देवभूमि में 10 राजकीय उद्यानों में आलू बीज का होगा उत्पादन
मंत्री गणेश जोशी ने कहा कृषकों को पौध के के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा
देहरादून । अब किसानों को पौध और बीज के लिए उत्तराखंड से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। कृषकों की मांग के अनुसार आलू बीज उपलब्ध कराने के लिए 10 राजकीय उद्यानों को आलू बीज उत्पादन के रूप में स्थापित की जाएगी।मंगलवार को कैंप कार्यालय में कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की उत्पादन को 2025 तक दोगुना करने को लेकर होकर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को पौध के लिए बाहर नहीं जाना पड़े। अभी पौध और हिमाचल और कश्मीर से ला रहे हैं। इसके लिए सरकार धनौल्टी में सबसे बड़ा आलू का गार्डेन के साथ आलू का सेंटर फार एक्सीलेंस बना रहे हैं। नग्यू में अखरोट भीमताल में किवी,जमुला में एप्पल का सेंटर बना रहे हैं। अब किसान को इंतजार नहीं करना पड़ेगा। मंत्री जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थिति और कृषि जलवायु विभिन्न औद्यानिक फसलों के साथ-साथ सब्जियों व पुष्पों के साथ विशेषकर आलू उत्पादन के लिए अत्यधिक अनुकूल है। राज्य की मौसम विविधता के कारण यहां पूरे वर्ष सब्जी एवं पुष्पों की उपलब्धता रहती है। उत्पादित सब्जियां मैदानी क्षेत्रों के लिए बेमौसमी होने के कारण कृषकों को बहुत अच्छा मूल्य प्राप्त होता है। साथ ही पुष्पों की खेती के लिए जलवायु, सुलभ बाजार (दिल्ली. चण्डीगढ़) से नजदीकी के कारण भी अनुकूल है। उन्होंने कहा कि राज्य में आलू उत्पादन की अत्यधिक सम्भावनाएं हैं,जिसका मुख्य कारण पर्वतीय क्षेत्रों में आलू का उत्पादन उस समय होना है,जब मैदानी क्षेत्रों में आलू का उत्पादन नहीं होता है। ऐसी परिस्थितियों में पर्वतीय क्षेत्रों में उत्पादित आलू का कृषकों को अच्छा मूल्य प्राप्त होता है। साथ ही राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में उत्पादित पहाड़ी आलू/तुमड़ी की बाजार में अत्यधिक मांग होने के कारण कृषकों को उनके उत्पाद का बहुत अच्छा मूल्य प्राप्त होता है। उन्होंने कहा राज्य में मैदानी, तराई/भावर एवं पहाड़ी क्षेत्रों में पूर्व से आलू उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में कृषकों का चयन कलस्टर आधारित करने और प्रोत्साहित कर आलू उत्पादन कराया जायेगा। प्रत्येक कलस्टर में कम से कम 30-50 हैंक्टयर क्षेत्रफल आच्छादित किया जायेगा, जिसमें पूर्व से आलू उत्पादित करने वाले कलस्टरों का चयन कर आलू बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। कलस्टर का चयन स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों व कृषि जलवायु की अनुकूलता के आधार पर बीज उत्पादन एवं आलू उत्पादन का कार्य किया जायेगा।