंने अपनी पढ़ाई को समाप्त करने के बाद भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने का संकल्प किया। उनकी अद्वितीय ज्ञान प्राप्ति और दूसरे विशेषज्ञों के साथ अनुभव संवाद की प्रेरणा दी।
उनके भरपूर अनुभव और कुशलता ने उन्हें विदेश सचिव के पद के लिए उम्मीदवार बनाया। उन्होंने अपने पूरे करियर में अपनी योग्यता और व्यापक ज्ञान का प्रदर्शन किया और अंततः विनय क्वात्रा के स्थान पर विदेश सचिव के रूप में उपयुक्त माना गया।
विक्रम मिसरी का यह सफर उनकी लगन, समर्पण और समय समय पर चुनौतियों का सामना करने की क्षमता का प्रतीक है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और समर्पण से लड़कर मानवीय संबंधों में गहराई और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ना संभव है।
श्रीनगर के एक सुंदर गाँव में एक छोटे से परिवार में जन्मे विक्रम मिसरी की कहानी एक विशेषज्ञता और समर्पण की कहानी है। उनके परिवार ने उन्हें विद्या का महत्व सिखाया और वे बचपन से ही ज्ञान प्राप्ति में लगे रहे।
विक्रम की रुचि बचपन से ही राजनीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों में थी। उन्होंने अपनी पढ़ाई श्रीनगर में पूरी की और फिर दिल्ली जाकर उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री हासिल की। उनके बाद भारतीय विदेश सेवा में प्रवेश हुआ और उन्होंने अपने जीवन को एक उच्च स्तर पर ले जाने के लिए तत्परता से काम किया।
उनकी संघर्षी दिनचर्या ने उन्हें चीनी मामलों के विशेषज्ञ बना दिया। उनका अनुभव और विशेष ज्ञान चीन की राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान देने में मदद करता है। उन्होंने अपनी समझदारी और व्यापक ज्ञान का प्रदर्शन करके अपने क्षेत्र में एक मान्यता प्राप्त की है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च पदों पर भी बुलाया गया है।
विक्रम मिसरी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में उच्च स्तर की सफलता प्राप्त करने के लिए ज्ञान, समर्पण और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। उनका सफर एक प्रेरणा है जो हर किसी को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
चीन मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं मिसरी
7 नवंबर 1964 को श्रीनगर में जन्मे विक्रम मिसरी चीन के विशेषज्ञ माने जाते हैं। मिसरी ने ऐसे समय में महत्वपूर्ण पदभार संभाला है, जब भारत पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद चीन के साथ अपने ठंडे संबंधों सहित विभिन्न विदेश नीति चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रहा है।
चीन में भारत के राजदूत के रूप में काम किया
बता दें कि मिसरी अपने पिछले कार्यभार में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्यरत थे। उन्हें तीन प्रधानमंत्रियों इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के निजी सचिव के रूप में सेवा करने का दुर्लभ गौरव प्राप्त है। उप एनएसए के रूप में नियुक्त होने से पहले, मिसरी ने 2019-2021 तक चीन में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया।
गलवान में झड़प के बाद निभाई थी अहम भूमिका
माना जाता है कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ने के बाद मिसरी ने बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी। गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी, जिसे दशकों में दोनों देशों के बीच आई बड़ी दरार माना जाता है।
अपने शानदार करियर में मिसरी ने स्पेन (2014-2016) और म्यांमार (2016-2018) में भारत के राजदूत के रूप में भी काम किया, इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान, अमेरिका, जर्मनी, बेल्जियम और श्रीलंका सहित कई भारतीय मिशनों में भी काम किया।